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आखिर कागज पर क्यों उग रहे हैं असंख्य पेड़
जाने सरकारो द्वारा पेड़-पौधे लगाकर हरियाली लाने के लिए कई कार्यक्रम चलाने के बावजूद क्यों कागजों पर उग रहे हैं असंख्य पेड़ Posted on 23 Mar, 2024 05:04 PM

सरकार ने देश भर में पेड़-पौधे लगाकर हरियाली लाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए और करोड़ों रुपए खर्च कर डाले। इससे महज कागज पर असंख्य पेड़ जरूर उग गए किन्तु असलियत में ये आज सीमित संख्या में ही नजर आते हैं। जहां जरूरत थी-चारे, फल, लकड़ी या खाद के लिए काम आने वाले पौधे की, वहां लुगदी और पल्प उद्योग में प्रयुक्त होने वाले पेड़ लगाए गए। वृक्षारोपण में न तो भू-क्षरण पर जोर दिया गया और न ही जल-संरक्षण पर।

आखिर कागज पर क्यों उग रहे हैं असंख्य पेड़
पर्यावरण और विकास का द्वंद्व
जानिए पर्यावरण संरक्षण और विकास एक साथ कैसे चल सकते है। Posted on 23 Mar, 2024 02:19 PM

बिगड़ते पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत करने वाले आन्दोलनों को उठे ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, पर यह काफी आगे बढ़े है। लेकिन इसके साथ ही विकास बनाम पर्यावरण सुरक्षा का विवाद भी उठ खड़ा हो गया है। लेखक का मानना है कि यह व्यर्थ का विवाद है इसे वही लोग चला रहे हैं जो विकास की उसी धारा के पक्षधर हैं जिसने पर्यावरण का विनाश किया है।

पर्यावरण और विकास का द्वंद्व
न बाढ़ रहे न सूखा
जानिए बाढ़ और सूखा दोनों का मूल कारण क्या है और कैसे इसे कम कर सकते हैं Posted on 23 Mar, 2024 01:08 PM

बाढ़ और सूखे की बाहरी पहचान उतनी ही अलग है जितनी पर्वत और खाई की-एक ओर वेग से बहते पानी की अपार लहरें हैं तो दूसरी ओर बूंद-बूंद पानी को तरसते सूखी, प्यासी धरती। इसके बावजूद प्रायः यह देखा गया है कि बाढ़ और सूखे दोनों के मूल में एक ही कारण है और वह है उचित जल-प्रबंध का अभाव। जल-संरक्षण की उचित व्यवस्था न होने के कारण जो स्थिति उत्पन्न होती है, उसमें हमें आज बाढ़ झेलनी पड़ती है तो कल सूखे का सामन

न बाढ़ रहे न सूखा
बाड़ ही खेत खाए तो बचाए कौन
जानिए उत्तराखण्ड के 84 प्रतिशत सुरक्षित वन क्षेत्र वाले उत्तरकाशी जिले में वन क्यों असुरक्षित होते जा रहे है Posted on 23 Mar, 2024 12:40 PM

उत्तरकाशी जिले में 84 प्रतिशत क्षेत्र सुरक्षित वन का है और इस जिले में तीन वन प्रभाग है। उत्तर प्रदेश वन निगम से प्राप्त नवीनतम आंकड़ों के अनुसार टौंस वन प्रभाग से सन् 1985-86 में व्यापार के लिए 37,844,739 घन मीटर लकड़ी निकाली गई लेकिन गांव वालों की लघु मांग को दी गई 1004.44184 घन मीटर लकड़ी ही। टिहरी वन प्रभाग में जहां कार्य योजना के अनुसार गांव के लोगों को 10,088 घन मीटर लकड़ी निःशुल्क दी जान

बाड़ ही खेत खाए तो बचाए कौन
पर्यावरण संरक्षण में पीछे नहीं हैं महिलाएं
जानिए पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका और उनके बलिदान के बारे में Posted on 23 Mar, 2024 12:24 PM

