भारतीय कृषि में आधुनिक - उन्नत सिंचाई विधियां
भारत के कृषि पर निर्भर होने के कारण सिंचाई इसकी रीढ़ की हड्डी है। कृषि के उपयोग में आने वाली सामग्रियों (इनपुट) में बीज, उर्वरक, पादप संरक्षण, मशीनरी और ऋण के अतिरिक्त सिंचाई की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। सिंचाई सूखी भूमि को वर्षा जल के पूरक के तौर पर जल की आपूर्ति की एक विधि है, इसका मुख्य लक्ष्य कृआप्लावन और बारहमासी
नहरों तथा बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के द्वारा की जाती है।
भारतीय कृषि में आधुनिक उन्नत सिंचाई विधियां, PC- Mid
टपक सिंचाई विधि
सिंचाई की उत्कृष्ट अथवा वैज्ञानिक विधि का अभिप्राय ऐसी सिंचाई व्यवस्था से होता है जिसमें सिंचाई जल के साथ उत्पादन के अन्य आवश्यक उपादानों का प्रभावकारी उपयोग एवम् फसलोत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित हो सकें। सिंचाई की सबसे उपयुक्त विधि वह होती है जिसमें जल का समान वितरण होने के साथ ही पानी का कम नुकसान हो तथा कम से कम पानी से अधिक क्षेत्र सींचा जा सके ।
टपक सिंचाई विधि, Pc- Bhartvarsh
Does micro irrigation really save water?
For achieving real water saving through micro irrigation, a mechanism for water regulation and allocation is essential
Use of micro irrigation technology does not automatically result in a reduction in water consumption (Image: Anton: Wikimedia Commons)
सिंचाई की प्रमुख विधियाँ
सिंचाई जल के साथ उत्पादन के अन्य आवश्यक लागतों का प्रभावकारी उपयोग एवं फलोत्पादन में वृद्धि हो सके। सिंचाई की सबसे उत्तम विधि वह होती है  जिसमें जल का एक समान वितरण होने के साथ ही साथ पानी का कम नुकसान होता है और अधिक से अधिक क्षेत्र सींचा जा सकता है।
सिंचाई की प्रमुख विधियाँ, PC-IWPFlicker
There’s a rare catfish in your well
Citizen science helps in identifying rare catfish in Kerala’s aquifers.
Image Source: By Rajeev Raghavan, Remya L. Sundar, C.P. Arjun, Ralf Britz, Neelesh Dahanukar - Evolution in the dark: Unexpected genetic diversity and morphological stasis in the blind, aquifer-dwelling catfish Horaglanis, CC BY 4.0, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=128832101. Link to image: https://commons.wikimedia.org/wiki/Category:Horaglanis#/media/File:Horaglanis_populi_live.jpg
भारतीय कृषि में सूक्ष्म सिंचाई की सार्थकता: प्रगति एवं प्रभाव विश्लेषण
अर्थव्यवस्था के विभिन्‍न क्षेत्र पानी के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, इससे कृषि क्षेत्र के लिए पानी की उपलब्धता में भारी कमी हो सकती है जोकि कृषि के सतत्‌ विकास के लिए समस्या खड़ी कर सकती है। यद्यपि, त्रिवार्षिकी 2014-15 में विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत में सबसे अधिक शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल (68.4 मिलियन हेक्टेयर) था फिर भी देश में शुद्ध बुवाई क्षेत्रफल का लगभग आधा हिस्सा (5.%) असिंचित है और इसके कारणों में प्रवाह विधि (Flood Method) से सिंचाई करना प्रमुख है।
भारतीय कृषि में सूक्ष्म सिंचाई की सार्थकता: प्रगति एवं प्रभाव विश्लेषण, PC- Home Depot
Informal plastic waste recycling firms: Impacts on livelihood and health
A sustainable framework is needed for a healthy and safe working environment in the informal plastic waste recycling sector in India
Informal plastic waste recycling firms has increased significantly since the 1990s (Image: Andreas, Pixabay)
How do Indian waste to energy plants compare with their global counterparts?
