संदूषण, प्रदूषण और गुणवत्ता

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Clogged pipes: India's sewage treatment crisis (Image: Trey Ratcliff, Flickr Commons; CC BY-NC-SA 2.0)
September 2, 2024 Recommendations made by an expert committee, the NGT's subsequent orders, and a critical analysis of these developments
Drum screens at Bharwara sewage treatment plant (Image: India Water Portal)
August 30, 2024 This article traces the evolution of the legislative framework for water pollution in India and its implications for wastewater treatment standards in the country. 
Open drains in Alwar (Image Source: IWP Flickr photos)
August 22, 2024 The journey of sewage treatment standards and the challenge of treating India’s growing wastewater
Need to fix wastewater effluent standards (Image: Kristian Bjornard)
August 1, 2024 Recognising the limitations of relying solely on herbicides, a strategic shift towards preventive measures is crucial
Relying solely on chemicals to keep weeds at bay isn't sustainable and can harm the environment. (Image: Needpix)
June 12, 2024 Leveraging research to optimise water programs for improved health outcomes in India
Closing the tap on disease (Image: Marlon Felippe; CC BY-SA 4.0, Wikimedia Commons)
प्रदूषित जल एक समस्या
Posted on 14 Jun, 2010 03:30 PM आज गरीब देशों में 80 प्रतिशत बीमारियां अशुद्ध पेयजल और गन्दगी के कारण हैं तथा बढ़ती जनसंख्या, समस्या को और बढ़ा रही है। 1980 के दशक में सबसे गरीब देशों में शुद्ध जल सफाई व्यवस्था के तमाम प्रयासों के बाद भी आज 1.2 अरब लोग इन बुनियादी आवश्यकताओं से वंचित हैं। आंकड़ों के अनुसार विश्व के विकासशील देशों की आधी से कम जनसंख्या को स्वच्छ जल की सुविधा प्राप्त है और पांच में से एक व्यक्ति को संतोषजनक सफाई सेवाएं उपलब्ध है। प्रतिदिन 35 हजार व्यक्ति अतिसार रोग के कारण मर जाते हैं। दुःख के साथ स्वीकारना पड़ता है कि नदियों से भरपूर, हमारे देश में भी पानी की कमी है तथा विश्व-स्तर पर देखा जाए तो विश्व का हर तीसरा प्यासा व्यक्ति भारतीय है। जिन गाँवों में पानी के लिए 1.6 किलोमीटर चलना पड़े, वे समस्याग्रस्त गांव कहलाते हैं और इन समस्याग्रस्त गांवों की संख्या बढ़ोत्तरी पर ही रही है। दुःख की बात तो यह है कि आज की स्थिति में भी 11,000 ऐसे गांव हैं जिनमें कि स्वच्छ पानी की बात छोड़िए, गंदा पानी भी उपलब्ध नहीं है। इन गाँवों में अगर कहीं पानी है भी तो वह इतना खारा है कि पीने के योग्य नहीं है।

