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मध्य प्रदेश
तालाबों ने बदल दी है आदिवासियों की किस्मत
Posted on 02 Mar, 2011 10:27 AMशहडोल जिले के जयसिंहनगर ब्लाक में चार गांवों में बसे डेढ़ हजार से ज्यादा आदिवासियों ने अपने खेतों की सिंचाई के लिए जो सपना देखा था, वह मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल के फलस्वरूप दो बड़े तालाबों की वजह से हकीकत में बदल गया है। इन तालाबों के प्रभाव से इन आदिवासी किसानों की जीवन शैली में तेजी से व्यापक परिवर्तन आ रहा है। अब वे तीज-त्यौहारों और ब्याह-शादी में खुलकर खर्च कर रहे हैं।
बड़े काम के छोटे बांध
Posted on 01 Mar, 2011 11:06 AMजमीन के नीचे के पानी का खजाना बढ़ानें के लिए सूखी धरती को हरा-भरा बनाने का नायाब तरीका है, चैकडैम यानी की लघुबांध आप शायद इस तथ्य से अवगत होंगे कि दुनिया के संपूर्ण ताजे या मीठे पानी का एक बहुत छोटा सा अंश ही नदियों या झीलों में पाया जाता है। अधिकांश मीठा पानी, यानीकि 98 प्रतिशत जमीन के नीचे माटी की नमी और भूजल के रूप में रहता है। अत: भूजल ही (बर्फीले पहाड़ों से पिघलने वाली बर्फ के बाद) ताजे पानी कीनली और पानी का खेल
Posted on 28 Feb, 2011 10:02 AMपानी से भरे एक गिलास में प्लास्टिक या कांच की एक नली डालिए। आप देखेंगे कि नली में पानी की सतह गिलास के पानी की सतह से ऊपर उठ जाएगी। ऐसा क्यों होता है, जानते हैं इस बार की विज्ञान प्रोयगशाला में।
मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य
Posted on 26 Feb, 2011 03:36 PMस्वास्थ्य भौतिक, सामाजिक एवं मानसिक रूप से पूर्ण कुशलता की अवस्था है। मात्र रोग की अनुपस्थिति ही स्वास्थ्य नहीं है। वर्ष 1979 में अल्मा् आटा के अंतराष्ट्रीय सम्मेलन ने स्वास्थ्य नीतियों के विकास में एक अहम् भूमिका निभाई है। इसी सम्मेलन में सभी लोगों तक स्वास्थ्य पहुंचाने की बात रखते हुये स्वास्थ्य को नई परिभाषा दी गई। यहीं से वर्ष 2000 तक 'सभी के लिए स्वास्थ्य उपलब्धता' पर पहल प्रारंभ की गई। आज
मध्यप्रदेश में स्वच्छता
Posted on 26 Feb, 2011 02:16 PM
• मध्यप्रदेश में समग्र स्वच्छता अभियान के अन्तर्गत 3311313 शौचालयों (गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों के लिए) का निर्माण किया जाना था पर बने केवल 669320 यानी 20.21 प्रतिशत।
• लक्ष्य यह था कि 56583 स्कूलों में स्वच्छ शौचालयों की व्यवस्था की जायेगी पर अब तक 20974 स्कूलों में यह व्यवस्था नहीं हो पाई।
निशीथ-यात्रा
Posted on 24 Feb, 2011 08:44 PMजबलपुर के समीप भेड़ाघाट के पास नर्मदा के प्रवाह की रक्षा करने वाले संगमरमर के पहाड़ हम रात्रि के समय देख आयेंगे, यह खयाल शायद मध्यरात्रि के स्वप्न में भी न आता। किन्तु ‘सबिन्दु-सिंधु-सुस्खलत् तरंगभंग-रजिंतम्’ कहकर जिसका वर्णन हम किसी समय संध्या-वंदन के साथ गाते थे, उस शर्मदा नर्मदा के दर्शन करने के लिए यह एक सुन्दर काव्यमय स्थान होगा, ऐसी अस्पष्ट कल्पना मन के किसी कोने में पड़ी हुई थी।धुवांधार
Posted on 24 Feb, 2011 07:43 PMएक, दो, तीन। धुवांधार अभी-अभी मैंने तीसरी बार देख लिया। धुवांधार नाम सुन्दर है। इस नाम में ही सारा दृश्य समा जाता है। किन्तु अबकी बार इस प्रपात को देखते-देखते मन में आया कि इसको धारधुवां क्यों न कहूं? धार गिरती है, फव्वारे उड़ते हैं और तुरन्त उसके तुषार बनकर कुहरे के बादल हवा में दौड़ते हैं। अतः धारधुवां नाम ही सार्थक लगता है। मगर यह नाम चल नहीं सकता!
जहरीली हो जाएगी नर्मदा
Posted on 22 Feb, 2011 02:57 PMतमाम शोध और अध्ययन बताते हैं कि नर्मदा को लेकर बनी योजनाओं से दूरगामी परिणाम सकारात्मक नहीं होंगे। भयंकर परिणामों के बावजूद ‘नर्मदा समग्र’ अभियान वाली हमारी सरकार नर्मदा जल में जहर घोलने की तैयारी क्यों कर रही है?
जहरीली हो रही नर्मदा
Posted on 21 Feb, 2011 10:58 AMदेश की सबसे प्राचीनतम नदी नर्मदा का जल तेजी से जहरीला होता जा रहा है। अगर यही स्थिति रही तो मध्यप्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा अगले 10-12 सालों में पूरी तरह जहरीली हो जाएगी और इसके आसपास के शहरों-गांवों में बीमारियों का कहर फैल जाएगा। हाल ही मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से नर्मदा के जल की शुद्धता जांचने के लिए किए गए एक परीक्षण में पता चला है कि नर्मदा तेजी से मैली हो रही है। तमाम शोध और