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कैसे मनाएँ पृथ्वी दिवस
Posted on 21 Apr, 2015 03:00 PM

पृथ्वी दिवस पर विशेष

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चक्रव्यूह में किसान
Posted on 21 Apr, 2015 12:49 PM बेवक्त की बारिश और ओलावृष्टि ने देश की दूसरी सबसे बड़ी कही जाने वाली रबी की फसल को काफी-कुछ तबाह कर दिया है। कई राज्यों में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। कोढ़ में खाज यह है कि सरकारें किसानों को ऊँट के मुँह में जीरे की तरह मुआवजा बाँट रही है। खेती-किसानी के इस दुखद पहलू का जायजा ले रहे हैं अभिषेक कुमार सिंह।
कालिये ने बदला रूप...
Posted on 20 Apr, 2015 04:21 PM

एक बार फिर यमुना राजनीति की शिकार हो गई। आमरण अनशन की घोषणा करके दिल्ली आए यमुना तट के बाशिन्दे कोरा आश्वासन पाकर लौट गए। न दिल्ली की यमुना में नाले गिरने रुके और न ही हथिनीकुण्ड से पानी की मात्रा बढ़ी। अन्तर एक ही आया है। सरकार का चेहरा बदल गया है, करतूत नहीं।

यमुना आन्दोलन एक बार फिर मँझधार में फँसकर रह गया। नेतृत्व के अभाव और सरकार की चालाकी से यमुना पथ के बाशिन्दे सिर्फ आश्वासन लेकर वापस लौट गए। कमोबेश 2011 और 2013 की कहानी को ही दोहराया गया।

इस बार का आन्दोलन शुरू से ही हारी हुई लड़ाई लड़ रहा था। आन्दोलन के ज्यादातर नेता केन्द्रीय मन्त्रियों के साथ अपने मधुर सम्बन्धों में शहद डालने की कोशिश में जुटे थे। 15 मार्च को कोसीकलाँ से प्रारम्भ हुई यात्रा को यही नहीं पता था कि लड़ाई किससे है।

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जनहित के खिलाफ न जाए सरकार
Posted on 20 Apr, 2015 03:36 PM जल, जंगल, ज़मीन, आजीविका, खाद्य सुरक्षा और न्याय जैसे कई मुद्दे हैं जिन्हें लेकर जनता को धरना प्रदर्शन करना पड़ता है। लोकतान्त्रिक व्यवस्था में भी वे अपने हक के लिये लड़ने को विवश हैं। इस बार जन्तर-मन्तर पर देश के कोने-कोने से आए मजदूर, किसान, महिलाएँ और युवा अपने हक के लिये मुखर होते दिखे।
हमारे पापों ने की गंगा मैली
Posted on 19 Apr, 2015 01:31 PM राजस्थान पत्रिका आज से अक्षय तृतीया (आखा तीज) तक तीन दिन की एक विशेष शृंखला का प्रकाशन कर रहा है। इसमें पतित पावनी गंगा और शक्ति स्वरूपा स्त्री के सनातन और आधुनिक स्वरूप पर चिन्तन-मनन होगा। इसमें पाठकों को दोनों के भारतीय संस्कृति से जुड़े मौलिक स्वरूप और उनकी वर्तमान तस्वीर का ब्यौरा होगा। इसी के साथ इस बात का भी खुलासा होगा कि यदि हम इन दोनों के मौलिक स्वरूप से दूर हुए तो समाज और देश को क्या-
आखिर किसे है पर्यावरण की चिन्ता
Posted on 18 Apr, 2015 12:11 PM पर्यावरण को लेकर अकसर बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन उसमें सुधार की कोशिशें शायद ही होती हैं। यही कारण रहा है कि पर्यावरण संकट बढ़ता जा रहा है। अभी कुछ महीने पहले एक खबर आई थी कि गुड़गाँव स्थित सुलतानपुर झील में 47 पक्षियों की मृत्यु हो गई। इन 47 पक्षियों में कई विदेशी भी थे। आशंका यह जताई गई कि इन पक्षियों की मौत के पीछे स्वाइन फ्लू भी एक कारण हो सकता है
गंगा जल से यमुना निर्मल करने का फार्मूला
Posted on 14 Apr, 2015 03:00 PM प्रदूषण मुक्ति के लिये चार गुना ज्यादा गंगाजल छोड़े जाने का प्रस्ताव विचाराधीन
विफल रहा सफाई अभियान और ज्यादा मैली हुई यमुना
Posted on 13 Apr, 2015 01:46 PM नई दिल्ली। दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित नदी है यमुना। भारत में नदियों को न केवल पानी के लिहाज से सिर्फ प्राकृतिक स्रोत माना जाता है, अपितु इन नदियों की देवी रूप में पूजा भी होती है। नदियाँ पवित्रता का भी प्रतीक हैं।
पानी का नहीं कोई हल, निजी सेक्टर का गला ‘तर’
Posted on 13 Apr, 2015 08:56 AM

स्थायी हल के बजाए सरकार का वैकल्पिक तरीकों पर ध्यान, निजी सेक्टर को मिलता है सीधा फायदा

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