नेपाल में आये भूकम्प से 32 गुना अधिक शक्तिशाली होने की जताई जा रही आशंका
नई दिल्ली। नेपाल में शनिवार को आए भूकम्प से भले ही हिन्दुस्तान हिल गया हो लेकिन बड़ी तबाही आना अभी बाकी है। वैज्ञानिकों की मानें तो मध्य हिमालयी क्षेत्र में आया यह भूकम्प 80 सालों का एक बड़ा झटका था लेकिन अभी ‘सबसे बड़ा’ भूकम्प आना बाकी है।
हिमालयी क्षेत्र में अगला भूकम्प आने पर भारत में नेपाल की तरह तबाही मच सकती है। अहमदाबाद स्थित भूकम्प अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक बी.के. रस्तोगी ने कहा कि भारत में इस तीव्रता पर एक भूकम्प अभी आना ‘बाकी’ है। यह आज आ सकता है या फिर 50 साल के बाद लेकिन इतनी तीव्रता वाला भूकम्प आना तय है। भारत में भूकम्प जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब व उत्तराखण्ड में हिमालय की पहाड़ियों में आ सकता है। इन क्षेत्रों में सिस्मिक गैप की पहचान की गई है। भूगर्भ वैज्ञानिक जेके बंसल ने कहा कि नेपाल से 32 गुना अधिक शक्तिशाली भूकम्प के आने की आशंका अभी हिमालय और उसके आस-पास के इलाकों में बनी है। विशेषज्ञों की मानें तो उत्तर भारत और दिल्ली में इतनी तीव्रता वाले भूकम्प आने पर सबसे ज्यादा तबाही मचेगी, क्योंकि इन हिस्सों में बनी इमारतें 7 रिक्टर से ज्यादा भूकम्प सहन नहीं कर सकती हैं।
वैज्ञानिकों ने जताई थी आशंका
सूत्रों का कहना है कि कुछ विशेषज्ञों को इस आपदा की जानकारी थी। एक हफ्ते पहले ही 50 भूकम्प विज्ञानी और सामाजिक विज्ञानी विश्वभर से काठमांडू पहुँचे थे। इंग्लैंड के कैंब्रिज यूनिवर्सिटि के अर्थ साइंस डिपार्टमेंट के हेड जेम्स जैक्सन ने कहा कि यह एक ऐसा बुरा सपना था जिसके बारे में हम जानते थे।
नहीं मिल रहा कोई हल
नेपाल का दौरा करने वाले वैज्ञानिकों की टीम को यह एहसास नहीं था कि जिस भयावह आपदा का वे अनुमान लगा रहे हैं वह इतनी जल्दी आ जाएगी। वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं कि कोई ऐसा तरीका तलाशा जाए जिससे भूकम्प के आने की सम्भावना का पता लगाया जाए, लेकिन अभी इसमें कोई कामयाबी नहीं मिली है।
ऊपर उठ रहा हिमालय
नेपाल में भूकम्प आते रहते हैं और इसीलिए उसे दुनिया में सबसे ज्यादा भूकम्प सम्भावित इलाकों में एक माना जाता है। इस क्षेत्र में पृथ्वी की इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे दबती जा रही है और इससे हिमालय ऊपर उठता जा रहा है। हर साल लगभग पाँच सेंटीमीटर ये प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे जा रही है और इससे हर साल हिमालय पाँच सेंटीमीटर ये प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे जा रही है और इससे हर साल हिमालय पाँच मिलीमीटर ऊपर रहा है। इससे चट्टानों के ढाँचे में एक तनाव पैदा हो जाता है। जब ये तनाव चट्टान बर्दाश्त नहीं कर पाती तो भूकम्प आता है।
नई दिल्ली। नेपाल में शनिवार को आए भूकम्प से भले ही हिन्दुस्तान हिल गया हो लेकिन बड़ी तबाही आना अभी बाकी है। वैज्ञानिकों की मानें तो मध्य हिमालयी क्षेत्र में आया यह भूकम्प 80 सालों का एक बड़ा झटका था लेकिन अभी ‘सबसे बड़ा’ भूकम्प आना बाकी है।
हिमालयी क्षेत्र में अगला भूकम्प आने पर भारत में नेपाल की तरह तबाही मच सकती है। अहमदाबाद स्थित भूकम्प अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक बी.के. रस्तोगी ने कहा कि भारत में इस तीव्रता पर एक भूकम्प अभी आना ‘बाकी’ है। यह आज आ सकता है या फिर 50 साल के बाद लेकिन इतनी तीव्रता वाला भूकम्प आना तय है। भारत में भूकम्प जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब व उत्तराखण्ड में हिमालय की पहाड़ियों में आ सकता है। इन क्षेत्रों में सिस्मिक गैप की पहचान की गई है। भूगर्भ वैज्ञानिक जेके बंसल ने कहा कि नेपाल से 32 गुना अधिक शक्तिशाली भूकम्प के आने की आशंका अभी हिमालय और उसके आस-पास के इलाकों में बनी है। विशेषज्ञों की मानें तो उत्तर भारत और दिल्ली में इतनी तीव्रता वाले भूकम्प आने पर सबसे ज्यादा तबाही मचेगी, क्योंकि इन हिस्सों में बनी इमारतें 7 रिक्टर से ज्यादा भूकम्प सहन नहीं कर सकती हैं।
वैज्ञानिकों ने जताई थी आशंका
सूत्रों का कहना है कि कुछ विशेषज्ञों को इस आपदा की जानकारी थी। एक हफ्ते पहले ही 50 भूकम्प विज्ञानी और सामाजिक विज्ञानी विश्वभर से काठमांडू पहुँचे थे। इंग्लैंड के कैंब्रिज यूनिवर्सिटि के अर्थ साइंस डिपार्टमेंट के हेड जेम्स जैक्सन ने कहा कि यह एक ऐसा बुरा सपना था जिसके बारे में हम जानते थे।
नहीं मिल रहा कोई हल
नेपाल का दौरा करने वाले वैज्ञानिकों की टीम को यह एहसास नहीं था कि जिस भयावह आपदा का वे अनुमान लगा रहे हैं वह इतनी जल्दी आ जाएगी। वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं कि कोई ऐसा तरीका तलाशा जाए जिससे भूकम्प के आने की सम्भावना का पता लगाया जाए, लेकिन अभी इसमें कोई कामयाबी नहीं मिली है।
ऊपर उठ रहा हिमालय
नेपाल में भूकम्प आते रहते हैं और इसीलिए उसे दुनिया में सबसे ज्यादा भूकम्प सम्भावित इलाकों में एक माना जाता है। इस क्षेत्र में पृथ्वी की इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे दबती जा रही है और इससे हिमालय ऊपर उठता जा रहा है। हर साल लगभग पाँच सेंटीमीटर ये प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे जा रही है और इससे हर साल हिमालय पाँच सेंटीमीटर ये प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे जा रही है और इससे हर साल हिमालय पाँच मिलीमीटर ऊपर रहा है। इससे चट्टानों के ढाँचे में एक तनाव पैदा हो जाता है। जब ये तनाव चट्टान बर्दाश्त नहीं कर पाती तो भूकम्प आता है।
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