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भारत
जलवायु परिवर्तनः एक गंभीर समस्या
Posted on 27 Jan, 2012 11:29 AMसूर्य से तीसरा ग्रह पृथ्वी, हमारे सौर मंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन अपने पूर्ण रूप में फल-फूल रहा है। वनस्पति, सूक्ष्मजीव, जीव-जन्तु यानी जीवन के विभिन्न रूप एक नाजुक संतुलन पर टिके हैं। एक ऐसा संतुलन जिसमें सभी जीव-जन्तु मिलकर अपने अस्तित्व को बचाए रखते हैं या फिर यूँ कहे कि एक दूसरे के अस्तित्व का सहारा हैं। लेकिन आज जब दुनिया विकास की अंधी दौड़ लगा रही है ऐसे में अनेक नाजुक संतुलन गड़बडपरिंदों पर आफत
Posted on 25 Jan, 2012 01:49 PMवन विभाग को विलुप्त हो रहे पक्षियों के संरक्षण का उपाय खोजना होगा। यह प्रसन्नता व संतोष की बात
दूधातोली लोक विकास संस्थान 26 जनवरी को होगा सम्मानित
Posted on 25 Jan, 2012 11:05 AMहिमालयी वनों के पुनर्जीवन के अनोखे प्रयास को सम्मान
हिमालय के 136 गांवों में शिक्षक सच्चिदानंद भारती की अगुवाई वाली ‘दूधातोली लोक विकास संस्थान’ ने लोगों को एकजुट करके कई दशक के अनवरत प्रयास से अरबों पेड़ लगाकर घने वन खड़े कर दिए हैं। 20 हजार से अधिक जलतलाई बना दी हैं, जिससे सूख गई नदी अब साल भर बहने लगी है।
इस बार समूचे उत्तर भारत में शीतलहर और ठंड के तीखेपन के एहसास ने जलवायु परिवर्तन की चिंताओं को कुछ ज्यादा चर्चा में ला दिया है। मौसम की इस अतिरेकी प्रकृति को कई वैज्ञानिक ग्लोबल वार्मिंग से जोड़कर देख रहे हैं। भारत में जंगलों की कटाई और खासकर हिमालय की दुर्दशा जलवायु परिवर्तन की बड़ी वजहें हैं, जिन पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत हैं वरना खतरा सामने दिखने लगा है। ऐसे में हिमालय में वन और जल संरक्षण के प्रयासों की अहमियत बढ़ गई है। और अगर यह संरक्षण बिना किसी सरकारी या बाहरी समर्थन के स्थानीय प्रयासों और लोगों की सक्रिय भागीदारी से हो तो खासकर आज के बाजारवाद के जमाने में उसका जोड़ नहीं है। हिमालय के 136 गांवों में शिक्षक सच्चिदानंद भारती की अगुवाई वाली ‘दूधातोली लोक विकास संस्थान’ ने लोगों को प्रेरित व एकजुट करके कई दशक के अनवरत प्रयास से अरबों पेड़ लगाकर घने वन खड़े कर दिए हैं। 20 हजार से अधिक जलतलाई बना दी हैं, जिससे सूख गई नदी अब साल भर बहने लगी है।एल नीनो का असर
Posted on 24 Jan, 2012 04:24 PM‘एल नीनो’ स्पेनी भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है मानव शिशु यानी बालक। बहुत समय पहले उत्त
![el-nino](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/el-nino_5.jpg?itok=nZpazi4F)
उद्योगों हेतु पानी की कमी पर फिक्की की चिंता
Posted on 23 Jan, 2012 05:42 PMपानी चाहिए, तो लेनदेन सुधारें उद्योग
![water crisis](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/water%20crisis_8_10.jpg?itok=ovtz85Gh)
डरबन: तूफानी सत्र की धीमी रफ्तार
Posted on 23 Jan, 2012 04:28 PMडरबन सम्मेलन में अनेक बार ऐसा लगा कि वार्ता पटरी से उतर रही है क्योंकि वहां अनेक मसलों पर असहम
साइंस में नए इनोवेशन से बदलेगी दुनिया
