पंकज श्रीवास्तव
पंकज श्रीवास्तव
नर्मदा घाटी का परिचय
Posted on 15 Sep, 2015 02:39 PMनर्मदा घाटी के जीवाश्मों का तिलिस्म अभी तक पूरी तरह तो किसी को समझ में नहीं आ सका है परन्तु इसकी थोड़ी-बहुत थाह लेने के लिये भी विंध्य और सतपुड़ा की प्राचीरों से घिरे नौका के आकार वाले इस अति प्राचीन क्षेत्र का पुराना और नया भुगोल दोनों ही जानना अपरिहार्य हैं। नर्मदा और इसकी सहायक नदियों के अंचल में तरह-तरह के जीवाश्मों के रूप में प्रकृति कौन-कौन से रहस्य कहाँ-कहाँ से मिले हैं इस बारे में विस्तनदी शीर्ष वन संरक्षण एवं प्रबंध
Posted on 09 Aug, 2015 10:51 AM नदियों का उद्गम क्षेत्र एक विशिष्ट पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करता है। किसी नदी के प्रारम्भ होने के स्थान से लेकर थोड़ा आगे तक के क्षेत्र में छोटी-छोटी सहायक सरिताओं और नालों के आकार मिलते रहने से नदी की मूल धारा शनै:-शनै: चौड़ी होती जाती है। अनेक छोटे नालों और सहायक सरिताओं के काफी कम दूरी में ही मुख्य नदी में मिलने से गुच्छे जैसी जिस प्राकृतिक संरचना काजंगल रहे, ताकि नर्मदा बहे
Posted on 08 Aug, 2015 03:25 PMयह कैसा शीर्षक! जंगल रहे, ताकि नर्मदा बहे! सात कल्पों के क्षय होने पर भी क्षीण न होने की पौराणिक ख्याति वाली और भू-वैज्ञानिक दृष्टि से भी विश्व की प्राचीनतम नदियों में से एक, नर्मदा तो युगों से बहती चली आ रही है। जंगलों के रहने या न रहने से नर्मदा के बहने का क्या सम्बन्ध है?समुदाय की भागीदारी
Posted on 08 Aug, 2015 10:13 AMवन प्रबंध में जन भागीदारी के डेढ़ दशक के अनुभव ने कई सबक सिखाये और मध्यप्रदेश के वनों को बचाने