मध्य प्रदेश

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विकास और विस्थापन
Posted on 15 Sep, 2015 03:17 PM
दुनिया का इतिहास समाज के बदलते चरित्र की कहानी ही तो है। कहते
नर्मदा घाटी का परिचय
Posted on 15 Sep, 2015 02:39 PM नर्मदा घाटी के जीवाश्मों का तिलिस्म अभी तक पूरी तरह तो किसी को समझ में नहीं आ सका है परन्तु इसकी थोड़ी-बहुत थाह लेने के लिये भी विंध्य और सतपुड़ा की प्राचीरों से घिरे नौका के आकार वाले इस अति प्राचीन क्षेत्र का पुराना और नया भुगोल दोनों ही जानना अपरिहार्य हैं। नर्मदा और इसकी सहायक नदियों के अंचल में तरह-तरह के जीवाश्मों के रूप में प्रकृति कौन-कौन से रहस्य कहाँ-कहाँ से मिले हैं इस बारे में विस्त
पर्यावरण को समर्पित गणेश प्रतिमा
Posted on 14 Sep, 2015 10:42 AM

पानी और पर्यावरण के लिये उठाए विशेष कदम


धार। जिलास्तरीय उत्कृष्ट विद्यालय धार के विद्यार्थियों ने शिक्षकों की प्रेरणा से इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएँ बनाई थीं। इन गणेश प्रतिमाओं का रंगरोगन करके इनको स्कूल में प्रदर्शनी लगाकर प्रस्तुतिकरण किया गया। उत्कृष्ट विद्यालय के विद्यार्थियों की यह पहल जिले भर में सराही जा रही है।

Ganesh statue
जिले के चिकित्सकों को बताए गए फ्लोरोसिस के लक्षण और कारण
Posted on 13 Sep, 2015 11:15 AM

धार। राष्ट्रीय फ्लोरोसिस निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत पहली बार शासकीय चिकित्सकों को इस बात का प्रशिक्षण दिया गया है कि वे जिले में फ्लोरोसिस की बीमारी के लक्षण वाले लोगों को किस तरह से चिन्हित करें। अब तक कभी भी चिकित्सकों को इस तरह का कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया।

training on fluoride
स्कूलों में नक्षत्र वाटिका विकसित करेंगे
Posted on 13 Sep, 2015 10:42 AM 27 तरह के पेड़ों को विकसित कर नक्षत्रों से परिचित होंगे विद्यार्थी
garden
क्षिप्रा-नर्मदा जोड़-तोड़
Posted on 10 Sep, 2015 12:54 PM उज्जैन में क्षिप्रा नदी ने अपने किनारों को तोड़ कर सब मन्दिरों, घाटों, हाट-बाजारों और गली-मोहल्लों में चक्कर लगा कर एक बार फिर यह बताने, समझाने की कोशिश की है कि नदियों को जीवित करने के लिये उनमें कहीं और से पानी लाकर डालना ठीक नहीं है। ऐसी सूखी मानी गई नदी पूरे शहर-गाँवों को डुबो सकती है। नदी, वर्षा, तालाब और भूजल का यह विचित्र खेल समझा रहे हैं श्री विनायक परिहार।

.देश भर में नदियों को जोड़ने की बात एक बार फिर तेजी से होने लगी है। इसे समय की जरूरत बताते हुए कहा जा रहा है कि इससे देश की 90 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि को सिंचित किया जा सकता है। इस परियोजना को देश के सर्वोच्च न्यायालय से समयबद्ध क्रियान्वयन का निर्देश भी दिया जा चुका है।

लेकिन इस पर न तो कोई आम बहस होने दी गई और न सम्बन्धित लोगों, जन संगठनों या स्वतंत्र विशेषज्ञों से कोई राय ही ली गई है। वैसे तो नदी जोड़ो परियोजना कागज और भाषणों में सम्मोहक लगती है लेकिन इस परियोजना के दूसरे पहलुओं पर नजर डालें तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि जब तक यह कागज और जुबान पर है, तभी तक अच्छी है।
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