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भूकम्प : उत्पत्ति एवं प्रभाव
Posted on 30 Jul, 2015 03:13 PM भूकम्प का अभिप्राय सामान्यतः पृथ्वी की सतह के कम्पन से है। यह कम्पन पृथ्वी पर जीवन एवं सम्पत्ति को हानि पहुँचाने के लिए पर्याप्त होता है। भूकम्प की तीव्रता को सीस्मोमीटर (आधुनिक रूप) या रिएक्टर स्केल द्वारा मापा जाता है जिसे सीस्मोग्राफ कहते हैं। भूकम्प के फलस्वरूप झटकों को मरकैली पैमाने पर मापा जाता है। भूकम्प की तीव्रता में, एक तीव्रता की वृद्धि (यानी 6.0
क्या नदियाँ बची रह पाएँगी
Posted on 28 Jul, 2015 01:59 PM आज देश के सामने नदियों पर अस्तित्व का संकट मँडरा रहा है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हालिया अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि देश की 35 नदियाँ बुरी तरह से प्रदूषण की चपेट में हैं। बोर्ड द्वारा 2005 से 2013 के बीच आँकड़ों के आधार पर किये अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि देश की 40 नदियों की प्रदूषण जाँच में असम की एक और दक्षिण भारत की चार नदियाँ
Polluted river
किशाऊ बाँध की झील में समा जाएगा ‘धान का कटोरा’- कुवानू क्षेत्र
Posted on 28 Jul, 2015 12:10 PM

जब दो दशक पहले संभर कुवानू में किशाऊ बाँध के सिलसिले में परीक्षण चल रहा था तो वहाँ बनाई जा रही

kishau dam
प्रजातियों के संरक्षण से पर्यावरण और मानव जीवन की रक्षा सम्भव
Posted on 25 Jul, 2015 04:37 PM जब तक देश का हर नागरिक वन्य प्राणियों के अंग, उनकी खाल का उपयोग न क
save environment
83 दिन और 8 पर्यावरणीय कानून
Posted on 25 Jul, 2015 02:18 PM पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के नाम में जोड़े गये ‘जलवायु परिवर्तन’ शब्
जंगल-जमीन आंदोलन
Posted on 25 Jul, 2015 01:14 PM किसी को आशा नहीं थी कि 19 अगस्त को गठित संगठन के आह्वान पर 2000 लोग
हर खेत के लिये पानी : नई उम्मीदों की पहल
Posted on 24 Jul, 2015 01:57 PM
पुराने जल संचय मॉडलों की मदद से किसी भी गाँव में माँग के अनु
dry crop
अनमोल पेड़ों का मोल
Posted on 24 Jul, 2015 12:36 PM

बायोवेद शोध संस्थान इलाहाबाद के एक अध्ययन के अनुसार एक मनुष्य को वर्ष भर में लगभग 55000 लीटर प्

जलवायु परिवर्तन एवं स्वास्थ्य
Posted on 24 Jul, 2015 11:39 AM जब जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को बजाय विशुद्धतः पर्यावरणीय, आर्थिक य
आज बेहद जरूरी है पर्यावरण संरक्षण
Posted on 24 Jul, 2015 10:47 AM

यह सही है कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आज उठाये गए कदम लगभग एक दशक बाद अपना सकारात्मक प्रभाव दिखाना आरम्भ करेगा। इसलिए जरूरी है कि समस्या के भयावह रूप धारण करने से पहले सामूहिक प्रयास किये जायें और हम कुछ करें। सबसे पहले अपनी जीवन शैली बदलें और अधिक से अधिक पेड़ लगावें जिससे ईंधन के लिए उनके बीज, पत्ते, तने काम आयेंगे और हम धरती के अंदर गड़े कार्बन को वहीं रखकर वातावरण को बचा सकेंगे। तभी धरत

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