मध्य प्रदेश

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माई बनी मालगाड़ी
Posted on 17 Sep, 2016 12:31 PM


महात्मा गाँधी का प्रसिद्ध कथन है, “प्रकृति के पास इतना है कि वह सभी की जरूरतों को पूरा कर सकती है, लेकिन इतना नहीं है कि किसी एक का भी लालच पूरा कर सके।” मध्य भारत की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नदी नर्मदा इसी लालच हलकान है। नर्मदा में सौ से ज्यादा छोटे बड़े बाँध बनाए गए हैं इनसे नहरें निकाल कर हजारों हेक्टेयर इलाकों में सिंचाई की जा रही है।

मध्य प्रदेश और गुजरात के कई क्षेत्रों, जो नर्मदा से पचासों किलोमीटर दूर है, को पीने का पानी भी इसी नदी से सप्लाई किया जाता है, साबरमती को जिन्दा बनाए रखने में भी नर्मदा की भूमिका है, यहाँ तक की सिंहस्थ कुम्भ शाही स्नान की जिम्मेदारी भी नर्मदा माई पर ही है।

बुन्देलखण्ड केन बेतवा : कशमकश
Posted on 13 Sep, 2016 11:00 AM

यहाँ के लोग मुहावरे की भाषा में उम्मीद बाँध बैठे हैं कि जल-जंगल-जमीन को बिना नुकसान पहुँच

नदी के प्रवाह क्षेत्र में तान दी बिल्डिंग
Posted on 10 Sep, 2016 04:21 PM
लालच जब हद से बढ़ जाये तो विनाश शुरू होता है। यही बात हमारी नदियों के बारे में भी लागू होती है। बीते कुछ सालों में हमने जमीन के कुछ टुकड़ों की खातिर हमारी बेशकीमती नदियों और उनके पूरे तंत्र को खत्म कर लिया है। इससे प्रकृति का हमारा हजारों सालों से चला आ रहा ताना–बाना टूट गया है और अब हम प्राकृतिक विनाश की कगार तक पहुँच चुके हैं।

ताजा मामला मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर के पास कनाडिया गाँव का है, जहाँ मॉर्डन मेडिकल कॉलेज के संचालक ने नदी के प्रवाह क्षेत्र में ही अतिक्रमण करते हुए कॉलेज की बिल्डिंग तान दी है। बड़ी बात यह है कि इससे गाँव में नदी की बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
कलेक्टर ने ओढ़ाई माता टेकरी को हरियाली चुनरी
Posted on 05 Sep, 2016 03:21 PM
देवास जिला कलेक्टर अवस्थी ने इस कार्य के लिये सहयोग हरियाली म
मिट्टी के गणेश की मुहिम तेज
Posted on 03 Sep, 2016 04:03 PM
पीओपी की परत जलस्रोतों की तली में जाकर इसे उथला करती हैं, वही
मानव निर्मित बाढ़ की विनाशलीला
Posted on 02 Sep, 2016 03:21 PM
विगत 21 अगस्त 2016 की सुबह गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ते हुए, पटना में 50.43 मीटर पर पहुँच गया। यानी वह पहले के उच्चतम बाढ़ स्तर 50.27 मीटर से 16 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी।
सतपुड़ा जब झूमने लगता है
Posted on 30 Aug, 2016 03:41 PM


मानसून आते ही सतपुड़ा के पहाड़ों और जंगलों की छटा देखती ही बनती है। जो जंगल गर्मी में सूखे, उदास और बेजान से दिखते हैं वे मानसून की बारिश आते ही हरे-भरे और सजीव हो उठते हैं। मन मोह लेते हैं, बरबस अपनी ओर खींचते हैं।

बारह साल बाद भी कचोटता है दर्द हरसूद का
Posted on 30 Aug, 2016 10:58 AM


एक तरफ जहाँ नर्मदा पर बड़े बाँधों से विस्थापित होने वाले लोगों की लड़ाइयाँ लड़ते हुए नर्मदा बचाओ आन्दोलन के 31 बरस हो रहे हैं, वहीं अब तक के नर्मदा पर बनाए बाँधों में इन्दिरा सागर में डूब चुके सबसे बड़े कस्बे हरसूद की भी 12वीं बरसी बीते दिनों निकली है।

नर्मदा की परकम्मा
Posted on 29 Aug, 2016 10:56 AM


नर्मदा की परकम्मावासी मीराबेन का यात्रा वृतान्त पढ़ना, उनके साथ परकम्मा करना जैसा ही है। हालांकि उन्होंने जो प्रत्यक्ष अनुभव, नर्मदा का सौन्दर्य और उसके आसपास के जनजीवन को देखा उसकी बात अलग है, लेकिन उसकी झलक उनकी पुस्तिका में मिलती है।

नदी किनारे बागली प्यासा, अब जुटे प्रायश्चित में
Posted on 26 Aug, 2016 03:39 PM


शहरों में जब कभी पानी की कमी होती है तो आमतौर पर टैंकर या ट्यूबवेल जैसे अस्थायी संसाधनों पर ही नजर जाती है। लेकिन एक शहर ऐसा भी है, जहाँ के बाशिंदों और नगर पंचायत ने मिलकर कुछ ऐसे परम्परागत जल संरक्षण के प्रयास किये हैं कि उन्हें अगले साल गर्मियों के दिनों में पानी की किल्लत नहीं झेलनी पड़ेगी।

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