यू -पी बिहार में लू की चपेट में लोगों की मौत की संख्या बढ़ गयी है

UP में गर्मी का कहर,PC- इंडिया पोस्ट
UP में गर्मी का कहर,PC- इंडिया पोस्ट

बिहार में लोग गर्मी से बेहाल हो रहे हैं और हर दिन कई लोगों की मौत हो रही है। अभी तक उत्तर प्रदेश के सिर्फ एक जिले में ही कम से कम 70 और बिहार के एक जिले में 50 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। भीषण गर्मी के प्रकोप से मरने  वाले लोगों की संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि बिहार में दाह संस्कार के लिए उपयोग में लाने वाली लकड़ियों की कमी  हो गयी है  बक्सर के डीएम अंशुल अग्रवाल ने कहा कि सामान्य दिनों में शहर के मुक्तिधाम श्मशान घाट पर जहाँ 40 -45 शवों  का दाह संस्कार किया जाता था आज  वहीं कम से कम 70 -80 शव दाह संस्कार के लिए लाये जा रहे हैं  जिसके चलते  श्मशान घाटों में जलाऊ लकड़ी की कमी हो गई है।

डीएम अंशुल अग्रवाल ने कहा कि

इतनी भयानक गर्मी कोई सामान्य गर्मी का मौसम नहीं बल्कि एक प्राकृतिक आपदा है जिससे निपटने के लिए सरकार हर  ममकिन  कोशिश कर रही है. सरकार द्वारा सदर अस्पताल में लू के मरीजों के लिए एक समर्पित वार्ड बनाये  गए हैं  और सभी सरकारी अस्पतालों में दवाओं की व्यवस्था की गई है।

उत्तरप्रदेश और बिहार में भीषण गर्मी के कारण हर दिन इतनी  मौते हो रही हैं कि लोगों को दाह संस्कार करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है यहाँ तक कि लोग रात में भी दाह संस्कार कर रहे हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहाँ का क्या आलम होगा। श्मशान घाट पर दाह संस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी और अन्य जरूरी सामान के दाम भी बढ़ गए हैं.

मौसम विभाग के मुताबिक, 35 जिले भीषण लू की चपेट में हैं जिनमे शेखपुरा, जमुई, पटना, नालंदा, भोजपुर, रोहतास कैमूर, औरंगाबाद समेत अन्य कई जिलों में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार हो गया है.स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो इन जिलों में आर्द्रता अधिक होने के कारण लोगों को अधिक पसीना आता है जिसके कारण उनके शरीर में पानी की कमी हो जाती है,जो कि एक प्रमुख कारण है वहाँ के लोगों की मौत का कारण  है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह है कि शरीर में तरल पदार्थ बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा  पानी, ग्लूकोज, जूस, आम पन्ना और अन्य तरल पदार्थ का सेवन करना आवश्यक है। 

नई दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लू का सामना कर रहे राज्यों में सरकारों की सहायता के लिए अधिकारियों की टीम भेजने का फैसला किया जिसमे  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने आईसीएमआर, आईएमडी और एनडीएमए के विशेषज्ञों की एक टीम को उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों का दौरा करने के लिये भेजा जायेगा जिसमें गर्मी से संबंधित बीमारियों को दूर करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रियायें शुरू की जाएँगी जिससे लोगों को काफी हद तक राहत मिलेगी। 

मनसुख मंडाविया ने आईसीएमआर को दीर्घकालिक कार्य योजनाओं के साथ- साथ,स्वास्थ्य पर बढ़ते गर्मी के प्रभाव को कम करने के लिए शोध करने का भी निर्देश भी दिया है केंद्र को मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के पूर्वानुमान के आधार पर गर्मी के मौसम से पहले ही गर्मी की लहर से संबंधित बीमारियों को दूर करने के लिए समय रहते उचित उपाय करने होंगे ताकि इस समस्या से लोगों को बचाया जा सके हैं। जैसे - राज्यों को आवश्यक दवाओं, अंतःशिरा तरल पदार्थ, पैक, ओआरएस, पेयजल के साथ-साथ आवश्यक आईईसी सामग्री के प्रसार के संदर्भ में स्वास्थ्य सुविधा तैयारियों की समीक्षा करने की सलाह भी दी जानी चाहिए ।

यदि बीते वर्षों के आंकड़ों को देखा जाये तो भारत में, 2022 की गर्मी 11 मार्च की शुरुआत में असामान्य तरीके से सामने आई थी जिसका प्रभाव उत्तर पश्चिम, मध्य भारत, गुजरात और पश्चिमी हिमालय क्षेत्र के मैदानी इलाकों में देखा गया था  'प्रमुख' और 'गंभीर' गर्मी की लहरें छह चरणों में आईं: 11-23 मार्च, 27 मार्च-12 अप्रैल, 17 अप्रैल-20 अप्रैल, 23 ​​अप्रैल-2 मई, 7-16 मई और 19-21 मई। वही 2021 में प्रकाशित एक शोध में कहा गया था कि 1971-2019 तक देश में हीट वेव की 706 घटनाएं हुईं। इसके अनुसार, हीटवेव ने भारत में 50 वर्षों में 17,000 से अधिक लोगों की जान ले ली है।

 

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