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अमरकंटक
Posted on 04 Aug, 2015 09:08 AM अमरकंटक से कपिलधारा तक नर्मदा सीधे-सपाट मैदान में से होकर बहती है।
हर नदी गंगा है
Posted on 03 Aug, 2015 04:40 PM भारतीय दृष्टि के किसी एक छोटे से अंश को लेकर शेष सबका परित्याग कर द
जल लघुकथा : नदी की चतुराई
Posted on 03 Aug, 2015 04:19 PM एक दिन नदी को ठहाका मार कर हँसते हुए देख नदी के तट ने पूछा, दीदी आज क्या बात है। आप बहुत प्रसन्न हैं,

नदी ने कहा-भाई मेरे एक बहुत पुरानी बात याद आ गई तो सहसा मैं जोर से हँस पड़ी।

तट ने कहा-‘‘कौन सी घटना थी, क्या मुझे नहीं बताओगी?
आज के कवियों की पर्यावरण-चिन्ता
Posted on 03 Aug, 2015 03:46 PM साहित्य और मानव जीवन तो एक-दूसरे के सदा से ही अभिन्न रहे हैं और यही कारण है कि साहित्य में निरन्तर मानव-जीवन के सरोंकारों की अभिव्यक्ति होती आई है।
पुरानी या नई कारें, उन्हें बसों के लिये रास्ता बनाना होगा
Posted on 03 Aug, 2015 11:32 AM दस साल पुरानी डीजल गाड़ियों को प्रतिबन्धित करने के पीछे व्यावहारिक
सरदार सरोवर के प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास के दावे खोखले
Posted on 02 Aug, 2015 12:33 PM

नर्मदा घाटी के सरदार सरोवर परियोजना के सन्दर्भ में मध्य प्रदेश, गुजरात और केन्द्रीय सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में दावा किया है कि विस्थापितों का पूर्ण पुनर्वास हो चुका है। इसके अतिरिक्त बेक वाटर लेवल के आधार पर सरकार ने लोगों का विस्थापन तय किया और दावा किया है कि बाँध की ऊँचाई बढ़ने से कोई अतिरिक्त डूब नहीं आएगी। दूसरी ओर नर्मदा घाटी में हजारों लोग पुनर्वास से वंचित हैं। यह सरकारी दावे पर सवा

Sardar Sarovar dam
वाम धारा से मुक्त हुई सरस्वती
Posted on 02 Aug, 2015 11:09 AM 6 दिसम्बर, 2004 को केन्द्र सरकार ने सरस्वती के अस्तित्व को मानने से मना कर दिया था। सरकार का यह दृष्टिकोण तब तक रहा, जब तक वह अपने अस्तित्व के लिये वामपंथी दलों पर आश्रित थी। सरकारी गठबन्धन से वाम दलों के प्रस्थान के बाद सरकार ने 3 दिसम्बर, 2009 को राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में सरस्वती नदी के अस्तित्व को ‘बिना किसी सन्देह’ के स्वीकार किया। उत्तर के कथन में यह भी कहा गया कि खोज में पाये गए
पानी की कीमत
Posted on 02 Aug, 2015 10:57 AM गर्मी की छुट्टियों में सुशान्त अपने मामा के यहाँ आया हुआ था। एक दिन सुबह के समय जैसे ही वह जागा, उसे गुसलखाने में से पानी बहने की आवाज सुनाई दी। सुशान्त ने गुसलखाने में जाकर देखा कि नल के नीचे रखी बाल्टी भर चुकी थी और नल में से पूरी रफ्तार से पानी बह रहा था। इससे पानी लगातार नाली में जाकर बर्बाद हो रहा था। सुशान्त ने नल की टोंटी बन्द कर दी।
मिथक, इतिहास और आदिवासी
Posted on 01 Aug, 2015 03:48 PM प्रकृति प्रेम और मानव स्वभाव सभी आदिवासी समूहों में एक समान मिलेगा।
एक जनचिन्तन
Posted on 31 Jul, 2015 04:28 PM जब तक जंगल और गाँव साथ-साथ था, जब तक जंगल सिर्फ जिन्दगी की बुनियादी
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