Posted on 23 Jan, 2012 09:57 AMदुनिया भर की प्रयोगशालाओं से निकल रही नई तकनीकें आने वाले समय में लोगों के रहने और सोचने के तरीकों में भारी बदलाव कर सकती हैं। आईबीएम ने ऐसी कुछ चुनिंदा तकनीकों और इनोवेशंस के बारे में खुलासा किया है। अगले पांच वर्षों में ऐसे 3- डी डिवाइस बाजार में आ जाएंगे, जिनके जरिए आप अपने परिचितों और मित्रों के 3- डी होलोग्राम के साथ वास्तविक समय में इंटरैक्ट कर सकेंगे। सिनेमा और टीवी जगत धीरे-धीरे 3- डी फॉर्मेट की तरफ बढ़ रहा है। 3- डी तकनीकों में लगातार सुधार हो रहा है और होलोग्राफिक कैमरों के उन्नत होने से नई संभावनाएं पैदा हो रही हैं। ऐसे सूक्ष्म कैमरों को मोबाइल फोनों में फिट किया जा सकता है। इस इनोवेशन का नतीजा यह होगा कि आप बिल्कुल नए अंदाज में नेटसर्फिंग और अपने दोस्तों के साथ चैटिंग कर सकेंगे।![](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/science_inovation_5.jpg?itok=4LdbF92U)
शहर के पानी की बदबूदार कहानी
Posted on 20 Jan, 2012 05:45 PMहम अपने शहरी घरों और शहरी उद्योगों के लिए इन्हीं नदियों से पानी लेते हैं और गंदा करके नदियों क
अक्षय ऊर्जा की ओर दस कदम
Posted on 20 Jan, 2012 11:03 AMभारत में कुडनकुलम की चर्चा इन दिनों खूब है। कुडनकुलम की चर्चा के पीछे का राज हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का तर्क है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति और देश के सम्मानित वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम तक ने कहा है कि कुडनकुलम की परमाणु ऊर्जा परियोजना का विरोध बंद कर देना चाहिए क्योंकि वह हमारी ऊर्जा जरूरतों के लिए जरूरी है। अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारी भरकम और खतरों से भरी ऊर्जा परियोजनाएं लगाना क्या इतना जरूरी है? शायद नहीं। ऊर्जा की हमारी जरूरतें हमारे अपने साधनों से भी पूरी हो सकती हैं। कम से कम ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट तो हमें उम्मीद की वही किरण दिखा रही है।
एपीजे अब्दुल कलाम ज्यादा दूर न जाकर उसी तमिलनाडु के ओदांथुराई पंचायत को देखें तो उन्हें कुडनकुलम के परमाणु ऊर्जा संयत्र के बारे में बयान देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ग्यारह गावों की इस पंचायत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को जिस तरह पूरा किया है वह न केवल कलाम को जवाब है बल्कि पूरे देश में ऊर्जा के भविष्य का सुनहरा मॉडल भी है। सोलर, बायोगैस और पवन ऊर्जा के समुचित प्रयोग से उन्होंने अपनी 350 किलोवाट की ऊर्जा जरूरतों को आसानी से पूरा कर लिया है। इसके लिए उन्हें किसी बाहरी कंपनी को भारी भरकम बिल भी अदा नहीं करना पड़ता। केवल ओदांथुराई पंचायत ही नहीं बल्कि ऐसी दस कहानियों को जोड़कर ग्रीनपीस ने एक दस्तावेज ही तैयार कर दिया है। ग्रीनपीस का एक विभाग अक्षय ऊर्जा पर काम कर रहा है जिसके मुखिया रमापति कुमार है। विभाग देश में ऊर्जा व्यवस्था का ऑडिट कर रहा है। इसी कड़ी में उसने देशभर में ऐसे ऊर्जा प्रयोगों का एक संकलन तैयार किया है जिसमें वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की कहानियां। इन कहानियों में बिहार के प्रयोग भी शामिल हैं तो लेह लद्दाख की भी ऊर्जा गाथाएं हैं।