मध्य प्रदेश

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तालाब बचाने के लिये बरसते पानी में जल सत्याग्रह
Posted on 14 Jul, 2016 04:05 PM
पीपल्याहाना गाँव के पास होने से लोग इसे आम बोलचाल की भाषा में
नर्मदा जल जमीन हक सत्याग्रह की तैयारी शुरू
Posted on 14 Jul, 2016 01:16 PM
50 हजार परिवारों के पुनर्वास का कार्य अभी भी अधूरा है। 14 हजार परिवारों को गुजरात और महाराष्ट्र में बसाया गया है, लेकिन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के पहाड़ी आदिवासी क्षेत्रों के करीब 1500 परिवार तथा मैदानी मध्य प्रदेश के करीब 45 हजार परिवारों को अभी बसाना बाकी है। सरदार सरोवर में जैसे ही गेट लगेगा, एक धर्मपुरी नगर, 244 गाँवों के बाशिन्दों के घर, खेत, खलिहान... सब डूब जाएँगे। उन्होंने 30 जुलाई से नर्मदा के जल और जमीन के हुकूक के लिये सत्याग्रह करना तय किया है। इसकी तैयारी के लिये वे 13 जुलाई से 15 जुलाई तक नर्मदा परिक्रमा भी कर रहे हैं और 21 से 23 जुलाई को नर्मदा किनारे वाहन यात्रा भी। 19 से 22 जुलाई के बीच का कार्यक्रम भी तैयार किया जा रहा है।

उनकी चिन्ता


नर्मदा घाटी दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृति है। हरदूद जैसे शहर के उजड़ने से वे डर गए हैं। उन्हें चिन्ता है कि 30 बड़े और 135 छोटे मझोले बाँधों के कारण आगे चलकर नर्मदा नदी तालाबों में तब्दील हो जाएगी। इससे लोगों के साथ-साथ नर्मदा घाटी की उपजाऊ खेती, फलदाई वानिकी, मन्दिर, मस्जिद, पाठशाला, कारीगरी, व्यापार और नर्मदा की संस्कृति का नाश होगा।
शौचालय का किचन के रूप में हो रहा था उपयोग
Posted on 11 Jul, 2016 01:29 PM
1. प्रेरक देखकर चौंके, सोशल मीडिया पर पहुँचा फोटो तो अधिकारी मौके पर पहुँचे
2. पानी के अभाव में गाँवों में नहीं हो पा रहा शौचालय का इस्तेमाल

झाबुआ में आशा के बीज
Posted on 07 Jul, 2016 04:15 PM


झाबुआ का एक गाँव है डाबडी। वैसे तो यह सामान्य गाँव है लेकिन यहाँ एक किसान के खेत में देसी गेहूँ की 16 किस्में होने के कारण यह खास बन गया है। और वह भी बिना रासायनिक खाद और बिना कीटनाशकों के। पूरी तरह जैविक तरीके से देसी गेहूँ का यह प्रयोग आकर्षण का केन्द्र बन गया है।

पर्यावरण संरक्षण के सतत प्रयास (Efforts For Environment Conservation)
Posted on 07 Jul, 2016 03:11 PM

आज का मानव मशीन की तरह कार्य करता है। उसने आणविक एवं जैविक हथियारों का विकास कर लिया है।

खिवनी अभयारण्य बन सकता है ‘जंगल का हनुवंतिया’
Posted on 02 Jul, 2016 01:33 PM
घने और सुहावने जंगल में सागवान के ऊँचे-ऊँचे दरख्त। मधुर आवाजों के साथ बहुरंगी पक्षियों की मौजूदगी। दूर-दूर तक फैला प्रकृति का नजारा। और भी बहुत कुछ। देवास और सीहोर जिले का खिवनी अभयारण्य-वन्य प्राणियों की संख्या में बढ़ोत्तरी और जल प्रबंधन होने पर ‘जंगल का हनुवंतिया’ बन सकता है।
जल को दूषित करेंगे प्लास्टिक के तालाब
Posted on 02 Jul, 2016 10:20 AM

प्लास्टिक के तालाबों से एक बड़ा नुकसान यह होगा कि खेत में बने तालाबों का जलग्रहण क्षेत्र

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