मध्य प्रदेश

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तवा परियोजना पर संकट के बादलों का आगाज
Posted on 25 Jul, 2015 12:18 PM
सन् 1997 में लगभग 142 करोड़ रुपए की लागत से पूरी हुई मध्य प्रदेश की तवा परियोजना पर सिल्ट (गाद) के संकट की खबर आई है। विदित हो, यह बाँध नर्मदा की सहायक नदी तवा पर बना है। इस बाँध को सतपुड़ा पर्वतमाला के लगभग 5982 वर्ग किलोमीटर में फैले कैचमेंट में बहने वाली 90 छोटी-बड़ी सहायक नदियों का पानी मिलता है।
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प्रजातांत्रिक विकेंद्रीकरण से बदलती गाँवों की तस्वीर
Posted on 18 Jul, 2015 01:05 PM 1 नवंबर, 2001 को राज्य की स्थापना के 45 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस
बारिश हुई कम, पर पानी का नहीं गम
Posted on 13 Jul, 2015 11:51 AM

जल प्रबंधन से दूर हो गयी गंगानगर कन्या आश्रम की पानी की परेशानी

मध्य प्रदेश का मालवा क्षेत्र गंभीर पेयजल संकट वाला क्षेत्र है, इसी क्षेत्र में धार जिले के गंगानगर गांव के बालिका आश्रम में ऐसा प्रयोग किया गया कि बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे इस आश्रम में झुलसती गर्मी में भी पानी की कमी नहीं होती। राजु कुमार की रिपोर्ट

गंगानगर आश्रम में कुशल जल प्रबंधन के तहत सबसे पहले वर्षा जल संग्रहण टैंक का निर्माण किया गया, इसमें एक 50,000 लीटर, दो 4,000 लीटर एवं एक 2,000 लीटर का फेरोसिमेंट टैंक बनाया गया। वर्षा का जल संचित करने के लिये छतों को पाइप के जरिये चारों तरफ से टंकियों से जोड़ा गया है। इसमें वर्षा जल संग्रहित होने लगा। गंगानगर आश्रम में रीयूज वाटर सिस्टम को बनाया गया है। इस सिस्टम से आश्रम के आठ स्नानघरों को जोड़ा गया।

मध्य प्रदेश में इस बार औसत से कम बारिश हुई है। पिछले कुछ सालों से पानी की गंभीर संकट झेल रहे मध्यप्रदेश के लिए यह साल कुछ अच्छा नहीं रहा। पिछले कुछ सालों से पानी को लेकर दर्जन से भी ज्यादा जानें जा चुकी हैं। गांव हो या शहर, सभी जगह पानी की किल्लत बरकरार है। प्रदेश के मालवा एवं बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की सबसे ज्यादा कमी होती है। लेकिन मालवा में एक ऐसी जगह भी है, जहां कम बारिश के बावजूद लोगों में पानी को लेकर चिंता नहीं है। वह जगह है - धार जिले के तिरला विकासखंड के गंगानगर कन्या आश्रम।

पांच साल पहले तक गंगानगर कन्या आश्रम में पानी बड़ी किल्लत थी। डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित एक हैंडपंप से लड़कियां सुबह-शाम पानी लाने जाती थी, जिसमें उन्हें प्रतिदिन चार घंटे समय गंवाना पड़ता था। इसके साथ ही ग्रामीणों से बकझक और कुछ दूर स्थित बालक आश्रम के बालकों से झूमाझटकी भी करनी पड़ती थी।
सम्पूर्ण जल प्रबन्धन की श्रेष्ठतम मिसाल—ग्राम तोरणी
Posted on 20 Jun, 2015 09:27 PM मध्य प्रदेश के पूर्ण निमाड जिले का ग्राम तोरणी जल प्रबन्धन के क्षेत
महिलाएँ बनी भगीरथ : फिर जी उठा ताल
Posted on 13 Jun, 2015 01:32 PM ग्वालियर जिले के विकास खण्ड अन्तर्गत सिरोली पंचायत में बबूल वाला त
आदर्श उतर रहे हैं जमीं पर
Posted on 16 Apr, 2015 10:43 AM सामाजिक संररचनाओं की अपनी विशेषताएँ होती हैं महिलाओं के आरक्षण के पश्चात जो सन्देश व्यक्त किए जा रहे थे, उन्हें महिलाएँ खत्म करती जा रही हैं। एक अनोखा उदारहण इस बात की गवाही देता है कि महिलाओं में जागरुकता किस सीमा तक पहुँच गई है। आज मध्य प्रदेश में तीन पंचायतें ऐसी हैं जिनमें पंच और सरपंच सभी महिलाएँ हैं। आँकड़ों की जुबानी कहने को यह आँकड़ा छोटा हो सकता है, लेकिन व्यवस्था में बदलाव की यह आहट भर ह
वन अधिकारों की मान्यता : मध्य प्रदेश की पहल
Posted on 29 Mar, 2015 05:19 PM अनुसूचित जाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006, सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के बाद पारित दूसरा महत्त्वपूर्ण अधिनियम है। दिसम्बर, 2007 में अधिनियम के लागू होने के पहले से ही मध्य प्रदेश में इस अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु चरणबद्ध तरीके से कार्यवाही प्रारम्भ की गई थी, जिसके कारण ही आज मध्य प्रदेश इस अधिनियम के क्रियान्वयन में देश के अग्रणी राज्यों में से है।
आदिवासियों का सहारा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना
Posted on 25 Mar, 2015 06:45 AM आदिवासी समुदाय की सजगता, आपसी सहयोग, पंचायत प्रतिनिधियों की निष्ठा
सवा पाँच रुपए से आजीविका
Posted on 24 Mar, 2015 05:17 PM जमीनी स्तर पर प्रदेश में जन संगठनों और स्वैच्छिक रूप से कार्य कर र
हरियाली से खुशहाली की अनूठी पहल
Posted on 18 Feb, 2015 07:39 AM आदिवासियों के अधिकारों के लिए बरसों से सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता र
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