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भूजल दोहन को लक्ष्मण रेखा की तलाश
Posted on 27 Apr, 2015 12:40 PM


भारत में भूजल का दोहन लगातार बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों सहित अनेक लोगों को लगता है कि यह दोहन लक्ष्मण रेखा लाँघ रहा है। ग़ौरतलब है कि पूरे विश्व में भूजल दोहन के मामले में हम पहली पायदान पर हैं। भारत का सालाना भूजल दोहन लगभग 230 घन किलोमीटर है। यह दोहन पूरी दुनिया के सालाना भूजल दोहन के 25 प्रतिशत से भी अधिक है।

Groundwater misuse
तगड़े भूकम्प में सुरक्षित नहीं दिल्ली मेट्रो
Posted on 27 Apr, 2015 10:32 AM नई दिल्ली, 26 अप्रैल 2015। दिल्ली मेट्रो रेल कहने को तो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है और विश्वस्तरीय मानकों का पालन भी करती है लेकिन इसके सुरक्षा मानकों व स्टेशनों का आकलन करने के बाद पता चलता है कि यह तगड़े भूकम्प या बाढ़ जैसी किसी आपदा की सूरत में सुरक्षित नहीं है। रोजाना 23 लाख से अधिक यात्रियों को ढोने वाली मेट्रो साढ़े सात रिक्टर स्केल से अधिक के
भारत में कभी भी तबाही मचा सकता है भूकम्प : विशेषज्ञ
Posted on 27 Apr, 2015 09:27 AM नेपाल में आये भूकम्प से 32 गुना अधिक शक्तिशाली होने की जताई जा रही आशंका
उधार का पानी
Posted on 26 Apr, 2015 11:52 AM

प्यासे को पानी पिलाना पुण्य का काम होता था। पंछियों और पशुओं की प्यास का भी ख्याल किया जाता था

बड़े भूकम्प में तबाह हो जाएगी अनियोजित बसी दिल्ली
Posted on 26 Apr, 2015 09:38 AM

नेपाल और उत्तर-पूर्व भारत में शनिवार को आए भूकम्प से लोग दहल गए हैं। नेपाल में जहाँ भूकम्प ने भ

दिल्ली में मची है फेफड़े और पेट की जंग
Posted on 25 Apr, 2015 03:46 PM जब एक तरफ डीजल एसयूवी और कारों की बिक्री जारी थी और डीजल ट्रकों का
खुश करें धरती को
Posted on 25 Apr, 2015 11:19 AM पृथ्वी दिवस या अर्थ डे एक दिन मनाने की चीज नहीं है। इसका ख्याल आप रोज रखें।
टूटने लगे सपने
Posted on 24 Apr, 2015 01:14 PM राजनाथ सिंह ने जब बेंती गाँव को आदर्श गाँव योजना के लिये चुना तो वहाँ रहने वालों के आनन्द का ठिकाना न था। पर जल्दी ही उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया लगता है उनके सपने टूटने लगे हैं।
adarsh gram yojna
गंगा पर सरकारी चिन्तन का ट्रेलर लांच…
Posted on 24 Apr, 2015 12:42 PM

पिछले दिनों राष्ट्रीय नदी गंगा विकास प्राधिकरण (एनजीआरबीए) की पाँचवी बैठक हुई। जिस बैठक में गंगा पर लागू किए जाने वाले चरणों पर बात होनी चाहिए, उस बैठक में प्रधानमन्त्री ने मिशन मोड का नारा दिया। वहीं बैठक में शामिल मुख्यमन्त्रियों ने निराशाजनक बात की। कुल मिलाकर गंगा को लेकर कोई कार्य योजना सामने नहीं आ सकी।

Ganga meeting
पृथ्वी के बदलते तेवर और हमारे मौसम
Posted on 23 Apr, 2015 03:08 PM

पृथ्वी दिवस पर विशेष


बेमौसम बारिश, बारिश के दिनों में पानी कम गिरना और इन आपदाओं की आवृत्ति दशक-दर-दशक बढ़ना प्रत्यक्ष रूप से नई जरूर है लेकिन विशेषज्ञों ने दशकों पहले आगाह करना शुरू कर दिया था। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर 1980 और 1990 के दशकों में कई गम्भीर विचार-विमर्श हो चुके हैं। हालांकि जलवायु परिवर्तन के नाम से जब भी इस संकट पर बात हुई वह भूताप यानी ग्लोबल वार्मिंग के इर्द-गिर्द घूमती रहीं। और भूताप का मसला कार्बन उत्सर्जन करने वाले उद्यमों-उपक्रमों पर चिन्ता जताने के आगे ज्यादा नहीं बढ़ पाया।

कुछ दिनों या महीनों के अन्तर से मौसम का बदलना चाहे नियमित हो या अनियमित हो, इसे हम ऋतु परिवर्तन या मौसम का बदलना कहते हैं। और इस बदलाव को पृथ्वी के भीतर या बाहर यानी वायुमण्डल की हलचल के कारण समझते आए हैं। मौसम के बदलने को हमने प्रकृति की देन समझा और अपने मुताबिक उसे बदलने की कोशिश नहीं की बल्कि उन बदलावों से अनकूलन कर लिया और अपने जीवनयापन के प्रबन्ध उसी के मुताबिक हमने करना सीख लिया।
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