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मध्य प्रदेश
काम आयी कृषक खेत पाठशाला की पढ़ाई
Posted on 28 Apr, 2011 11:53 AM’’कृषि विकास विभाग की आत्मा परियोजना अंतर्गत संचालित कृषक खेत पाठशाला से जुड़कर अमहा गांव के किसानों ने एक ऐसी पढ़ाई पढ़ी जिसने उन्हें आधुनिक तकनीकि अपनाने और उन्नत पैदावार लेने वाला हुनरगर बना दिया।’’खेत-खलिहानों और किसानों के बीच रची-बसी एक ऐसी पाठशाला जो सिर्फ किताब का कोरा ज्ञान नहीं देती वरन् आधुनिक कृषि तकनीकि के आधार पर खेती को लाभकारी बनाने का हुनर सिखाती है। उमरिया जिला, मानपुर जनपगीत नदी की रक्षा का
Posted on 20 Apr, 2011 10:29 AMनदियों को आजाद करोअब न उन्हें बर्बाद करो,
नदियाँ अविरल बहने दो
उनको निर्मल रहने दो,
नदियों को यदि बहना है
तो जंगल को रहना है,
बॉंध नदी के दुश्मन हैं
जंगल उसके जीवन हैं,
मत काटो-बर्बाद करो,
उन्हे पुनः आबाद करो।
धरती का सम्पूर्ण जहर
गाँव-गाँव और शहर-शहर
बहा सिंधु मे ले जातीं
क्या नर्मदा की निर्मल चादर मैली होगी?
Posted on 07 Apr, 2011 12:57 PMमध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के सांईखेड़ा विकासखंड में एन.टी.पी.सी. के कोयला बिजलीघर लगने की खबर से गांववासी आंदोलित हैं। वे अपने घर-जमीन बचाने के लिए महात्मा गांधी की राह पर चलकर सत्याग्रह कर रहे हैं। धरना, प्रदर्शन और संकल्प का सिलसिला चल रहा है। वे प्रशासन के आला अफसरों से लेकर मुख्यमंत्री तक से मिल चुके हैं लेकिन अब तक उन्हें कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला है।
दम तोड़ रही हैं सतपुड़ा की नदियां
Posted on 07 Apr, 2011 11:29 AMआमतौर पर जब कभी नदियों पर बात होती है तो ज्यादातर वह बड़ी नदियों पर केंद्रित होती है। लेकिन इन सदानीरा नदियों का पेट भरने वाली छोटी नदियों पर हमारा ध्यान नहीं जाता, जो आज अभूतपूर्व संकट से गुजर रही हैं। अगर हम नजर डालें तो पाएंगे कि कई छोटी-बड़ी नदियां या तो सूख चुकी हैं या फिर बरसाती नाले बनकर रह गई हैं। गांव-समाज के बीच से तालाब, कुंए और बाबड़ी जैसे परंपरागत पानी के स्रोत तो पहले से ही खत्म ह
सूख रहा है भोपाल की 'लाइफ लाइन' बड़ा तालाब
Posted on 02 Apr, 2011 03:51 PMभोपाल के बड़े तालाब को शहर का लाइफ लाइन माना जाता है। इस तालाब से भोपाल की 40 फीसदी आबादी को जलापूर्ति की जाती है। पर प्राकृतिक छेड़छाड़ और तालाब के प्रति उदासीन रवैया ने तालाब के कैचमेंट क्षेत्र को कम कर दिया और नतीजन बारिश में तालाब का पेट नहीं भर पाता है और साल-दर-साल शहर पर जल संकट गहराता जा रहा है। मार्च महीने में ही बड़े तालाब का जल-स्तर 1653.40 फीट पर आ पहुंचा है। इसकी क्षमता 1666.80 से
हमारी बात नहीं मानेंगे तो पछताना पड़ेगा
Posted on 01 Apr, 2011 01:11 PMमेधा पाटकर से आलोक प्रकाश पुतुल की बातचीत
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री और सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर का मानना है कि विकास की अवधारणा को ठीक से समझा नहीं जा रहा है, जिससे सामाजिक संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है। मेधा पाटकर की राय में सशस्त्र माओवादी आंदोलन के मुद्दे तो सही हैं लेकिन उनका रास्ता सही नहीं है। हालांकि मेधा पाटकर यह मानती हैं कि देश में अहिंसक संघर्ष और संगठन भी अपना काम कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनके मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है, जिससे इस तरह के आंदोलनों की जगह लगातार कम हो रही है। यहां पेश है, उनसे की गई एक बातचीत।
• देश भर में जब कभी भी विकास की कोई प्रक्रिया शुरू होती है तो चाहे-अनचाहे, जाने-अनजाने उसका विरोध शुरू हो जाता है।
खतरे में कुदरती \"वाटर प्यूरीफायर\"
Posted on 18 Mar, 2011 02:05 PMनर्मदा नदी के तलहटी में पाए जाने वाले कुदरती 'वाटर प्यूरीफायर' के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। रेत के अंधाधुंध उत्खनन होने से ऐसी परिस्थितियां बन रही हैं कि नदी के पानी को शुद्ध करने वाले ये सूक्ष्मजीव नष्ट हो रहे हैं।
कर्ज से हारती किसान की जिंदगी
Posted on 15 Mar, 2011 03:51 PMकिसान से कब बंधुआ मजदूर बन गया, यह नंदकिशोर को पता ही नहीं चला। महंगे कीटनाशक, महंगे बीज और रासायनिक खाद ने उसे कर्जदार बना दिया। अपने एक भाई, दो बेटियों और बुजुर्ग मां सहित छह सदस्यों का भरण-पोषण चार एकड़ खेती से संभव नहीं रहा और इधर साहूकार का 50 हजार का कर्ज सिर पर था। खेती की जिम्मेदारी भाई को सौंपकर खुद बंधुआ मजदूर बनकर साहूकार के ट्रेक्टर की ड्राईवरी करने लगा। कुछ सालों तक बंधुआ मजदूर बने रहकर उसे लगा कि इससे तो कभी कर्ज उतरेगा नहीं। लिहाजा उसने बटाई पर खेती करने का उपाय सोचा। नंदकिशोर ने उसी साहूकार की 20 बीघा जमीन 25 हजार रुपए में बटाई पर ली, जिसके यहां वह बंधुआ था। ये 25 हजार रुपए भी उसके सिर पर कर्ज के तौर पर बढ़ गए, जिसकी जमानत के रूप में उसने पत्नी के चांदी के जेवर गिरवी रखे। इस तरह बंधुआ मजदूरी और खेती साथ-साथ चलने लगी।मौत के मुआवजे पर मजा करना चाहता है मध्य प्रदेश
Posted on 14 Mar, 2011 03:50 PMमध्य प्रदेश के किसान पुत्र शिवराज सिंह चौहान की सरकार के गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता द्वारा मध्य प्रदेश विधानसभा में ऐसा आंकड़ा प्रस्तुत किया है जिससे पता चलता है कि मध्य प्रदेश सरकार किसानों के मौत के नाम पर मुआवजा लेकर मौज करना चाहता है।