इस क्षेत्र में महिलायें अहम् भूमिका निभा सकती हैं। महिलायें जहां एक और अपने शिशुओं को पर्यावरण के महत्व को बखूबी समझ सकती हैं, वहीं दूसरी ओर समाज को भी राह दिखा सकती हैं। राजस्थान में बिश्नोई जाति की महिलाओं का वृक्षों के प्रति प्रेम तथा उनके द्वारा वृक्षों की रक्षा हेतु अपना बलिदान सराहनीय है। इतिहास साक्षी है जब-जब महिलाओं ने किसी भी संकट का सामना किया है, वह संकट खत्म हो गया है। अतः यह जरूरी

पर्यावरण संरक्षण में पीछे नहीं हैं महिलाएं
विश्व जल दिवस पर यूसर्क द्वारा दो दिवसीय जल को जानो कार्यक्रम प्रारंभ 
जानिए उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) देहरादून द्वारा विश्व जल दिवस दो दिवसीय कार्यक्रम के बारे में Posted on 22 Mar, 2024 11:53 AM

(Know the Water)" Experiential Learning

उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) देहरादून द्वारा विश्व जल दिवस 2024 के अवसर पर  दिनाँक 21 मार्च 2024 को यूसर्क के सभागार में दो दिवसीय Experiential Learning program के अंतर्गत "पानी को जानो (Know the Water)" कार्यक्रम शुभारंभ किया गया। 

विश्व जल दिवस पर यूसर्क द्वारा दो दिवसीय "जल को जानो कार्यक्रम प्रारंभ 
विश्व जल दिवस कैसे मनाए
जानिए कैसे मनाए जल स्रोत सम्मान दिवस Posted on 18 Mar, 2024 12:02 PM

विश्व जल दिवस के दिन जल पर हम संगोष्ठी,वाद विवाद ,नृत्य, गीत इत्यादि कार्यक्रम कर  मनाते आए हैं।  2021 से इस दिवस को हम हमारे जल दाता अर्थात जल स्रोत कुआ, बावड़ी, हैंडपंप, ट्यूबवेल, नदी , तालाब, समुद्र,जलपात्र,मटकी,नल ,लोटा इत्यादि  का पूजन इस दिवस पर करते आए हैं। मैंने मेरे बचपन में मेरे मामा  स्वर्गीय श्री  धर्मचंद जी बाफना को अपने खेत के कुएं की दीवार में स्थित छोटे से मंदिर की पूजा करते देख

विश्व जल दिवस कैसे मनाए
केरल: हर जिले में जैविक खेती पर जोर
जानिए केरल के कोच्चि शहर में स्थित एलुवा स्टेट सीड फार्म के बारे में जिसे भारत का पहला कार्बन न्यूट्रल सीड फार्म है घोषित किया गया है क्यूंकि यह फार्म रसायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं करता है Posted on 15 Mar, 2024 02:28 PM

केरल के कोच्चि शहर में थुरुथ आइलैंड है। यह देश का पहला कार्बन न्यूट्रल सीड फार्म यानी ऐसा खेत जहां से कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। इसे एलुवा स्टेट सीड फार्म नाम दिया गया है। यह एक आदर्श फार्म है, क्योंकि इस फार्म में केमिकल्स का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं होता है। 13.5 एकड़ में फैले इस फार्म में केवल नाव, बोट या रेलवे ट्रैक से चलकर ही पहुंचा जा सकता है। कोई भी वाहन इस फार्म में प्रवेश नहीं कर सकता

केरल में जैविक खेती पर जोर
पर्यावरण एवं भारतीय संस्कृति
जानिए पर्यावरण एवं भारतीय संस्कृति के गहरे संबध के बारे में Posted on 15 Mar, 2024 02:22 PM

आज सारे संसार में पर्यावरण रक्षण की चेतना जागृत  जाग चुकी है। पर्यावरण के प्रदूषण ने संसार के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है। यह सही है कि धरती का यह संकट विशेषकर विकसित देशों की देन है। उनकी आर्थिक लिप्सा ने प्रकृति का इस तरह विध्वंस करना शुरु किया कि आज जो विभीषिका सामने आई है, जो त्रासदी दिखाई देने लगी है, उसके निवारण के लिए पूरा संसार चिंतित हो रहा है।

पर्यावरण एवं भारतीय संस्कृति
पर्यावरण परिक्रमा
जानिए, पानी, पेड़,वन्य जीव और पर्यावरण संरक्षण हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण हो गया है Posted on 15 Mar, 2024 12:32 PM

म.प्र.

पर्यावरण परिक्रमा
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