सम्पूर्ण विश्व में उन्नति के साथ-साथ जो औद्योगिक विकास हुआ है, उसी का परिणाम पानी की समस्या के रूप में हमारे
पानी साफ करने की आसान और सस्ती तकनीक
Posted on 08 May, 2010 06:58 AM
दुनिया में करोड़ों लोग भूजल का इस्तेमाल पेयजल के रूप में करते हैं। इसमें कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं जिसके कारण लोगों को तमाम तरह की जलजनित बीमारियां हो जाती हैं। इन बीमारियों के सबसे ज्यादा शिकार कम उम्र के बच्चे होते हैं। ऐसे में पानी को साफ करने के लिए एक बेहद आसान और कम लागत की तकनीक की जरूरत है। मोरिंगा ओलेफेरा नामक पौधा एक बेशकीमती पौधा है जिसके बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके प
पानी साफ करती जादुई फली
Posted on 07 May, 2010 07:30 PM
अमृता प्रीतम की एक कविता में सुहांजने के फूल का जिक्र है, उनकी कविता का सुहांजना देश के अलग-अलग जगहों पर सुरजना, सैजन और सहजन बन जाता है। सहजन की फली (ड्रमस्टिक) का वृक्ष किसी भी तरह की भूमि पर पनप सकता है और यह बहुत कम देख-रेख की मांग करता है। इसके फूल, फली और टहनियों को अनेक प्रकार से उपयोग में लिया जा सकता है। ये एक जादुई फली है। भोजन के रूप में यह अत्यंत पौष्टिकता प्रदान करती है और इसमें
मालवा क्षेत्र में महामारी बन रहा कैंसर
Posted on 30 Apr, 2010 08:47 AM हाल में पंजाब के मालवा क्षेत्र में महामारी बन रहे कैंसर रोग की चर्चा पंजाब विधानसभा चुनावों में हुई। अकाली दल और कांग्रेस दोनों ही मालवा क्षेत्र में कैंसर हस्पताल बनवाने का वायदा किया था। यह एक अच्छा कदम होगा,परंतु होगा अधूरा। अधूरा इसलिए कि कैंसर हस्पताल कैंसर रोगियों और उनके परिजनों को राहत और इलाज की सुविधा तो देगा परंतु कैंसर जिन कारणों से मालवा में मारक बना है, उन कारक तत्त्वों का समाधान नहीं देगा। वास्तव में कैंसर का यह प्रकोप पंजाब के समूचे पर्यावरण तंत्र के ध्वस्त होने का एक संकेत भर है। पंजाब जिस विकराल पर्यावरणीय स्वास्थ्य संकट में फंसा हुआ है कैंसर तो उसका एक पक्ष मात्र है। पर्यावरण में हुई उथल पुथल वातावरण में घुले रसायनों और लगातार प्रदूषित होते जल ने पंजाब की कमोबेश समूची भोजन श्रृंखला को ही विषाक्त बना दिया है। आज कैंसर के साथ-साथ आयुपूर्व बुढ़ापे के लक्ष्ण उभरना, हिड्डियों के रोग और प्रजनन स्वास्थ्य सम्बन्धी रोग अपनी जकड़ में ले रहे हैं। इसलिए मुद्दा एक मात्र कैंसर नहीं वरण समूचा पर्यायवरणीय स्वास्थ्य का विषय है।

कैंसर को एक मात्र रोग मानकर उसके उपचार के वायदों को चुनावों में भुनाना पेचीदा समस्याओं के सरलीकरण करने की राजनीतिक आदत का प्रतीक है। हम समस्याओं की सतही समझ रखते हैं तो समाधान भी उथले होते हैं।
भटिंडा सहित पंजाब के कई जिलों के पानी में नाईट्रेट का जहर
Posted on 29 Apr, 2010 10:21 AM

पांच दरिया वाली धरती पंजाब में तो भू-जल की स्थिति बेहद चिंताजनक है। सूबे के तीन जिलों मुक्तसर, बठिंडा और लुधियाना में धरती के नीचे पानी में नाईट्रेट की मात्रा बेइंतहा बढ़ चुकी है। नाईट्रेट से जहरीले हुए पानी के इस्तेमाल से लोग कैंसर और अन्य घातक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। यह खुलासा बेंगलुरु के एक गैर-सरकारी संगठन 'ग्रीन पीस इंडिया' ने किया है। ग्रीन पीस इंडिया की नवम्बर 2009 में प्रकाशित रिपोर्ट की प्रति भी संलग्न है। (यह रपट द संडे पोस्ट से ली गयी है।)

