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मध्य प्रदेश
शौचालय निर्माण की गति सुस्त, गन्दगी से नहीं मिल रही निजात
Posted on 26 Nov, 2016 11:03 AM
धार। गाँव की दिशा और दशा बदलने के लिये डही को स्मार्ट विलेज तो घोषित कर दिया, लेकिन यहाँ शौचालय से लेकर साफ-सफाई में कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई जा रही है। शौचालय के अभाव में लोग अब भी खुले में शौच करने जा रहे हैं, तो गाँव में जगह-जगह गन्दगी पड़ी रहती है। धार्मिक स्थानों के आसपास गन्दगी रहने से वहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को भी परेशानी उठानी पड़ती है।
ਕ੍ਰਿਸ਼ਨਾ ਦੇਹਰੀਆ ਪਿੰਡ ਵਿੱਚ ਬਦਲਾਅ ਦੀ ਲਹਿਰ-ਕਮੀ ਤੋਂ ਬਹੁਲਤਾ ਵੱਲ
Posted on 12 Oct, 2016 03:16 PMਪਾਣੀ ਦੀ ਕੁਸ਼ਲ ਕਟਾਈ (ਹਾਰਵੈਸਟਿੰਗ) ਕਰਕੇ, ਮੱਧ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦੇ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨਾ
सूखा क्यों
Posted on 15 Jul, 2016 03:43 PMझाबुआ, 1980 के दशक का उत्तरार्द्ध। मध्य प्रदेश के इस आदिवासी, पहाड़ी जिले की सतह चंद्रमा जैसी चट्टानी और बंजर नजर आती थी। मेरे चारों तरफ सिर्फ भूरे रंग की पहाड़ियाँ ही थीं। दूर-दूर तक पानी का कोई नामो-निशान नहीं था। किसी के पास कोई काम नहीं था। हर तरफ सिर्फ निराशा का वातावरण था। मुझे अभी तक धूल भरे सड़कों के किनारे, दुबक कर बैठे, पत्थर तोड़ते लोगों के दृश्य याद हैं।
चिलचिलाती धूप में हर साल क्षतिग्रस्त होने वाली सड़कों की मरम्मत का काम। पेड़ों के लिये ऐसे गड्ढों की खुदाई, जो कभी बचते नहीं थे। दीवारों का निर्माण जिनके ओर-छोर का कुछ पता नहीं था। यही थी सूखा राहत की असलियत। ये सब अनुत्पादक काम थे, लेकिन ऐसे संकट के समय में लोगों को जिंदा रहने के लिये यही सब करना पड़ता था।
अच्छे पर्यावरण के लिये एक गाँव की अनूठी मुहिम
Posted on 04 Jun, 2016 12:59 PMविश्व पर्यावरण दिवस, 05 जून 2016 पर विशेष
गाँव पहुँचते ही जैसे दिल बाग-बाग हो जाता है। गाँव में जगह-जगह पेड़-पौधे लगे हुए हैं। पूरा गाँव साफ–सुथरा है। यहाँ कचरा ढूँढे नहीं मिलता है। हर गली-चौराहे पर डस्टबीन रखी हुई है। गाँव के हर चौराहों पर शहर की तरह संकेत बोर्ड लगे हैं। चौराहों को बेहतर ढंग से विकसित किया गया है। उन पर प्रतिमाएँ लगाई गई हैं। यहाँ सरकारी खर्च उतना ही हुआ है जितना बाकी गाँवों में लेकिन यहाँ के लोगों की जागरुकता के चलते गाँव ने अपनी पहचान बना ली है।
पर्यावरण के लिहाज से गाँवों का साफ–सुथरा और पर्यावरण हितैषी होना जरूरी है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि गाँव साफ–सुथरे नहीं होते। गाँव के लोग इन्हें गन्दा रखते हैं लेकिन इस गाँव को देखकर आप अपनी धारणा बदलने पर मजबूर हो जाएँगे।अब तक गाँवों को आप भले ही साफ–सुथरे न मानते रहे हों पर इस गाँव में एक बार घूम आइए, जनाब ... लौटकर यही कहेंगे कि कहाँ लगते हैं इसके सामने शहर भी। आपने अब तक ऐसा कोई गाँव शायद ही कहीं देखा हो। जहाँ आपको जतन करने पर भी कूड़ा–करकट नजर तक नहीं आएगा कहीं। महज ढाई हजार की आबादी वाले इस गाँव की किस्मत पलटी है खुद यहाँ के ही लोगों ने।
आदिवासियों ने हलमा से बनाया तालाब
Posted on 21 Feb, 2016 11:03 AMबात होते–होते किसी ने कहा कि छायन के पास पहाड़ियों से हर साल बड़ी तादाद में पानी नाले से बह
भोपाल गैस त्रासदी : कुछ सबक
Posted on 29 Nov, 2015 03:47 PMभोपाल गैस कांड पर विशेष
2 और 3 दिसम्बर 1984 की दरम्यानी रात को मैं उज्जैन में और मेरा परिवार भोपाल में था। तीन तारीख को सबेरे स्थानीय अखबारों से पता चला कि भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने में गैस रिसी है और उसके असर से भोपाल में अफरा-तफरी का माहौल है। उस समय घटना की गम्भीरता का अहसास नहीं हुआ।
स्वच्छता अभियान के सपने को साकार करते हरदा के गाँव
Posted on 01 Oct, 2015 02:42 PM1. गहने–कपड़े नहीं भाइयों ने दिया शौचालय का उपहार2. गाँव–गाँव हो रही मुनादी
3. हरदा में प्रशासन कर रहा मल युद्ध
स्वच्छता दिवस, 02 अक्टूबर 2015 पर विशेष
भीमकुण्ड की आत्मकथा
Posted on 06 Aug, 2015 09:57 AM
मैं, भीमकुण्ड अर्थात पानी का विशालकाय कुण्ड हूँ। लोेक कथाएँ बताती हैं कि मेरे जन्म का कारण, धार के महाप्रतापी परमार राजा भोज की जानलेवा बीमारी थी। इस बीमारी से निजात पाने के लिये किसी ऋषि ने उन्हें 365 नदी-नालों की मदद से बनवाए जलाशय में स्नान करने की सलाह दी थी। इसी कारण, राजा भोज (1010 से 1055) ने भोजपुर ग्राम में मेरा निर्माण कराया।