27 तरह के पेड़ों को विकसित कर नक्षत्रों से परिचित होंगे विद्यार्थी
उदाहरण के तौर पर महुए का पेड़ लगाकर पर्यावरण को तो बेहतर बनाया जाएगा। साथ ही विद्यार्थी यह जान पाएगा कि इस पेड़ से रेवती नक्षत्र जुड़ा हुआ है। इस तरह करीब 27 तरह के पेड़ों को विकसित करके नक्षत्रों से विद्यार्थियों को परिचित कराने की कोशिश होगी। जिला मुख्यालय पर यह योजना लागू की जानी है।
सबसे बड़ी चुनौती परिसर में बगीचे के लिये जगह उपलब्ध होना है और उसके बाद ऐसे बगीचों को विकसित करने वाले एक्सपर्ट की कमी भी खलेगी। योजना को लेकर फिलहाल मैदानी स्तर पर काम शुरू नहीं हुआ है। जिला मुख्यालय के विद्यालयों में नक्षत्र वाटिका स्थापित करने को लेकर हलचल शुरू हो गई है। हालांकि कई विद्यालयों में बाउंड्रीवाल से लेकर अन्य दिक्कतें बनी हुई हैं। इससे वाटिका की सुरक्षा को लेकर चिन्ता बनी रहेगी।
राज्य शिक्षा केन्द्र ने कहा है कि वर्षाकाल में ही पौधा रोपण हो जाये। लेकिन वर्षा सत्र आधे से अधिक बीत चुका है। बहुत कम समय शेष रह गया है। ऐसे में कम समय में इस वाटिका के लिये पौधारोपण का काम चुनौती भरा होगा। योजना का मकसद विद्यार्थियों को पेड़ों के ज्ञान के साथ नक्षत्रों और ग्रहों की भी जानकारी प्राप्त होगी।
नक्षत्र वाटिका विकसित करने के लिये स्कूलों में बाउंड्रीवाल वाले विद्यालयों का चयन करना होगा। इस कार्य में वन विभाग और कृषि विभाग की भी भूमिका रहेगी जिन्हें चयनित विद्यालयों की सूची देनी होगी। सुरक्षा को लेकर ध्यान देने के लिये कहा गया है। वहीं इनके संरक्षण के लिये तार व ट्री गार्ड की व्यवस्थाएँ भी करना होंगी।
पर्याप्त बढ़ने पर पौधों के नाम अंकित करने की कार्रवाई के लिये कहा गया है। इसके बाद कक्षा पाँचवीं से 12वीं तक के बच्चों को रखकर समूह तैयार होंगे जिन्हें पौधों के औषधीय गुणों के बारे में बताएँगे। बच्चों के समूह पौधों की निरन्तर देखरेख के साथ उनके जीवन विकास पर प्रोजेक्ट तैयार करेंगे। योजना बहुत ही विस्तृत बनाई गई है। यदि वाटिकाएँ आकार लेती हैं तो भविष्य में सैकड़ों विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।
स्कूल परिसरों में पौधारोपण को लेकर अनेक बार योजनाएँ बनी हैं। विद्यार्थियों ने स्वयं भी पौधारोपण किये हैं। लेकिन कम ही विद्यालय ऐसे हैं जहाँ बगीचे आकार ले पाये हैं। कुछ वर्ष पूर्व विद्यावन योजना के तहत स्कूलों में व्यापक पौधारोपण हुआ था। लेकिन अधिकांश विद्यालयों में विद्यावन आकार नहीं ले पाये। कुछ ही समय में पौधे नष्ट हो गए थे। ऐसे में यह योजना पूरी तरह फेल हो गई थी। इसलिये जरूरी है कि योजना बनाने के साथ इस पर ध्यान भी दिया जाये।
पौधारोपण को लेकर अनेक बार योजनाएँ बनी हैं। विद्यार्थियों ने स्वयं भी पौधारोपण किये हैं। लेकिन कम ही विद्यालय ऐसे हैं जहाँ बगीचे आकार ले पाये हैं। कुछ वर्ष पूर्व विद्यावन योजना के तहत स्कूलों में व्यापक पौधारोपण हुआ था। लेकिन अधिकांश विद्यालयों में विद्यावन आकार नहीं ले पाये। कुछ ही समय में पौधे नष्ट हो गए थे। ऐसे में यह योजना पूरी तरह फेल हो गई थी। इसलिये जरूरी है कि योजना बनाने के साथ इस पर ध्यान भी दिया जाये।