पंजाब के तीनों जिलों के विभिन्न गांवों से पानी के नमूनों की जांच के आधार पर ग्रीन पीस द्वारा तैयार रिपोर्ट के मुताबिक यह बात भी सामने आई कि इन जिलों में धरती के पानी में नाईट्रेट की खतरनाक मात्रा किसी कुदरती प्रकोप से नहीं बढ़ी है, बल्कि इसके लिए धरती-पुत्र (किसान) सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। जिन्होंने अपनी जमीनों में फसल की पैदावार बढ़ाने के लालच में रासायनिक खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल किया। नतीजतन नाईट्रेट ने मिट्टी को अपना निशाना बनाने के साथ धरती के पानी को भी अपनी चपेट में

कैंसर से तड़पता मालवा
Posted on 13 Apr, 2010 08:46 AM पंजाब का मालवा क्षेत्र राजनीतिक और भौगोलिक तौर पर सबसे महत्वपूर्ण है। राज्य के 117 विधानसभा क्षेत्रों में से 65 मालवा में हैं। सिर्फ एक मुख्यमंत्री दरबारा सिंह को छोड़कर पंजाब के सभी मुख्यमंत्री मालवा से रहे। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह भी इसी क्षेत्र के थे। इतने महत्वपूर्ण नेताओं को मान सम्मान देने वाला यह क्षेत्र इन दिनों कैंसर की गिरफ्त में है, और इस बीमारी की रोकथाम के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं हो रहा है।

दरअसल, वर्ष 1993 के बाद ही वहां के कई गांवों से अजीब किस्म के रोगों के संकेत मिलने शुरू हो चुके थे। इलाके के दो गांव, झजर और ज्ञाना में तो प्रत्येक घर में एक रोगी था। वहां लोगों को कैंसर होने की आशंका थी। बहुत ज्यादा हो हल्ला मचने के बाद अंतत: पंजाब सरकार ने पीजीआई के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के नेतृत्व में एक सर्वेक्षण करवाने का फैसला किया। पीजीआई की टीम ने दो ब्लॉकों, तलवंडी साबो और चमकौर साहिब, का अध्ययन किया। इस टीम ने 1993 से 2003 तक
पानी में जहर
Posted on 02 Apr, 2010 10:06 AM गया से महज़ चौंसठ किलोमीटर के फ़ासले पर है आमस प्रखंड का गांव भूपनगर, जहां के युवक इस बार भी अपनी शादी का सपना संजोए ही रह गए. कोई उनसे विवाह को राज़ी न हुआ. वजह है उनकी विकलांगता. इनके हाथ-पैर आड़े-तिरछे हैं, दांत झड़ चुके हैं, हड्डियां ऐंठ गई हैं. जवानी में ही लोग बूढ़े हो गये हैं. गांव के लोग बीमारी का नाम बताते हैं- फ्लोरोसिस.
बचपन में बुढ़ापा
एक्‍वाकल्‍चर के जरिये गंदे पानी की सफाई
Posted on 21 Feb, 2010 09:22 AM

हाल के वर्षों में देश में बढ़ती जनसंख्‍या के साथ औद्योगिक कचरे और ठोस व्‍यर्थ पदार्थों से अलग गंदे पानी की मात्रा भी उसके प्रबंधन की क्षमता से कहीं अधिक बढ़ी है। प्राकृतिक जल स्रोतों तक उन्‍हें पहुँचाने के लिए घरेलू सीवर के जरिए तेज प्रयास किए जा रहे हैं।
 

आओ जाने अपना पानी अभियान
Posted on 14 Jan, 2010 12:55 PM

अभियान में निकले चौंकाने वाले तथ्य

तालाब पहुंचा रहे हैं भूजल तक ज़हर
Posted on 13 Dec, 2009 07:39 AM

एक नए शोध का कहना है कि बांग्लादेश के तालाब लाखों लोगों तक आर्सेनिक का ज़हर पहुंचाने के ज़िम्मेदार हैं.शोध का कहना है कि तालाबों में मौजूद आर्सेनिक ज़हर भूमिगत जल को भी प्रदूषित कर रहा है.

आर्सेनिक का प्रदूषण तालाबों से भूजल तक पहुंच रहा है.