मध्य प्रदेश

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छतरपुर जिले के तालाब
Posted on 26 Jun, 2016 01:36 PM

. छतरपुर जिला, पूर्वकालिक, रजवाड़ी रियासती क्षेत्र है, जिसकी भौमिक संरचना बड़ी विचित्र रही है। दक

जल, आज और कल
Posted on 21 Jun, 2016 09:31 AM
जल की महिमा का बखान एक गीत में इस प्रकार किया गया है- ‘जल न होता तो ये जग जाता जल।’ आज सचमुच दुनिया जलने के कगार की ओर बढ़ रही है। तमाम दूरद्रष्टा यह कह भी चुके हैं कि तीसरा विश्व-युद्ध पानी के लिये होगा। इस साल के जबर्दस्त सूखे ने भारत के एक बड़े भूभाग में लोगों को बूँद-बूँद पानी के लिये तरसा कर रख दिया। इसके साथ ही पानी को लेकर हमारी जमीनी हकीकत और इन्तज़ाम की कलई भी खुल गई। यदि हम अब भ
एक अरब खर्च पर खंडवा पानी को मोहताज
Posted on 20 Jun, 2016 11:10 AM
मध्य प्रदेश की सरकार ने 7-8 साल पहले खंडवा के लोगों को घर-घर
पानी को तरसता प्रेमवन
Posted on 14 Jun, 2016 12:35 PM

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के जवा ब्लॉक के धुरकुच गाँव के रहने वाले दीनानाथ कोल और उनकी पत्

आदिवासी औरतों ने खोदा कुआँ
Posted on 05 Jun, 2016 10:31 AM

विश्व पर्यावरण दिवस, 05 जून 2016 पर विशेष

दूर हो बड़े तालाब का अतिक्रमण - एनजीटी
Posted on 04 Jun, 2016 10:51 AM
बड़े तालाब के आसपास से सारा अवैध निर्माण हटाने के आदेश, बड़े पैमाने पर संरक्षण उपाय अपनाए जाएँ
.भोपाल। राष्ट्रीय हरित पंचाट (एनजीटी) का ताजा फैसला भोपाल की पहचान बड़ी झील के लिये बहुत बड़ी राहत लेकर आया है। एनजीटी ने भोपाल नगर निगम और जिला प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी अनदेखी के चलते ही बड़ी झील के आसपास इतने बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो गया है कि झील के अस्तित्त्व को ही खतरा उत्पन्न हो गया है।

पंचाट ने बड़े तालाब के जल भराव स्तर से 50 मीटर के दायरे में आने वाले सभी प्रकार के अतिक्रमण तत्काल हटाने के आदेश दिये हैं। इसके अलावा नगर निगम को निर्देश दिया गया है कि वह इस पूरे क्षेत्र के अतिक्रमणों की सूची तैयार करके एनजीटी और जिलाधिकार कार्यालय के समक्ष प्रस्तुत करे। इस सूची का अध्ययन करने के बाद अवैध निर्माण को नोटिस देकर हटाया जाएगा।
बुरहानपुर में पानी बचाने, पानी कमाने का जतन कर रहे लोग
Posted on 03 Jun, 2016 10:37 AM

महाराष्ट्र में पानी के लिये हाहाकार मचा हुआ है। लातूर और जलगाँव में पानी के लिये लोग कानून-व्यवस्था अपने हाथ में ले रहे हैं। हालात काबू में रखने के लिये प्रशासन को धारा 144 लगानी पड़ रही है। लेकिन बुरहानपुर के लोगों ने पानी की समस्या को सावधानी और सतर्कता के साथ सुलझाने की कोशिश की है। सोच और संकल्प यह है कि न तो पानी की रेलगाड़ी बुलाने की नौबत आये और न ही पानी की छीना-झपटी रोकने के लिये पुलिस को धारा 144 लगानी पड़े। गाँव के लोग पानी के लिये लड़ नहीं रहे, पानी बचाने का प्रयास कर रहे हैं। किसान को याद हो चला है कि वे पानी बना तो नहीं सकते, हाँ! पानी को बचा जरूर सकते हैं।

 

Dhamangao (4)

जसौंदी की सरपंच शोभाबाई रमेश प्रचंड गर्मी और पानी की किल्लत से दो-दो हांथ करने के लिये तैयार हैं। शोभाबाई कहती हैं- हमारी क्षेत्र की जनप्रतिनिधि अर्चना दीदी हमारे साथ हैं, हम पानी की किल्लत और सूखे से पार पा लेंगे।

दसवाँ राष्ट्रीय मीडिया विमर्श, कान्हा
Posted on 02 Jun, 2016 11:56 AM दिनांक : 13-15 अगस्त, 2016
स्थान : कान्हा, मध्य प्रदेश


इस वर्ष यह सम्मेलन स्वतंत्र भारत में अपनाए गए विकास के मॉडल और बीते साठ सालों में इनके योगदान की समालोचना पर आधारित होगा। भले ही बात खेती की हो, सिंचाई की हो, पानी की हो, जंगलों की हो या फिर देश की अर्थव्यवस्था की। विकास के तमाम मानकों की मौजूदा स्थितियों को देखकर लगता है कि इन मॉडलों पर कुछ सवाल तो खड़े किये जाएँ। इनकी समीक्षा तो की जाये। और यदि जिन अवधारणाओं के आधार पर हम देश को आगे ले जा रहे हैं, वह अपनी भूमिका में कहीं असफल हो रही हैं, तो विकास के वैकल्पिक मॉडल क्या हैं? मीडिया के साथियों के साथ एक मंच के तले बैठकर कुछ मुद्दों पर नया जानने, आपसी समझ बनाने, एक-दूसरे के विचारों को जानने-समझने, अपने रोजाना काम से अलग हटकर मैदानी इलाकों में जाकर आम लोगों की जिन्दगी में झाँकने, बातचीत करने और विकास के तमाम आयामों पर एक बेहतर संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से हमने दस साल पहले एक पहल की थी।

मप्र में पहाड़ों की रानी पचमढ़ी से होता हुआ यह सफर चित्रकूट, बांधवगढ़, महेश्वर, छतरपुर, पचमढ़ी, केसला, चंदेरी, झाबुआ होता हुआ अब फिर कान्हा आ पहुँचा है। इस बार हम मध्य प्रदेश के भौगोलिक परिदृश्य पर एक महत्त्वपूर्ण स्थान कान्हा में दसवाँ मीडिया कॉन्क्लेव आयोजित कर रहे हैं। अगस्त माह की 13 से 15 तारीख तक यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।
साढ़े छह सौ तालाबों को बचाने की मुहिम
Posted on 28 May, 2016 04:04 PM
जहाँ पहले 300 से 400 फीट पर ही पानी मिल जाया करता था, वह अब 8
विकास के बोझ से डूबती नर्मदा नदी
Posted on 28 May, 2016 09:38 AM
मानसून की आहट आते ही नर्मदा घाटी के निवासियों के चेहरे पर डर झलकने लगता है। बिना पुनर्वास के उन्हें विस्थापित होने को मजबूर किया जाता है। वहीं दूसरी ओर सरकारी आँकड़े बता रहे हैं कि निमाड़ के डूब प्रभावित शत-प्रतिशत गाँवों का पुनर्वास हो चुका है। जबकि जमीनी हकीकत इसके एकदम विपरीत है।
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