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शरीर में जलाभाव के दुष्प्रभाव
Posted on 15 Feb, 2011 01:19 PM

प्रायः कहा जाता है, 'जल ही जीवन है'। यह कोई अतिशयोक्ति न होकर जीवन का यथार्थ है क्योंकि जीवन सञ्चालन के प्रत्येक चरण में जल का महत्व है। शरीर में इसके अल्पाभाव से अनेक जैविक क्रियाएँ मंद पड़ जाती हैं। आइये देखें कि जल का शरीर की किन क्रियाओं में योगदान होता है।

बंजर हुई जमीन और घटी पैदावार
Posted on 15 Feb, 2011 11:03 AM केंद्रीय वित्त मंत्री ने उर्वरकों के दुष्परिणामों की बात स्वीकार क
मनरेगा की पांच साल की यात्रा
Posted on 14 Feb, 2011 10:26 AM

गरीबी, बेरोजगारी और पलायन से त्रस्त ग्रामीण भारत में राहत का संदेश लेकर आए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) ने पांच साल पूरे तो कर लिए हैं, पर सरकार मनरेगा में पारदर्शिता एवं इसकी खामियों को अब तक दूर नहीं कर सकी है और इस पर चिंतित दिखती है।

भारत में मौसम पूर्वानुमान
Posted on 14 Feb, 2011 09:51 AM भारत में मौसम विज्ञान का आरंभ प्राचीन काल से माना जाता है। करीब तीन हजार ईसा पूर्व लिखे गए दार्शनिक ग्रंथ ‘उपनिषदों’ में पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर घूमने के कारण मौसमी परिवर्तन के साथ बादल बनने और बारिश होने पर गंभीर चिंतन किया गया है। करीब 500 ईसवीं में वराहमिहिर द्वारा लिखे ‘बृहत संहिता’ ग्रंथ में उस समय की वायुमंडलीय क्रियाओं के गहरे ज्ञान की झलक मिलती है। उस दौरान रचे गए ‘आदित्य जायते वृष्टि’
मौसम का पूर्वानुमान
Posted on 11 Feb, 2011 04:55 PM मौसम का हमारे दैनिक जीवन से गहरा संबंध है। हर कोई यह जानना चाहता है कि आने वाले दिनों में मौसम कैसा होगा। इन बातों के बावजूद खराब मौसम या अचानक बारिश होने के बाद भी छुट्टी कौन चाहेगा?
आक्रोशित मौसम
Posted on 10 Feb, 2011 04:31 PM हममें से अधिकतर के लिए बारिश, हिमपात और तड़ित झंझा सामान्य अनुभव रहे हैं। यदि लगातार पिछले कुछ घंटों से कई तड़ित झंझा आए तो भी हम अधिक भयभीत नहीं होते हैं। लेकिन अक्सर ऐसी घटनाएं दुखद होती हैं। जब चक्रवाती तूफान तटीय क्षेत्रों में पहुंचता है तो यह मूसलाधार बारिश का कारण बनता है जिससे बहुत विशाल क्षेत्र में बाढ़ आने से जान-माल को भारी नुकसान पहुंचता है। संयुक्त राज्य के मैदानी भागों और भारत के कुछ
तालाब: राम कोडावय ताल सगुरिया
Posted on 10 Feb, 2011 03:50 PM राम कोडावय ताल सगुरिया दूर-दूर तक नज़र दौड़ायी । कहीं कोई नहीं । फूलचुहकी भी नहीं, जो उस दिन इसी महुए के पेड़ पर फुदकती दिख पड़ी थी । ऐसे में यह कौन मद्धिम स्वर में गा रहा है ? सिर पर पागा बाँधे,हाथ में तेंदू-लउड़ी धरे वह चरवाहा भी नहीं । फिर यह चिर-परिचित तान कौन छेड़ रखा है ?
इस तरह गंगा साफ नहीं होगी
Posted on 09 Feb, 2011 02:44 PM

गंगा के मैले होने की चर्चा गाहे-बगाहे होती रहती है। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद केंद्र की सत्ता में आए राजीव गांधी ने गंगा ऐक्शन प्लान शुरू किया था। उसका मकसद तो गंगा की सफाई था, लेकिन कहा जाता है कि वह ऐक्शन प्लान नेता और इंजीनियरों का प्लान होकर रह गया। इसमें नौ सौ करोड़ रुपये बरबाद हो गए। गंगा की सफाई को लेकर एक बार फिर चर्चा जोरों पर है। दूरदर्शन ने भी विगत 26 दिसंबर को अपने स्टूडियों में

जल स्रोत
Posted on 08 Feb, 2011 05:11 PM

 



 

 

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