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समाचार और आलेख
नैनीताल में पहाड़ों की सुरक्षा और विकास
Posted on 04 Mar, 2024 04:38 PM1895 में सर एंटोनी पेट्रिक मैकडॉनल नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस के लेफ्टिनेंट गवर्नर बने। उनके गवर्नर बनने के बाद नैनीताल के विकास को एकाएक पंख लग गए। सर एंटोनी पेट्रिक मैकडॉनल ने नैनीताल के अधिसंरचनात्मक सुविधाओं के विकास में व्यक्तिगत तौर पर दिलचस्पी दिखाई। उनके कार्यकाल के दौरान नैनीताल में उच्च तकनीकी से लैस एक नया और नायाब नालातंत्र विकसित हुआ। घरों में नलों द्वारा पीने के साफ एवं स्वच्छ पानी
नैनीताल भू-स्खलन: विशेष सिविल अधिकारी की रिपोर्ट
Posted on 02 Mar, 2024 03:24 PMशेर-का-डांडा पहाड़ी के 18 सितंबर, 1880 के भू-स्खलन के बाद इस क्षेत्र में तैनात विशेष सिविल अधिकारी मिस्टर एच. सी. कोनीबीयरे, ( ई.एस.क्यू.सी. एस.) ने 11 अक्टूबर, 1880 को नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एण्ड अवध के सचिव को भू-स्खलन के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी। इस रिपोर्ट का हिन्दी भावार्थ निम्न प्रकार थाः-
नैनीताल में बसावट शुरु होते ही भू-स्खलन
Posted on 01 Mar, 2024 05:19 PMब्रिटिश हुक्मरान नैनीताल में अधिसंरचनात्मक सुविधाओं के प्रबंध में जुटे ही थे कि बसावट शुरु होने के महज 25 साल बाद अगस्त 1867 में मल्लीताल के पॉपुलर स्टेट में भू-स्खलन हो गया। इस भू-स्खलन में विक्टोरिया होटल का नव निर्मित एक कॉटेज दब गया था। विक्टोरिया होटल के पास स्थित पुलिया में एक हिन्दुस्तानी की मृत्यु हो गई थी। इस भू-स्खलन ने अंग्रेजों को नैनीताल की क्षण भंगुर पारिस्थितिक तंत्र की इत्तला दे
प्राकृतिक प्रवाह की पुनर्रचना गंगा पर अंतर्मंत्रालयी समूह की अनुशंसाओं की एक समीक्षा
Posted on 01 Mar, 2024 01:43 PMअप्रैल 2013 में, योजना आयोग के सदस्य भी के चतुर्वेदी की अध्यक्षता में अंतर्मंत्रालयी समूह (आईएमजी) ने प्रधानमंत्री कार्यालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में, आठ महीनों तक 25 प्रतिशत तथा चार महीनों के दौरान 30 प्रतिशत प्राकृतिक प्रवाष्ठ की संस्तुति की गई। यह प्रस्ताव वर्तमान परिस्थितियों से एक सुनिश्चित प्रगति है, जहां जल-ऊर्जा प्रॉजेक्टों के डिजाइन में प्राकृतिक प्रवाह के रूप में, 10 प्रति
नैनीताल उत्तराखण्ड के लिए एक धरोहर के रूप में
Posted on 01 Mar, 2024 12:16 PMनैनीताल की झील बाहरी हिमालय में मेन बाउन्ड्री थ्रस्ट के करीब स्थित प्रकृति की दुर्लभ रचना है। सात ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं से घिरे नैनीताल की भू-आकृति कटोरानुमा है। नैनीताल, पट्टी / परगना छःखाता के अन्तर्गत आता है। छःखाता शब्द संस्कृत का अपभ्रंश है। छःखाता का भावार्थ है- 60 झीलों वाला क्षेत्र। जिसमें से नैनीताल, भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल, मलुवाताल, खुर्पाताल, सरियाताल और बरसाती झील सूखाताल आदि श
ऊपरी प्रवाह-क्षेत्र में गंगा का स्वरूप
Posted on 29 Feb, 2024 12:04 PMबांधयुक्त और सूखी है गंगा यहाँ। क्या यहां प्राकृतिक प्रवाह की एक नीति होनी चाहिए, जो यह तय करे कि नदी का स्वरूप पुनर्निर्मित होने के बजाए जलऊर्जा परियोजनाएं पुनर्निर्मित हों? गंगा अपने ऊपरी प्रवाह क्षेत्र में (उत्तराखंड राज्य में), अभियांत्रिकी के खेल का मैदान बन गई है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) तथा उत्तराखंड बिजली विभाग ने नदी की जलऊर्जा संभावना का अनुमान लगभग 9,000 मेगावाट लगाया है
गंगा नदी : प्रदूषण के क्या समाधान हैं, हमें क्या करना होगा
Posted on 28 Feb, 2024 04:42 PMइसका जवाब है घुलाव (डायल्युशन) और प्राकृतिक प्रवाह (इकोलोजिकल फ्लो)। इसका जवाब यह भी है कि जलमल का प्रबंधन कैसे किया जाए। और उद्यौगिक प्रदूषण का नियंत्रण कैसे हो
गंगा नदी : औद्योगिक प्रदूषण की समस्याएं और समाधान
Posted on 28 Feb, 2024 03:53 PMमुख्य गंगा में औद्योगिक प्रदूषण का छोड़ा जाना हमेशा से चिंता और तवज्जो का मुद्दा रहा है, किंतु बिना अधिक सफलता के समस्या यह है कि बहुत से उद्योग जो गंगा में हानिकारक रासायनिक प्रदूषक तत्व प्रवाहित करते हैं, लघु-स्तरीय हैं, और उनके लिए ट्रीटमेंट की तकनीक नाकाफी तथा अवहनीय है।
गंगा नदी में प्रदूषण और उसकी सफाई के लिए संभावित कार्य योजना
Posted on 28 Feb, 2024 01:31 PMगंगाः नदी का प्रवाह
पांच राज्यों से होकर बहने वाली गंगा के प्रवाह क्षेत्र में देश का लगभग 26 प्रतिशत भूभाग आता है। इसकी सफाई पर अकूत धन खर्च करने के बावजूद यह नदी आज भी प्रदूषित है। इससे भी बुरी बात यह है कि प्रदूषण अब उन हिस्सों में भी पाया जा रहा है जो पहले साफ माने जाते थे।
गंगा व सोन समेत 22 नदियों का पानी नहाने के लायक नहीं
Posted on 27 Feb, 2024 06:06 PMसूबे को 22 नदियां जीवनदायिनी की बजाए बीमारी का मुख्य स्रोत बनती जा रही है। सूबे की जीवनरेखा कही जाने वाली नदियां राज्य को आधे से अधिक आबादी को प्रभाषित कर रही है। जाने-अनजाने में लोग आस्था के नाम पर नदियों के पानी उपयोग कर रहे हैं, लेकिन इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने की संभावना प्रबल हो गई है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद् ने वर्ष 2023- 24 की वार्षिक रिपोर्ट में यह खुलास हुआ है। र