डॉ. खुशालसिंह पुरोहित

डॉ. खुशालसिंह पुरोहित
पर्यावरण की रक्षा, अपने होने की रक्षा है
Posted on 20 Apr, 2018 06:23 PM


22 अप्रैल, 2018, पृथ्वी दिवस पर विशेष
पृथ्वी दिवस विश्व भर में 22 अप्रैल को पर्यावरण चेतना जागृत करने के लिये मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस को पहली बार सन 1970 में मनाया गया था। आजकल विश्व में हर क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के रूप में आपदाएँ पृथ्वी पर ऐसे ही बढ़ती रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी से जीव-जन्तु व वनस्पति का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।

पृथ्वी का अस्तित्व खतरे में
कृषि को समेटता जलवायु परिवर्तन
Posted on 27 Jun, 2016 12:41 PM

औद्योगिकरण एवं वर्तमान में जीवाश्म ईंधनों का अधिकाधिक उपयोग स
पड़त भूमि की समस्याएं
Posted on 04 Apr, 2012 09:18 AM

भूक्षरण से जमीन के कटाव को होने वाली क्षति का मूल्यांकन कर पाना असंभव है क्योंकि भूमि की उपजाऊ सतह को एक इंच परत

पिघल रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर
Posted on 29 Aug, 2011 12:04 PM

ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर सियाचिन दुनिया का सबसे बड़ा ग्लेशियर है। यह हिमालय और कारकोरम क्षेत्र

पर्यावरण पूरी दुनिया के लिये चिंता का विषय
Posted on 29 Aug, 2011 09:13 AM

पर्यावरण केवल इंदौर की ही नहीं, पूरे देश और दुनिया की चिंता का विषय है। भू-स्खलन, भूकंप, बाढ़ और पेड़ों की कटाई के कारण सारी दुनिया आज पर्यावरण के बढ़ते खतरे के समाने खड़ी है। हिमालय से हिंद महासागर तक नदियों में बढ़ते प्रदूषण के दुष्प्रभाव के खतरे भी बढ़ रहे हैं। बाढ़ से तबाही के कारण देश में प्रतिवर्ष सैकड़ों लोग मारे जा रहे हैं। यह सब पहाड़ों के कटाव और पेड़ों की कटाई के कारण हो रहा है। अब भ

पेड़ों से बनते हैं जीवित पुल
Posted on 28 Feb, 2011 11:00 AM

पेड़ हमेशा से हमारे मित्र रहे हैं। इनका इस्तेमाल हम कई रूपों में करते हैं, लेकिन मेघालय के चेरापूंजी में पेड़ों का अनोखा प्रयोग किया जाता है। यहां पाए जाने वाले रबर ट्री की जड़ों से स्थानीय लोग नदी के ऊपर ऐसा मजबूत पुल बना देते हैं कि उस पर से एक साथ 50 लोग गुजर सकते हैं। इन्हें जीवित पुल कहते हैं।

मालवा में रेगिस्तान
Posted on 20 Jan, 2010 02:39 PM
भारतीय मनीषियों ने हजारों वर्षों से चिंतन– मनन के बाद जलसंचय की विश्वसनीय संरचनायें विकसित की थीं। यह सारी व्यवस्था समाजाधारित थी और इसके केन्द्र में था स्थानीय समुदाय। पिछली लगभग दो शताब्दियों के दौरान इस व्यवस्था की उपेक्षा कर हमारे यहाँ नई प्रणाली पर जोर दिया गया। जिसमें संरचना की परिकल्पना से लेकर उसके निर्माण एवं रखरखाव में समाज का कोई सरोकार नहीं होता है।
वन में निहित है जीवन का अस्तित्व
जानिए वन, पर्यावरण और मानव का अटूट संबंध के बारे में
Posted on 14 Mar, 2024 03:08 PM

वन, पर्यावरण और मानव का अटूट संबंध है। मानव अपनी सभी उमंगों का आनंद वन और पर्यावरण के संग ही पा सकता है। प्रकृति की हरियाली और शीतल वायु सभी का मन मोह लेती है, यहाँ आ कर मनुष्य अपनी सारी थकावट और मानसिक तनाव से मुक्त हो जाता है। प्रकृति की गोद में पर्यावरण के संग रहना ऐसा सुखद लगता है जिसका वर्णन शब्दों में करना बहुत कठिन है। वनों और संतुलित पर्यावरण से ही हमारा अस्तित्व है, वनों का विनाश मानव

वन में निहित है जीवन का अस्तित्व
सभी लोग पानी-पर्यावरण के लिए कार्य करें
आइये, मानव जीवन प्रकृति पर कैसे निर्भर है और इसका संरक्षण क्यों जरुरी है इस विषय पर चर्चा करें | Let us discuss how human life is dependent on nature and why its conservation is important.
Posted on 23 Jan, 2024 05:08 PM

वरिष्ठ लेखक डॉ. खुशालसिंह पुरोहित से आशीष दशोत्तर की बातचीत

वरिष्ठ लेखक, पत्रकार एवं पर्यावरणविद् डॉ. खुशालसिंह पुरोहित पर्यावरण डाइजेस्ट के सम्पादक हैं। आपने मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. शिवमंगल सिंह 'सुमन' के निर्देशन में पीएच.डी. की उपाधि के बाद पर्यावरण विषय में नीदरलैण्ड से डी.

 डॉ. खुशालसिंह पुरोहित से आशीष दशोत्तर की पर्यावरण पर बातचीत
पर्यावरण चेतना के बुनियादी आधार
विश्व में बढ़ते बंजर इलाके फैलते रेगिस्तान, कटते जंगल, लुप्त हो पेड़-पौधे और जीव जंतु, प्रदूषणों दूषित पानी, कस्बों एवं शहरों पर गहरा गंदी हवा, हर वर्ष बढ़ते बाढ़ एवं सूखे प्रकोप इस बात के साक्षी हैं कि हम अपनी धरती, अपने पर्यावरण की ठीक देखभाल नहीं की और इससे होने वा संकटों का प्रभाव बिना किसी भेदभाव समस्त विश्व, वनस्पति जगत और प्राण मात्र पर समान रूप से पड़ा है।
Posted on 15 Sep, 2023 04:54 PM

आजकल विश्व भर में पर्यावरण और इसके संतुलन की बहुत चर्चा है। पर्यावरण क्या है, इसके संतुलन का क्या अर्थ है, यह संतुलन क्यों नहीं है, ये प्रश्न समय-समय पर उठते रहे हैं, लेकिन आज इन प्रश्नों का महत्व बढ़ गया है, क्योंकि वर्तमान में पर्यावरण विघटन की समस्याओं ने ऐसा विकराल रुप धारण कर लिया है कि पृथ्वी पर प्राणी मात्र के अस्तित्व को लेकर भय मिश्रित आशंकाएं पैदा होने लगी हैं।

पर्यावरण चेतना के बुनियादी आधार
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