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अध्याय एक आहर-पइन शंका समाधान
जाने आहर-पइन के बारे और इससे जुडी धारणाओं एवं सच्चाई के बारे में
Posted on 02 Apr, 2024 02:11 PM

आहर-पइन पर चर्चा करने के पहले जरूरी है कि इसके बारे में बनी गलत धारणाओं एवं सच्चाई से भी रूबरू हुआ जाय। इसलिये मैं शुरू में ही कुछ ऐसी बातें कर रहा हूँ ताकि अगर मन में कोई दुविधा या शंका हो तो मिट जाये। आदमी के मन में शंका हो तो पहले उसका समाधान करना जरूरी होता है। किसानों के मन में उभरे सवालों एवं शंकाओं का समाधान जरूरी है। तभी महसूस होगा कि यह काम करना सही है और जरूरी भी, और फलाँ बात बेतुकी त

अध्याय एक आहर-पइन शंका समाधान
हिमालय : भारतीय उप महाद्वीप के जल चक्र का नियामक
जानिए हिमालय का महत्व और भारत के लिए इसका महत्व Posted on 01 Apr, 2024 11:30 AM

हिमालय का संबंध केवल भारत से ही नहीं है। इससे निकलने और बहने वाली नदियां केवल भारतीय भूभाग में ही नहीं बहतीं बल्कि एशिया महाद्वीप के कई देशों में बहती हैं।भारतीय उपमहाद्वीप की अति विशिष्ट पारिस्थितिकी की कुंजी हिमालय का भूगोल है लेकिन पिछले दो सौ बरसों में हिमालय के बारे में हमारे अज्ञान का निरंतर विस्तार हुआ है। हिमालय जितना पराया फिरंगियों के लिए था, आज हमारे लिए उससे भी अधिक पराया हो गया है।

गंगा की पवित्रता और नदियों की मृत्यु
जाने गंगा और उसकी सहायक नदियों के अस्तित्व के बारे में Posted on 28 Mar, 2024 11:08 AM

गंगा किसी एक अकेली नदी का नाम नहीं है। गंगा नाम से कई नदियां मिलेंगी। राम गंगा, बाण गंगा तो हैं ही अन्य नदियों को भी लोग गंगा के नाम से पुकारते हैं, जैसे- गया की फल्गु को गंगा कहा जाता है। जब गंगा की पवित्रता की बात हो रही हो तो समझना चाहिए कि इस अर्थ की व्यापकता समस्त पवित्र जल तक जायेगी, जिसका नेतृत्व हिमालय की गंगा करती है।

गंगा की पवित्रता और नदियों की मृत्यु
भारत,दक्षिण एशिया में जल सुरक्षा की स्थिति
जाने भारत,दक्षिण एशिया में जल सुरक्षा की स्थिति के बारे में विस्तार से जाने Posted on 27 Mar, 2024 03:25 PM

जम्बूद्वीप स्थित हिंदुस्तान का एक नाम भारत वर्ष है। भारत वर्ष एक समुचित अर्थपूर्ण मुहावरा है। भारत का अर्थ है- भरत (यानी शकुंतला और दुष्यन्त के पुत्र) से संबंधित, 'वर्ष' बहु अर्थीय शब्द है। वर्ष वर्षा को भी कहते हैं और धरती के भू-भाग को भी कहते हैं। वर्ष उस कालावधि को भी कहते हैं, जिसमें पृथ्वी सूर्य की निर्धारित परिक्रमा को पूरा करती है। भारत वर्ष के मुहावरे में वर्ष के ये तीनों अर्थ समाहित है

भारत,दक्षिण एशिया में जल सुरक्षा की स्थिति
जल ईश्वर का अमूल्य उपहार है
जानिए जल क्या है जल के प्रकार जल की अवस्थाएं के बारे में
Posted on 27 Mar, 2024 12:37 PM

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जल ईश्वर का अमूल्य उपहार है
जो एक सौ बीस दिनों तक उत्तराखण्ड में घूमते रहे
जानिए चिपको आन्दोलन में पदयात्रा निकालने का क्या कारण था Posted on 26 Mar, 2024 03:10 PM

मण्डल और फाटा में चिपको आन्दोलन शुरू हुआ, ती सुन्दर लाल बहुगुणा को लगा कि यह बात पूरे उत्तराखण्ड में फैलानी चाहिए। अतः स्वामी रामतीर्थ के निर्वाण दिवस के अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड की पदयात्रा शुरू कर दी। स्वामी रामतीर्थ ने दीपावली के अवसर पर टिहरी के समीप सिमलासू के नीचे भिलंगना नदी में जल-समाधि ले ली थी। सुंदर लाल बहुगुणा ने 25 अक्टूबर सन् 1973 को सिमलासू से अपनी पदयात्रा शुरू की। उनकी पदयात

जो एक सौ बीस दिनों तक उत्तराखण्ड में घूमते रहे
खाद्य विज्ञान की समझ से ही सुखद मानव जीवन की रचना संभव है
जानिए हरयाणा के शीशपाल हरडू जी के सहयोग और प्रयोग से प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन मिला और उनकी मेहनत रंग लायी Posted on 26 Mar, 2024 12:43 PM

शीशपाल हरडू जी मेरे मित्र हैं जो हरियाणा के सिरसा जिले के ऐलनाबाद ब्लाक के गाँव कुमथल के रहने वाले हैं। कोआपरेटिव विषय में पी.एच.डी.

गंगा की तर्ज पर देश की छह विशाल नदियों का होगा कायाकल्प
जानिए गंगा की तर्ज पर देश की छह विशाल नदियों का कायाकल्प के बारे में Posted on 26 Mar, 2024 12:39 PM

गंगा की तर्ज पर देश की छह विशाल नदियों का कायाकल्प होगा। छह नदियों के बेसिन प्रबंधन की जिम्मेदारी 12 तकनीकी शिक्षण संस्थाओं को सौपी गई है। इस संबंध में आज एक समारोह में अनुबंध पत्र हस्तांतरित किए गए।

गंगा की तर्ज पर देश की छह विशाल नदियों का होगा कायाकल्प
जब चिपको आन्दोलन के गर्भपात की नौबत आयी
जानिए क्यों चिपको आन्दोलन महिलाओं के एक बड़ी चुनौती बन गया Posted on 26 Mar, 2024 11:37 AM

जनवरी, 1979 को सुन्दरलाल बहुगुणा ने हिमालय के वनों को संरक्षित वन घोषित करवाने के लिए 24 दिनों का उपवास किया था। लिहाजा उत्तर-प्रदेश सरकार ने फरवरी के अन्तिम सप्ताह में नये शासनादेश जारी कर हरे पेड़ों की कटाई पर पूर्ण पाबंदी लगा दी। सो गाँव वालों को निःशुल्क और पी. डी.

जब चिपको आन्दोलन के गर्भपात की नौबत आयी
हिमालय का नूतन अभिषेक करें
जाने हिमालय जो कभी तपस्या की भूमि थी, अब वह भोग भूमि और सीमा के खतरे की भूमि कैसे बन गई है। Posted on 23 Mar, 2024 05:22 PM

मैं स्वः पं. गोविन्द वल्लभ जी पंत के प्रति, जिनकी स्मृति में इस व्याख्यान का आयोजन किया गया है, अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। हिमालय में जन्म लेकर उन्होंने देश के लिये जो सेवाएँ की हैं, उससे हिमालय का गौरव बढ़ा है। दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों में आत्म-विश्वास बढ़ा है।

हिमालय का नूतन अभिषेक करें
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