Segregation of dry and wet solid waste is a critical issue in the Indian context
EIA suggests lower GHG emission of waste-to-energy plants over landfill (Image: Norbert Nagel,Wikimedia Commons)
भारतीय कृषि में सूक्ष्म सिंचाई प्रगति, प्रभावशीलता एवं संभावित क्षेत्रफल के आच्छादन हेतु सांकेतिक लागत का आंकलन
भारत में भूमिगत जल का स्तर इसके प्राकृतिक पुनर्भरण की अपेक्षा तेजी से गिर रहा है और यह स्थिति देश के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में भयावह बनती जा रही है। देश की प्रमुख नीति निर्माण संस्था 'नीति आयोग' के एक हालिया प्रतिवेदन में भी जल उपलब्धता की भयावह स्थिति का वर्णन किया गया है
भारतीय कृषि में सूक्ष्म सिंचाई प्रगति ,Pc IWP
भविष्य धन शैवाल ईंधन
शैवाल स्वाभाविक रूप से बढ़ता है। अनुकूलतम परिस्थितियों में, इसे बड़े पैमाने पर, लगभग असीमित मात्रा में उगाया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के जल संसाधनों जैसे- खारा पानी, समुद्री पानी और कृषि के लिए अनुपयुक्त या अपशिष्ट पानी का उपयोग करके भी शैवाल विकसित किया जा सकता है।
भविष्य धन शैवाल ईंधन, PC- Education Blog
Melting glaciers thaw growth of Ladakh’s ice hockey
Threat of global warming puts practising at natural ice ponds at risk
Parkachik Glacier (Image: Mahua Sarkar, Wikimedia Commons)
पर्यावरण संरक्षण : विविध आयाम
मैं उन दिनों को याद करता हूं जब हमारे संगी साथी रायपुर नगर और लभांडी ग्राम की सीमा बनाते छोकड़ा नाला पर पिकनिक मनाने जाते थे। रायपुर से धमतरी के रास्ते पर दोनों ओर कौहा के वृक्ष छाया करते थे। इसी छाया में बरसाती झरनों का शीतल जल साल भर प्रवाहित होता था।
पर्यावरण संरक्षण : विविध आयाम, PC-Hans India
पर्यावरण संरक्षण के लिए श्रेयस्कर है गांधी मार्ग
महात्मा गांधी ने जीवन जीने का ज्ञान देते हुए कहा था कि आज शुद्ध जल, शुद्ध पृथ्वी और शुद्ध वायु हमारे लिए अपरिचित हो गए हैं। हम आकाश और सूर्य के अपरिमेय मूल्य को नहीं पहचानते। अगर हम पंच तत्वों का बुद्धिमतापूर्ण उपयोग करें और सही तथा संतुलित भोजन करें तो हम युगों का काम पूरा कर सकेंगे। इस ज्ञान के अर्जन के लिए न डिग्रियों की आवश्यकता है
पर्यावरण संरक्षण के लिए श्रेयस्कर है गांधी मार्ग, Pc-NT
बारिश का पानी सोख लेगी फ्लाई एश कांक्रीट की सड़क
फ्लाईएश के पोरस कांक्रीट से बनी सड़क पर पानी डालने की जरूरत नहीं पड़ती है और 7 दिनों में सड़क बनकर तैयार हो जाती है. उन्होंने बताया कि इस पोरस कॉक्रीट की सड़क की उम्र सीमेंट सड़क के बराबर रहेंगी
बारिश का पानी सोख लेगी फ्लाई एश, Pc-FIH
मेरा पानी मेरी विरासत योजना जल संरक्षण
ग्रामीण क्षेत्रों में 90% आबादी पीने के लिए भू-जल पर निर्भर है क्योंकि कई बार शहर के जल आपूर्ति विभाग या कंपनियां उन्हें पीने के लिए पानी की बुनियादी आवश्यकता प्रदान करने में विफल रहती हैं। वर्ष 2015 में लगभग 48% सिंचाई प्रक्रिया इसी भू-जल के माध्यम से की गई थी और तब से जल स्तर तेजी से घट रहा है। 
जल संरक्षण, Pc-villageera
Adaptation and mitigation for monsoon extremes in the Indo Gangetic Plains
Warming will not only lead to a decline, but also trigger monsoon extremes in the Indo Gangetic Plains.
A woman wades through knee-deep water with her belongings. (Picture courtesy - 101Reporters) (Source: IWP Flickr photos)
मानव- पर्यावरण संबंध का मानव स्वास्थ्य पर प्रभावः एक भौगोलिक अध्ययन
मानव अपनी जीवन की उत्पत्ति से ही पर्यावरण से संबंधित रहा है। मानव पर्यावरण का संबंध मनुष्य के लिए अपेक्षाकृत अधिक लाभकारी रहा है। पिछली चार शताब्दियों में मानव की गतिविधियों के कारण पृथ्वी के मूल तत्वों हवा, पानी, मिट्टी तथा रासायनिक संगठन में परिवर्तन हुआ है
मानव- पर्यावरण संबंध का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव,PC-H&F
पर्यावरण पर निर्माण सामग्रियों का प्रभाव
आजकल निर्माण उद्योग बड़ी शीघ्रता से उन्नति कर रहा है। जिस प्रकार से इमारतों की रूपरेखा और उनका निर्माण किया जा रहा है उससे हानिकारक पर्यावरण संकट उत्पन्न होता है। एक शोध के अनुसार निर्माण उद्योग ऊर्जा की खपत करने वाला तीसरा बड़ा उद्योग है।
पर्यावरण पर निर्माण सामग्रियों का प्रभाव, PC-India.com
मैक्रोफाइट्स के माध्यम से जल गुणवत्ता उन्नयन एक अध्ययन
वर्तमान अध्ययन भोपाल शहर की दो यूट्रोफिक झीलों, शाहपुरा झील एवं लोअर लेक हैं जोकि केंद्रित सिंचाई मत्स्य पालन एवं मनोरंजक गतिविधियों के केंद्र हैं, पर किया गया है। शाहपुरा झील नए भोपाल में स्थित है तथा छोटा तालाब पुराने शहर में स्थित है। दोनों ओर सीवेज झील हैं।
मैक्रोफाइट्स के माध्यम से जल गुणवत्ता उन्नयन एक अध्ययन, Pc- webnode
×