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रवि चोपड़ा और राजेन्द्र सिंह का गंगा प्राधिकरण से इस्तीफा
Posted on 11 Mar, 2012 10:08 AM जल संरक्षण विशेषज्ञ राजेन्द्र सिंह और दो अन्य लोगों ने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) से शनिवार को इस्तीफा दे दिया। तीनों लोगों ने गंगा नदी के प्रति सरकार की अनदेखी के विरोधस्वरूप प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले एनजीआरबीए से इस्तीफा दे दिया। मैगसेसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह के साथ गंगा प्राधिकरण के दो अन्य सदस्यों रवि चोपड़ा और आर एच सिद्दिकी ने भी गंगा नदी की सफाई पर जोर देने के लिए पर्यावरणविद जी डी अग्रवाल के आमरण अनशन के समर्थन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना इस्तीफा भेज दिया।

राजेन्द्र सिंह ने कहा कि जल संसाधन मंत्री पवन कुमार बंसल के साथ हुई बैठक के बाद इस्तीफा भेजा गया। इसमें अग्रवाल के विरोध के विषय में उन्हें आवगत कराया गया। अग्रवाल ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि गंगा का स्वच्छ एवं निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए जोर देने के वास्ते वह अपने आमरण अनशन के अंतिम दौर में जल ग्रहण नहीं करेंगे। चोपड़ा देहरादून स्थित पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट में निदेशक है, वहीं सिद्दिकी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।
धनतंत्र का ईंधन: डीजल
Posted on 10 Mar, 2012 12:30 PM

अगर सरकार गरीब किसानों का सोचती तो उसे उन जलस्रोतों के बारे में भी सोचना पड़ता, जिन्हें सरकार की भागीदारी से बर्

बैंगन की छांव तले
Posted on 06 Mar, 2012 03:48 PM

आज अमेरिका व इंग्लैंड की थालियों में परोसा जाने वाला भोजन औसतन प्रतिदिन डेढ़ से दो हजार किलोमीटर की यात्रा करके

अमीरों के हितों में पिसते गरीब
Posted on 05 Mar, 2012 06:13 PM

रिपोर्ट कहती है कि अगर ग्रीन हाउस गैसों पर रोक नहीं लगाई गई तो वर्ष 2100 तक ग्लेशियरों के पिघलने के कारण समुद्र

कला के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करती गंगा नदी
Posted on 03 Mar, 2012 06:52 PM

संगीत में इसी नदी ने ‘भटियाली’ और ‘सरिगान’ नामक दो राग दिए। ‘भटियाली’ तो नाविकों द्वारा गाया जाने वाला सर्वाधिक

सभ्यता और संस्कृति की पोषक-गंगा
Posted on 03 Mar, 2012 06:35 PM

गंगाजल वर्षों तक किसी भी बर्तन में सुरक्षित रखा जा सकता है। इसलिए गंगा जल का विशेष महत्व है। क्योंकि वह अमृत तुल्य है अद्वितीय कोटि का है, जिसका वर्णन महाभारत एवं अन्य कई पौराणिक ग्रन्थों में किया गया है। पश्चिमी वैज्ञानिकों ने भी गंगा के जल की इस अद्भुत विशेषता को सिद्ध किया है। डॉ. एफ.सी. हैरिसन के अनुसार गंगा जल में एक अनोखा गुण है, जिसकी सन्तोषजनक व्याख्या मुश्किल है। इसमें हैजे के जीवाणु की तीन से पाँच घंटे में मृत्यु हो जाती है। जबकि कई नदियों में यही जीवाणु तेजी से फैलती हैं। फ्रांस के एक डॉक्टर हेरेल यील्डेड ने भी अपने अनुसंधान के दौरान ऐसा ही पाया।

प्राचीन काल से ही भारत भूमि को स्वर्ग बनाती और यहां की सभ्यता और संस्कृति का पोषण करती गंगा नदी इस धरती की अलौकिक शोभा है। पवित्र तीर्थों की जननी तथा ज्ञान-विज्ञान की रक्षक इस नदी के बारे में पं. जवाहर लाल नेहरू ने लिखा है, “गगा तो विशेषकर भारत की नदी है, जनता की प्रिय है, जिससे लिपटी हैं भारत की जातीय स्मृतियां, उसकी आशाएँ और उसके भय उसके विजयगान, उसकी विजय और पराजय। गंगा तो भारत की प्राचीन सभ्यता का प्रतीक रही है, निशान रही है। सदा बदलती, सदा बहती, फिर भी वही गंगा की गंगा”। पूरे विश्व में ऐसी कोई नदी नहीं जिसे इतना आदर मिला हो। इसे यहां केवल जल का स्रोत नहीं वरन् देवी मानकर पूजा जाता है। कोई भी विशेष धार्मिक अनुष्ठान गंगा-जल के बिना पूरा नहीं होता। दुर्भाग्य से आज गंगा पहले जैसी नहीं रही। आज इसका पावन जल प्रदूषण की चपेट में है।
भारतीय नदी जल सम्पदा
Posted on 03 Mar, 2012 06:12 PM

हिमखंडों से निकली नदियों में पानी के दिनों में भी काफी पानी उपलब्ध रहता है। जबकि दस प्रायद्वीप

धरती धन न अपना
Posted on 03 Mar, 2012 12:37 PM

विकास के इस मॉडल में उद्योगीकरण श्रमिकों के शोषण, कृषि भूमि के विनाश, किसानों के विस्थापन, खनिज संपदा की लूट और

मेरी विज्ञान डायरी
Posted on 02 Mar, 2012 09:48 AM

विज्ञान की अनोखी डायरी

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