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समाचार और आलेख
भारत,दक्षिण एशिया में जल सुरक्षा की स्थिति
Posted on 27 Mar, 2024 03:25 PMजम्बूद्वीप स्थित हिंदुस्तान का एक नाम भारत वर्ष है। भारत वर्ष एक समुचित अर्थपूर्ण मुहावरा है। भारत का अर्थ है- भरत (यानी शकुंतला और दुष्यन्त के पुत्र) से संबंधित, 'वर्ष' बहु अर्थीय शब्द है। वर्ष वर्षा को भी कहते हैं और धरती के भू-भाग को भी कहते हैं। वर्ष उस कालावधि को भी कहते हैं, जिसमें पृथ्वी सूर्य की निर्धारित परिक्रमा को पूरा करती है। भारत वर्ष के मुहावरे में वर्ष के ये तीनों अर्थ समाहित है
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जो एक सौ बीस दिनों तक उत्तराखण्ड में घूमते रहे
Posted on 26 Mar, 2024 03:10 PMमण्डल और फाटा में चिपको आन्दोलन शुरू हुआ, ती सुन्दर लाल बहुगुणा को लगा कि यह बात पूरे उत्तराखण्ड में फैलानी चाहिए। अतः स्वामी रामतीर्थ के निर्वाण दिवस के अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड की पदयात्रा शुरू कर दी। स्वामी रामतीर्थ ने दीपावली के अवसर पर टिहरी के समीप सिमलासू के नीचे भिलंगना नदी में जल-समाधि ले ली थी। सुंदर लाल बहुगुणा ने 25 अक्टूबर सन् 1973 को सिमलासू से अपनी पदयात्रा शुरू की। उनकी पदयात
![जो एक सौ बीस दिनों तक उत्तराखण्ड में घूमते रहे](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-03/Chipko%20andolan.jpg?itok=JkfFBw8q)
खाद्य विज्ञान की समझ से ही सुखद मानव जीवन की रचना संभव है
Posted on 26 Mar, 2024 12:43 PMशीशपाल हरडू जी मेरे मित्र हैं जो हरियाणा के सिरसा जिले के ऐलनाबाद ब्लाक के गाँव कुमथल के रहने वाले हैं। कोआपरेटिव विषय में पी.एच.डी.
![](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-03/OIG4%20%285%29.jpeg?itok=plGww7MS)
गंगा की तर्ज पर देश की छह विशाल नदियों का होगा कायाकल्प
Posted on 26 Mar, 2024 12:39 PMगंगा की तर्ज पर देश की छह विशाल नदियों का कायाकल्प होगा। छह नदियों के बेसिन प्रबंधन की जिम्मेदारी 12 तकनीकी शिक्षण संस्थाओं को सौपी गई है। इस संबंध में आज एक समारोह में अनुबंध पत्र हस्तांतरित किए गए।
![गंगा की तर्ज पर देश की छह विशाल नदियों का होगा कायाकल्प](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-03/Ganga%20river.jpeg?itok=bRRlvdL-)
जब चिपको आन्दोलन के गर्भपात की नौबत आयी
Posted on 26 Mar, 2024 11:37 AMजनवरी, 1979 को सुन्दरलाल बहुगुणा ने हिमालय के वनों को संरक्षित वन घोषित करवाने के लिए 24 दिनों का उपवास किया था। लिहाजा उत्तर-प्रदेश सरकार ने फरवरी के अन्तिम सप्ताह में नये शासनादेश जारी कर हरे पेड़ों की कटाई पर पूर्ण पाबंदी लगा दी। सो गाँव वालों को निःशुल्क और पी. डी.
![जब चिपको आन्दोलन के गर्भपात की नौबत आयी](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-03/clean%20water%20Mangement.jpeg?itok=5k6Bf_jg)
हिमालय का नूतन अभिषेक करें
Posted on 23 Mar, 2024 05:22 PMमैं स्वः पं. गोविन्द वल्लभ जी पंत के प्रति, जिनकी स्मृति में इस व्याख्यान का आयोजन किया गया है, अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। हिमालय में जन्म लेकर उन्होंने देश के लिये जो सेवाएँ की हैं, उससे हिमालय का गौरव बढ़ा है। दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों में आत्म-विश्वास बढ़ा है।
![हिमालय का नूतन अभिषेक करें](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-03/Himalayan%20region.jpeg?itok=fuZv1t-t)
आखिर कागज पर क्यों उग रहे हैं असंख्य पेड़
Posted on 23 Mar, 2024 05:04 PMसरकार ने देश भर में पेड़-पौधे लगाकर हरियाली लाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए और करोड़ों रुपए खर्च कर डाले। इससे महज कागज पर असंख्य पेड़ जरूर उग गए किन्तु असलियत में ये आज सीमित संख्या में ही नजर आते हैं। जहां जरूरत थी-चारे, फल, लकड़ी या खाद के लिए काम आने वाले पौधे की, वहां लुगदी और पल्प उद्योग में प्रयुक्त होने वाले पेड़ लगाए गए। वृक्षारोपण में न तो भू-क्षरण पर जोर दिया गया और न ही जल-संरक्षण पर।
![आखिर कागज पर क्यों उग रहे हैं असंख्य पेड़](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-03/Trees_0.jpeg?itok=zHJ8tF1E)
पर्यावरण और विकास का द्वंद्व
Posted on 23 Mar, 2024 02:19 PMबिगड़ते पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत करने वाले आन्दोलनों को उठे ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, पर यह काफी आगे बढ़े है। लेकिन इसके साथ ही विकास बनाम पर्यावरण सुरक्षा का विवाद भी उठ खड़ा हो गया है। लेखक का मानना है कि यह व्यर्थ का विवाद है इसे वही लोग चला रहे हैं जो विकास की उसी धारा के पक्षधर हैं जिसने पर्यावरण का विनाश किया है।
![पर्यावरण और विकास का द्वंद्व](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-03/Vikas%20aur%20vinash%20%28100%29_0.jpeg?itok=1L874vVD)
न बाढ़ रहे न सूखा
Posted on 23 Mar, 2024 01:08 PMबाढ़ और सूखे की बाहरी पहचान उतनी ही अलग है जितनी पर्वत और खाई की-एक ओर वेग से बहते पानी की अपार लहरें हैं तो दूसरी ओर बूंद-बूंद पानी को तरसते सूखी, प्यासी धरती। इसके बावजूद प्रायः यह देखा गया है कि बाढ़ और सूखे दोनों के मूल में एक ही कारण है और वह है उचित जल-प्रबंध का अभाव। जल-संरक्षण की उचित व्यवस्था न होने के कारण जो स्थिति उत्पन्न होती है, उसमें हमें आज बाढ़ झेलनी पड़ती है तो कल सूखे का सामन
![न बाढ़ रहे न सूखा](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-03/flood%20and%20rain.jpeg?itok=eJgBVlhX)