विस्फोट टीम

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गंगा की गाय को बचाओ
Posted on 22 Sep, 2012 01:12 PM
गंगा हमारी आस्था की प्रतीक है, जो अनेक सभ्यताओं और परम्पराओं को अपने में समेटे हुई है। गंगा में बढ़ते प्रदूषण की वजह से न केवल गंगा मैली हुई है बल्कि इसकी गोद में पल रहा हमारा राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन (गंगा की गाय) का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। गंगा के साथ डॉल्फिन का संबंध बहुत पुराना है, भगीरथ के तपस्या से जब गंगा स्वर्ग से उतरी थीं तो उनके साथ डॉल्फिन भी थी।
अक्षय ऊर्जा की ओर दस कदम
Posted on 20 Jan, 2012 11:03 AM

भारत में कुडनकुलम की चर्चा इन दिनों खूब है। कुडनकुलम की चर्चा के पीछे का राज हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का तर्क है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति और देश के सम्मानित वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम तक ने कहा है कि कुडनकुलम की परमाणु ऊर्जा परियोजना का विरोध बंद कर देना चाहिए क्योंकि वह हमारी ऊर्जा जरूरतों के लिए जरूरी है। अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारी भरकम और खतरों से भरी ऊर्जा परियोजनाएं लगाना क्या इतना जरूरी है? शायद नहीं। ऊर्जा की हमारी जरूरतें हमारे अपने साधनों से भी पूरी हो सकती हैं। कम से कम ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट तो हमें उम्मीद की वही किरण दिखा रही है।

एपीजे अब्दुल कलाम ज्यादा दूर न जाकर उसी तमिलनाडु के ओदांथुराई पंचायत को देखें तो उन्हें कुडनकुलम के परमाणु ऊर्जा संयत्र के बारे में बयान देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ग्यारह गावों की इस पंचायत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को जिस तरह पूरा किया है वह न केवल कलाम को जवाब है बल्कि पूरे देश में ऊर्जा के भविष्य का सुनहरा मॉडल भी है। सोलर, बायोगैस और पवन ऊर्जा के समुचित प्रयोग से उन्होंने अपनी 350 किलोवाट की ऊर्जा जरूरतों को आसानी से पूरा कर लिया है। इसके लिए उन्हें किसी बाहरी कंपनी को भारी भरकम बिल भी अदा नहीं करना पड़ता। केवल ओदांथुराई पंचायत ही नहीं बल्कि ऐसी दस कहानियों को जोड़कर ग्रीनपीस ने एक दस्तावेज ही तैयार कर दिया है। ग्रीनपीस का एक विभाग अक्षय ऊर्जा पर काम कर रहा है जिसके मुखिया रमापति कुमार है। विभाग देश में ऊर्जा व्यवस्था का ऑडिट कर रहा है। इसी कड़ी में उसने देशभर में ऐसे ऊर्जा प्रयोगों का एक संकलन तैयार किया है जिसमें वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की कहानियां। इन कहानियों में बिहार के प्रयोग भी शामिल हैं तो लेह लद्दाख की भी ऊर्जा गाथाएं हैं।
अनुपम जी को जमनालाल बजाज पुरस्कार
Posted on 29 Oct, 2011 12:37 PM

पानी और पर्यावरण पर काम करने वाले मशहूर पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र को साल 2011 के लिए जमनालाल बजाज पुरस्कार दिया गया है। उनको यह पुरस्कार आगामी 7 नवंबर को मुंबई में दिया जाएगा। अनुपम मिश्र को यह पुरस्कार ग्रामीण विकास में अभूतपूर्व योगदान के लिए दिया जा रहा है। अनुपम मिश्र की पुस्तक आज भी खरे हैं तालाब ने देश में नये सिरे से तालाबों के बारे में जागरुकता पैदा की है।

जमनालाल बजाज पुरस्कार चार श्रेणियों में दिया जाता है जिसमें ग्राम विकास में तकनीकि का योगदान, ग्राम विकास में अभूतपूर्व योगदान, महिला और बाल विकास के क्षेत्र में किया जा रहा काम और विश्व पटल पर गांधी विचार के आधार पर किये जा रहे काम को हर साल यह पुरस्कार दिया जाता है।

अनुपम मिश्र
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