बिमान बसु
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भारत में मौसम पूर्वानुमान
Posted on 14 Feb, 2011 09:51 AMभारत में मौसम विज्ञान का आरंभ प्राचीन काल से माना जाता है। करीब तीन हजार ईसा पूर्व लिखे गए दार्शनिक ग्रंथ ‘उपनिषदों’ में पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर घूमने के कारण मौसमी परिवर्तन के साथ बादल बनने और बारिश होने पर गंभीर चिंतन किया गया है। करीब 500 ईसवीं में वराहमिहिर द्वारा लिखे ‘बृहत संहिता’ ग्रंथ में उस समय की वायुमंडलीय क्रियाओं के गहरे ज्ञान की झलक मिलती है। उस दौरान रचे गए ‘आदित्य जायते वृष्टि’मौसम का पूर्वानुमान
Posted on 11 Feb, 2011 04:55 PMमौसम का हमारे दैनिक जीवन से गहरा संबंध है। हर कोई यह जानना चाहता है कि आने वाले दिनों में मौसम कैसा होगा। इन बातों के बावजूद खराब मौसम या अचानक बारिश होने के बाद भी छुट्टी कौन चाहेगा?आक्रोशित मौसम
Posted on 10 Feb, 2011 04:31 PMहममें से अधिकतर के लिए बारिश, हिमपात और तड़ित झंझा सामान्य अनुभव रहे हैं। यदि लगातार पिछले कुछ घंटों से कई तड़ित झंझा आए तो भी हम अधिक भयभीत नहीं होते हैं। लेकिन अक्सर ऐसी घटनाएं दुखद होती हैं। जब चक्रवाती तूफान तटीय क्षेत्रों में पहुंचता है तो यह मूसलाधार बारिश का कारण बनता है जिससे बहुत विशाल क्षेत्र में बाढ़ आने से जान-माल को भारी नुकसान पहुंचता है। संयुक्त राज्य के मैदानी भागों और भारत के कुछबादल, वर्षा एवं हिम
Posted on 29 Jan, 2011 04:32 PMयदि हम पृथ्वी की सतह से 35 किलोमीटर ऊपर की ओर जाएं तब हमें दिन में भी आकाश काला दिखाई देगा। इस ऊंचाई से हमें दिन में तारे भी नज़र आ जाएंगे। अंतरिक्षयात्रा के दौरान जब अंतरिक्षयात्री आकाश को देखते हैं तब अंतरिक्ष में वायुमंडल की अनुपस्थिति के कारण उन्हें आकाश नीला नहीं दिखाई देता है।अशांत वायुमंडल
Posted on 24 Jan, 2011 11:04 AM सामान्यतया वायुमंडल गैसों का मिश्रण है जिसके तीन चौथाई से अधिक भाग में नाइट्रोजन व शेष हिस्से में ऑक्सीजन उपस्थित होती है। इन दोनों गैसों के पश्चात शेष बचे एक प्रतिशत भाग में कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प और ओजोन आदि गैसों का मिश्रण वर्षा एवं बादल जैसे मौसमी घटकों को प्रभावित करने के साथ ही पूरी पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करने वाले हरित ग्रह प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग यानी वैश्विक तापन जैसी परिघटनाओं को भी प्रभावित करता है।मौसम पृथ्वी के वायुमंडल की विभिन्न घटनाओं पर निर्भर करता है। सभी मौसमी परिघटनाएं जैसे बादल, हिमपात, बारिश, तूफान और चक्रवात वायुमंडल में ही घटित होती हैं। जब हम जमीन से आसमान की ओर देखते हैं तब हम वास्तव में धरती को कंबल की तरह ढके हुए वायुमंडल की ओर देख रहे होते हैं। सामान्यतया वायुमंडल गैसों का मिश्रण है जिसके तीन चौथाई से अधिक भाग में नाइट्रोजन व शेष हिस्से में ऑक्सीजन उपस्थित होती है। इन दोनों गैसों के पश्चात शेष बचे एक प्रतिशत भाग में कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प और ओजोन आदि गैसों का मिश्रण वर्षा एवं बादल जैसे मौसमी घटकों को प्रभावित करने के साथ ही पूरी पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करने वाले हरित ग्रह प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग यानी वैश्विक तापन जैसी परिघटनाओं को भी प्रभावित करता है।पवनें
Posted on 25 Jan, 2011 03:46 PMहवा के बहाव को पवन कहते हैं। पवनें पृथ्वी के मौसम तंत्र का महत्वपूर्ण घटक है। हवा के भार के कारण पवन चलती है। गर्म हवा की तुलना में ठंडी हवा के अधिक भारी होने के कारण ठंडी हवा का दाब भी अधिक होता है। सूर्य की ऊष्मा से हवा गर्म होकर हल्की होने पर ऊपर की ओर उठती है तब गर्म हवा के ऊपर उठने पर उसके द्वारा रिक्त किए गए स्थान पर आसपास की ठंडी और भारी हवा आ जाती है। इससे हम कह सकते हैं कि हवा सदैव उच्च दसूर्यः मौसम का निर्माता
Posted on 24 Jan, 2011 03:36 PMसूर्य पृथ्वी के मौसम रूपी इंजन को चलाने वाला ऊर्जा स्रोत है। सूर्य की ऊर्जा व ऊष्मा के बगैर कोयला, जीवाश्म ईंधन, पौधे, हवा और बारिश ही नहीं अपितु जीवन का भी अस्तित्व संभव नहीं है। सूर्य ही हवा के गर्म या ठंडी, तूफानी या शांत, बादलों भरी या स्वच्छ और आर्द्र या शुष्क होने का निर्धारण करता है। सूर्य की ऊष्मा के कारण ही हवाओं, बादलों, चक्रवातों और अन्य मौसम संबंधी परिघटनाओं का जन्म होता है।हमारे जीवन में मौसम
Posted on 22 Jan, 2011 12:43 PMमौसम की हमारे दैनिक जीवन में अहम भूमिका है। इसमें कोई दो राय नहीं कि गर्मी हो या सर्दी या फिर बारिश के दिन सभी ऋतुओं में या कहें कि हमारे रोजमर्रा के जीवन में आपसी बातचीत के सामान्य विषयों में मौसम भी शामिल होता है। हम दैनिक मौसम के प्रति बहुत चिंतित होते हैं। दैनिक मौसम बहुत गर्म, बहुत ठंडा उमसदार और तूफानी हो सकता है। निश्चित रूप से वसंत और शरद ऋतु के दौरान हमें मौसम ज्यादा आनंददायक लगता है।