धार। प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर विद्यार्थियों को हाईस्कूल हायर सेकेंडरी परिसर में जगह मिलने पर ऐसे बगीचे तैयार किये जाएँगे जहाँ पर विद्यार्थी इन पेड़ों से जुड़े नक्षत्रों और ग्रहों के बारे में भी जानकारी हासिल कर पाएँगे।उदाहरण के तौर पर महुए का पेड़ लगाकर पर्यावरण को तो बेहतर बनाया जाएगा। साथ ही विद्यार्थी यह जान पाएगा कि इस पेड़ से रेवती नक्षत्र जुड़ा हुआ है। इस तरह करीब 27 तरह के पेड़ों को विकसित करके नक्षत्रों से विद्यार्थियों को परिचित कराने की कोशिश होगी। जिला मुख्यालय पर यह योजना लागू की जानी है।
सबसे बड़ी चुनौती परिसर में बगीचे के लिये जगह उपलब्ध होना है और उसके बाद ऐसे बगीचों को विकसित करने वाले एक्सपर्ट की कमी भी खलेगी। योजना को लेकर फिलहाल मैदानी स्तर पर काम शुरू नहीं हुआ है। जिला मुख्यालय के विद्यालयों में नक्षत्र वाटिका स्थापित करने को लेकर हलचल शुरू हो गई है। हालांकि कई विद्यालयों में बाउंड्रीवाल से लेकर अन्य दिक्कतें बनी हुई हैं। इससे वाटिका की सुरक्षा को लेकर चिन्ता बनी रहेगी।
राज्य शिक्षा केन्द्र ने कहा है कि वर्षाकाल में ही पौधा रोपण हो जाये। लेकिन वर्षा सत्र आधे से अधिक बीत चुका है। बहुत कम समय शेष रह गया है। ऐसे में कम समय में इस वाटिका के लिये पौधारोपण का काम चुनौती भरा होगा। योजना का मकसद विद्यार्थियों को पेड़ों के ज्ञान के साथ नक्षत्रों और ग्रहों की भी जानकारी प्राप्त होगी।
पौधों की निरन्तर देखरेख, तैयार करेंगे प्रोजेक्ट
नक्षत्र वाटिका विकसित करने के लिये स्कूलों में बाउंड्रीवाल वाले विद्यालयों का चयन करना होगा। इस कार्य में वन विभाग और कृषि विभाग की भी भूमिका रहेगी जिन्हें चयनित विद्यालयों की सूची देनी होगी। सुरक्षा को लेकर ध्यान देने के लिये कहा गया है। वहीं इनके संरक्षण के लिये तार व ट्री गार्ड की व्यवस्थाएँ भी करना होंगी।
पर्याप्त बढ़ने पर पौधों के नाम अंकित करने की कार्रवाई के लिये कहा गया है। इसके बाद कक्षा पाँचवीं से 12वीं तक के बच्चों को रखकर समूह तैयार होंगे जिन्हें पौधों के औषधीय गुणों के बारे में बताएँगे। बच्चों के समूह पौधों की निरन्तर देखरेख के साथ उनके जीवन विकास पर प्रोजेक्ट तैयार करेंगे। योजना बहुत ही विस्तृत बनाई गई है। यदि वाटिकाएँ आकार लेती हैं तो भविष्य में सैकड़ों विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।
स्कूल परिसरों में पौधारोपण को लेकर अनेक बार योजनाएँ बनी हैं। विद्यार्थियों ने स्वयं भी पौधारोपण किये हैं। लेकिन कम ही विद्यालय ऐसे हैं जहाँ बगीचे आकार ले पाये हैं। कुछ वर्ष पूर्व विद्यावन योजना के तहत स्कूलों में व्यापक पौधारोपण हुआ था। लेकिन अधिकांश विद्यालयों में विद्यावन आकार नहीं ले पाये। कुछ ही समय में पौधे नष्ट हो गए थे। ऐसे में यह योजना पूरी तरह फेल हो गई थी। इसलिये जरूरी है कि योजना बनाने के साथ इस पर ध्यान भी दिया जाये।
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Post By: RuralWater