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/regions/madhya-pradesh-1
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दरअसल, पानी की पर्याप्तता केवल पीने अथवा खेती के लिए नहीं, बल्कि एक सुकून-भरे जीवन का भी
मालवा में नालों को ‘खाल’ भी कहते हैं। गाँव समाज इनसे इतना प्यार करता था कि इन्हें परिजनों
डबरी का लाभ प्रत्यक्ष रूप से तो उस किसान को मिलता है, जिसने अपने खेत में डबरी खोदी है, ले
सेंधवा के किले की खाई पिछले 20 साल पहले तक बेहतर स्थिति में थी व जल संरक्षण के कारण आस-पा
अच्छे–भले स्टापडेम की मरम्मत करने के नाम पर नगर पंचायत से करीब दो लाख रुपए के टेंडर निकाले जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहाँ नगर के पास से ही होकर गुजर रही एक नदी पर बने स्टापडेम की मरम्मत किये जाने के लिये चुपचाप प्रस्ताव भी पास हो गया और विज्ञप्ति भी जारी हो गई।