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मध्य प्रदेश
नारू रोग की आशंका से आदिवासी पशोपेश में
Posted on 18 Aug, 2015 09:42 AMडॉ बीएस बघेल बताते हैं कि उन्हें शुरू से ही लग रहा है कि यह नारू कक्यों है दालों का संकट
Posted on 17 Aug, 2015 09:44 AMमिट्टी की उर्वरता कायम रखने में दलहन की खेती बहुत महत्त्वपूर्ण होतीगाँव में आसान हुआ पानी तो सपने भी हुए पूरे
Posted on 16 Aug, 2015 12:11 PMकरीब 15 साल पहले वह शादी के बाद जब से दुल्हन बन कर इस गाँव में आई थी, तब से थोड़े दिनों पहले तक उसकी जिन्दगी धुँआ–धुँआ सी ही थी। जैसे जिन्दगी इन थोड़े ही दिनों में उसे बोझ सी लगने लगी थी। अल सुबह से पानी की चिन्ता सताने लगती तो रात को सुबह जल्दी उठने की चिन्ता बनी ही रहती। इस गाँव में घर के लिए जरूरी पानी जुटाना जैसे बड़ी मशक्कत से कम नहीं हुआ करता था। वह ह
पानी बचाने के लिए आदिवासी करते हैं पाट की खेती
Posted on 16 Aug, 2015 11:40 AMजिन्हें हम आमतौर पर अशिक्षित और पिछड़ा हुआ समझते हैं, वे कुछ बातों में हमसे भी आगे हैं। एक तरफ हम पढ़े–लिखे समझे जाने वाले समाज के लोग खेतों में सिंचाई के लिए बड़ी तादाद में पानी का अंधाधुंध उपयोग करते हैं। हम करीब 60 फीसदी भू-जल का उपयोग सिंचाई के लिए ही कर रहे है वहीं पौधों तक पानी पहुँचाने के लिए बिजली और डीजल की बड़ी मात्रा में खपत करते हैं लेकिन दूसरी तरफ पीढ़ियों से शिक्षा और विज्ञान से दूर रह
हम आसमां हैं हमको डुबानेवाले खुद ही डूब जाओगे
Posted on 14 Aug, 2015 02:27 PMसरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई बढ़ाने के विरोध में लोगों का गुस्सा चरम पर है। कलीम भाई मसूरी एक शायर हैं। नर्मदा के सवाल को उन्होंने इन पंक्तियों में अभिव्यक्त किया है-
''ऐसा कभी चाहत का समंदर नहीं मिलेगा
घर छोड़कर मत जाओ कोई घर नहीं मिलेगा
सताएगी फिर आपको इस आन्दोलन की बात
जब धूप में कोई साया सिर पर घर न मिलेगा।
भोपाल का बड़ा ताल भी हो रहा प्रदूषितः एनजीटी नाराज
Posted on 14 Aug, 2015 01:22 PMअपनी अप्रतिम सुन्दरता और बड़े आकार जैसी खासियतों से भोपाल का बड़ा तालाब एशिया के बड़े जलस्रोतों में गिना जाता है। पूरा भोपाल शहर इसी 31 किमी क्षेत्रफल में फैले बड़े ताल के आस-पास बसा है। शहर के बीचो-बीच जब इसका नीला पानी ठाठे मारता है तो पूरे शहर के बाशिंदे अपना तनाव भूलकर इसकी ऊँची–ऊँची लहरों को उठते–गिरते टकटकी लगाए देखने लगते हैं। हर शाम इसके किनारों पर हजारोन गाँव में न स्कूल में मिल रहा है फ्लोराइडमुक्त पानी
Posted on 14 Aug, 2015 10:26 AMधार। तिरला विकासखण्ड के अनेक ग्रामों में अभी भी फ्लोराइडमुक्त पानी नहीं मिल पा रहा है। वजह यह है कि जिन योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाना था वे पूरी तरह से ठप है। कई बार इस तरह के मामले सामने आने पर भी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने कोई तत्परता नहीं दिखाई।
कागजों पर नदी-नालों और जंगल में बना दिए खेत
Posted on 13 Aug, 2015 11:42 AM60 साल के सिद्धूजी इस बात से बेहद खुश थे कि अब वे भी अपनी जमीन के खुद मालिक बनेंगे। दूसरों के खेत में मजदूरी करते हुए उनकी कई पीढियाँ गुजर चुकी है। लेकिन अब उनके भाग जगे हैं, देर से ही सही। उन्हें सरकार ने बकायदा पट्टा लिखकर अपने ही गाँव की 5 बीघा जमीन का मालिक भी करार दे दिया। ख़ुशी के मारे वे रात भर खुली आँखों से सपने देखता रहे। पर दूसरे ही दिन उनके सारे सपउतावली नदी : 400 सालों से कहानी सुना रहा यह स्मारक
Posted on 13 Aug, 2015 11:02 AMतब से अब तक उतावली नदी में न जाने कितना पानी बह चुका होगा लेकिन इस नदी की तासीर में ऐसा कुछ है कि यह आज भी करीब 400 साल पहले इसके तट पर पनपी एक राजसी प्रेम कहानी को बयान करती रहती है। जी हाँ, सुनने में यह भले ही अजीब लगे पर यह सौ फीसदी सही है। सुनी हुई कहानियाँ लोगों ने भुला दी, कागजों पर लिखी कई प्रेम कहानियाँ समय के साथ भुला दी गई होंगी पर इस कहानी की इबारभविष्य को विनाश से बचाने की लड़ाई: मेधा पाटकर
Posted on 13 Aug, 2015 09:56 AMनर्मदा बचाओ आन्दोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा है कि जीवन अधिकार सत्याग्रह ढाई लाख लोगों की आजीविका और उनके भविष्य को विनाश से बचाने की लड़ाई है। नर्मदा घाटी की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। अश्मयुग से कलियुग तक सभी के अवशेष परत दर परत मिलते हैं। केन्द्र सरकार का विकास का मॅाडल पूरी सभ्यता को लीलने पर आमादा है। पूरी निर्णय प्रक्रिया और विकास मॉडल अलोकतांत्रिक और संवेदनहीन है