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समाचार और आलेख
गांवों में स्वच्छता अभियान
Posted on 14 Mar, 2024 03:27 PMस्वच्छता मानव जीवन का अभिन्न अंग है। स्वच्छता का सीधा संबंध स्वास्थ्य से है इसलिए स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छता अनिवार्य है। स्वच्छता शरीर तथा घर परिवार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत स्वच्छता के अतिरिक्त गली, मोहल्लें और गांव की सम्पूर्ण स्वच्छता से है। हमारा देश कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के प्रति वचनबद्ध है इसलिए अपने नागरिकों को पूर्णतया स्वस्थ बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
पेड़-पौधे और मनुष्य
Posted on 14 Mar, 2024 03:19 PMपेड़ -पौधे एवं मनुष्य एक दूसरे पर आधारित है। एक के अभाव में दूसरे के सद्भाव की कल्पना कभी स्वप्न में भी नहीं की जा सकती। पेड़ - पौधे मनुष्य के भीतर और बाहर एक सांस्कृतिक पर्यावरण की रचना करते हैं। दोनों का सृजन एक प्रकार का पर्यावरण है।
वन में निहित है जीवन का अस्तित्व
Posted on 14 Mar, 2024 03:08 PMवन, पर्यावरण और मानव का अटूट संबंध है। मानव अपनी सभी उमंगों का आनंद वन और पर्यावरण के संग ही पा सकता है। प्रकृति की हरियाली और शीतल वायु सभी का मन मोह लेती है, यहाँ आ कर मनुष्य अपनी सारी थकावट और मानसिक तनाव से मुक्त हो जाता है। प्रकृति की गोद में पर्यावरण के संग रहना ऐसा सुखद लगता है जिसका वर्णन शब्दों में करना बहुत कठिन है। वनों और संतुलित पर्यावरण से ही हमारा अस्तित्व है, वनों का विनाश मानव
कीटनाशकों का पर्यावरणीय प्रभाव और विकल्प
Posted on 13 Mar, 2024 05:40 PMकीटनाशक प्राकृतिक या रासायनिक रूप से संश्लेषित यौगिक हैं जो संपूर्ण खाद्य और पशु आहार उत्पादन चक्र के दौरान कीटों को रोकने, नष्ट करने, खदेड़ने या नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। कीटनाशक कई तरह के होते हैं। जैसे, पौधों के विकास नियामक, डिफॉलिएटर्स (पत्तीनाशी), डेसिकैंट्स (जलशोषक), फलों की तादाद कम करने वाले रसायन, और परिवहन एवं भंडारण के दौरान फसल को खराब होने से बचाने वाले रसायन जिन्ह
मुख्य सचिव 48 घंटे में हल करें सीवर व दूषित पेयजल की समस्या : आतिशी
Posted on 13 Mar, 2024 04:53 PMसीवर ओवरफ्लो, दूषित जलापूर्ति और पाइपलाइन रिसाव को समस्या दूर नहीं हो रही है। परेशान लोग जल बोर्ड की हेल्पलाइन पर शिकायत कर रहे हैं, परंतु समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। जल मंत्री आतिशी ने इसे लेकर नाराजगी जताई है। उन्होंने मुख्य सचिव को जनता की शिकायतों का संज्ञान लेकर उसे 48 घंटे में दूर करने का निर्देश दिया है। मंत्री ने कहा, जल बोर्ड के हेल्पलाइन नंबर 1916 पर 10 हजार अधिक शिकायतों का कोई
पहले धरती को बचाएं
Posted on 13 Mar, 2024 04:03 PMविचित्र विडंबना है कि जिस प्रकृति, धरती और पर्यावरण की वजह से आज हम जीवित हैं, वे ही हमारे सरोकारों की सूची से लगभग गायब हैं। कभी कभार पूजा-अर्चना में इन्हें याद भले ही कर लें, लेकिन अपनी तरफ से हम इनके लिए कभी कुछ नहीं करते।
जलवायु परिर्वतन और बढ़ता तापमान के खतरे से अनजान हैं आम इंसान
Posted on 13 Mar, 2024 12:33 PMजलवायु परिवर्तन का ही असर माने कि समुचे यूरोप में कड़ाके की ठंड के दिनों में भीषण गर्मी पड़ी। यूरोप के कम से कम आठ देशों में ऐसे हालत देखे गए। इस वर्ष युरोप के इन आठ देशों में औसतन पीछले कई वर्षों के मुकाबले लगभग 15 डिग्री सेल्सियस ज्यादा तापमान रहा। भारत में 1877 के बाद इस साल फरवरी का महीना सबसे गर्म रहा और औसत अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। उसके बाद अप्रैल महीने में भयंकर गर
यूरोप तोड़ रहा बांध, नदियों में लौटीं विलुप्त मछलियां, पनपे पौधे
Posted on 13 Mar, 2024 12:17 PMयूरोप में नदियों की अविरल धारा के लिए मुहिम चल रही है। साल 2016 से ही बांध तोड़े जा रहे हैं। 2022 में ही यूरोपीय नदियों पर बने 325 बांध तोड़ दिए गए, जो 2021 से 36% ज्यादा है। खास बात यह है कि जिन नदियों पर बांध तोड़े गए वहां का जलीय जीवन बदलने लगा है। फिनलैंड हितोलांजोकी नदी में सोलोमन जैसी मछलियां नजर आने लगीं, जो साला पहले यहां खत्म हो चुकी थीं। फिनलैंड की नैचुरल रिसोर्स इंस्टीट्यूट की इकोलॉज
भारत,लाल सागर व्यापार मार्ग में जहाज़ों के हमलों से चावल व्यापार पर बज रही खतरे की घंटी
Posted on 11 Mar, 2024 05:22 PMभारत, दुनिया में गेहूं, चावल और चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है एवं बासमती चावल के प्रमुख निर्यातकों में से एक है।
मुख्य रूप से 1121 बासमती चावल-सफेद, पूसा बासमती 1121,पारंपरिक बासमती चावल, गोल्डन सेला बासमती चावल, सुगंधा बासमती चावल, शरबती बासमती चावल भारत से एक्सपोर्ट होते हैं अतः यह भारत की अर्थव्यस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
वन-विकास या विनाश
Posted on 11 Mar, 2024 05:21 PMआजादी आने के साथ ही वृक्ष मित्र नेहरू और श्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने वन महोत्सव प्रारम्भ किया था, परन्तु वन-संरक्षक की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई। उसका मुख्य कारण वृक्षारोपण के पीछे सामान्य लोगों के जीवन की समस्याओं को हल करने वाली एक निश्चित उद्देश्य वाली नीति का अभाव रहा है। वन विभाग के अधिकारियों का सारा शिक्षण और उससे भी अधिक चिन्तन व प्रत्यक्ष कार्य व्यापारिक वानिकी का रहा है