मध्य प्रदेश

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सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई बढ़ाने के विरोध में जीवन अधिकार यात्रा
Posted on 10 Aug, 2015 04:30 PM

सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई 17 किलोमीटर बढ़ाने से लोगों में काफी गुस्सा है। इसका मुख्य कारण है कि 214 किलोमीटर तक का क्षेत्र डूब में आने की सम्भावना है। इसके विरोध में संघर्ष के तहत जीवन अधिकार यात्रा आरम्भ की गई है। यह यात्रा खलघाट से लेकर बड़वानी राजघाट तक 85 किलोमीटर की है। 6 अगस्त से आरम्भ यात्रा 12 अगस्त को बड़वानर राजघाट पहुँचेगी और वहाँ जीवन अधिकार सत्याग्रह के रूप में परिणत हो जाएगी।

Medha patkar
अनुभवजन्य कहावतों का वैज्ञानिक पक्ष
Posted on 09 Aug, 2015 01:07 PM मुढ़ैनी, मनासा, मोड़ीमाता और मोरवन की चौपालों में एकत्रित लोगों का कहना था कि उनके क्षेत्र के बड़े-बूढ़ों को सैकड़ों अनुभवजन्य कहावतें याद हैं। उन कहावतों में जीवन के प्रत्येक पक्ष पर सुझाव, मार्गदर्शन या वर्जना प्रगट करता संदेश होता है। सामान्य बातचीत में भी उनका उपयोग होता है। झांतला के नेमीचन्द छीपा इत्यादि कई लोगों ने महीनों से सम्बन्धित अनेक कहावतें सुनाई।
मानोट से कुटरई
Posted on 09 Aug, 2015 12:06 PM मौसम साफ था और हवा शरद का स्पर्श लिए थी। ऊँचे पेड़ों से धूप छन-छनकर आ रही थी। मेरे साथियों का उत्साह उफान पर था। उन्हें यहाँ मनचाहा एकान्त और शान्ति प्राप्त हो रही थी। कुछ दिन पूर्व ही वे महानगरों की गहमागहमी, शोरगुल और आपाधापी में डूबे हुए थे। अब वे यहाँ वनों,पहाड़ों और हरे-भरे खेतों को निहार रहे थे, निस्तब्धता को आत्मसात कर रहे थे। और नदी से लगी ऊबड़-खाबड़
नदी शीर्ष वन संरक्षण एवं प्रबंध
Posted on 09 Aug, 2015 10:51 AM नदियों का उद्गम क्षेत्र एक विशिष्ट पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करता है। किसी नदी के प्रारम्भ होने के स्थान से लेकर थोड़ा आगे तक के क्षेत्र में छोटी-छोटी सहायक सरिताओं और नालों के आकार मिलते रहने से नदी की मूल धारा शनै:-शनै: चौड़ी होती जाती है। अनेक छोटे नालों और सहायक सरिताओं के काफी कम दूरी में ही मुख्य नदी में मिलने से गुच्छे जैसी जिस प्राकृतिक संरचना का
जंगल, बूँदें और जीवन
Posted on 08 Aug, 2015 04:35 PM

आदिवासियों का यह पलायन इसलिए ज्यादा चिंताजनक हैं, क्योंकि यह सुविधाओं की खातिर न होकर अपने को ज

forest
ताजे पानी का मतलब
Posted on 08 Aug, 2015 04:26 PM

वन विभाग जानता है, कि जल ही जीवन है, पर पानी की बर्बादी रोकने के कोई कारगर प्रयास दिखाई नहीं दे

नर्मदा नदी की आत्मकथा
Posted on 08 Aug, 2015 03:49 PM हमारा देश आज जैसा है, सदा वैसा ही नहीं रहा। आज जहाँ हिमालय है करोड़ों वर्ष पूर्व वहाँ उथला समुद्र था। किसी भूकम्प ने उसे हिमालय में बदल डाला, हालाँकि इसमें लाखों वर्ष लगे।
जंगल रहे, ताकि नर्मदा बहे
Posted on 08 Aug, 2015 03:25 PM यह कैसा शीर्षक! जंगल रहे, ताकि नर्मदा बहे! सात कल्पों के क्षय होने पर भी क्षीण न होने की पौराणिक ख्याति वाली और भू-वैज्ञानिक दृष्टि से भी विश्व की प्राचीनतम नदियों में से एक, नर्मदा तो युगों से बहती चली आ रही है। जंगलों के रहने या न रहने से नर्मदा के बहने का क्या सम्बन्ध है?
भेड़ाघाट से ग्वारीघाट (जबलपुर)
Posted on 08 Aug, 2015 11:18 AM समुद्र की तलाश में निकला पानी है नदी और नदी की तलाश में निकला पदयात्री है परकम्मावासी। एक न एक दिन दोनों की तलाश पूरी होती है। कल दोपहर तक मैं भी अपने गंतव्य तक पहुँच जाऊँगा। मैं उस यात्री की तरह हूँ, जो अपने घर के समीप वाले मोड़ पर पहुँच गया हो। परिक्रमा के इस अंतिम चरण में कान्ता सहयात्री बनकर चल रही है, इसका आनन्द अनोखा है। हालाँकि मुझे हमेशा लगा है कि मे
शिवपुत्री नर्मदा
समुदाय की भागीदारी
Posted on 08 Aug, 2015 10:13 AM

वन प्रबंध में जन भागीदारी के डेढ़ दशक के अनुभव ने कई सबक सिखाये और मध्यप्रदेश के वनों को बचाने

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