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संदूषण, प्रदूषण और गुणवत्ता
जहरीला हुआ उन्नाव का भूजल
Posted on 25 Aug, 2009 02:21 PM उन्नाव जिले में भूगर्भीय जल स्तर का जायजा लेने आई टीम को जिले की 954 ग्राम पंचायतो में से 618 पंचायतों का स्तर अनुपयोगी लगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि सफीपुर विकास खंड के 101, गंजमुरादाबाद के 8, फतेहपुर चैरासी के 24, बांगरमऊ के 39, हसनगंज के 76, मियागंज के 131, औरास के 116, सिकंदरपुर सरोसी के 64, नवाबगंज के 149, बिछिया के 45, सिकंदरपुर कर्ण के 29, हिलौली के 123, असोहा के 48, पुरवा के 116, सुमेरपुर के 112 एवं बीघापुर विकासखंड के 65 मजरो का भूगर्भीय जल पूरी तरह प्रभावित हो चुका है।उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के तट पर बसा हुआ एक जिला उन्नाव का भूमिगत जल अब पीने योग्य नहीं रहा। गंगा के तट पर स्थित मैदानी इलाका होने के कारण यहां की जमीन काफी उपजाऊ मानी जाती है। सन 2001 की जनगणना के अनुसार कुल 22,00,397 की आबादी वाले जिले में चमड़ा उद्योग सबसे बड़ा एवं स्थापित उद्योग है। कुल 4,558 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले जिले में चमड़ा उद्योग के बढ़ते संजाल से भूगर्भीय जल सतह के साथ साथ कृषि भूमि व जन स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। इसके बावजूद भी प्रशासन इनकी असंयमित कार्यप्रणाली पर नियंत्रण करने के बजाय इन्हें ही बढ़ावा दे रहा है। यह बात जिले के विभिन्न क्षेत्रों से मृदा परीक्षणों के परिणाम से उजागर हुई है। यह परीक्षण भारत सरकार की सहकारी संस्था इफको (इंडियन फारमर्स फर्टिलाजर्स कोआपरेटिव लिमिटेड) की प्रयोगशाला में किया गया है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए 180 नमूनों से यह निष्कर्ष सामने आए हैं कि जिले की भूमि की ऊपरी सतह में क्षरीयता के साथ-साथ आर्सेनिक कार्बन व क्रोमियम जैसे घातक तत्व जरूरत से ज्यादा है।अम्बाला का पानी
Posted on 19 Aug, 2009 07:32 AMअम्बाला. पानी मानव जीवन को प्रकृति का बड़ा उपहार है। प्रकृति के इस उपहार का जिले के कुछ एरिया में स्वरूप बिगड़ रहा है। इसका बिगड़ता स्वरूप दांतों की समस्याओं, हड्डियों की कमजोरी से लेकर कई समस्याओं का कारण बन सकता है। हाल में रिसर्च वर्क के दौरान केमिस्ट्री लेक्चर्स द्वारा अम्बाला व आसपास के पानी सैंपल जांचे गए, जो पानी इस्तेमाल को लेकर चौकन्ना होने का संकेत दे रहे हैं।भूजल पर अब क्रोमियम का भी कहर
Posted on 10 Aug, 2009 04:05 PMदिल्ली और वाराणसी में भी घुसपैठ कर चुका है क्रोमियममेवात के गांवों का पानी हुआ जहरीला
Posted on 10 Jul, 2009 05:18 PMनूंह. मेवात के लोगों की प्यास बुझाने और उन्हें शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के सभी सरकारी प्रयास बेमानी साबित हो रहे हैं। सरकारी आंकड़े ही इस बात के गवाह हैं कि भीषण जल संकट से जूझ रहे मेवात को इससे निजात मिलने की संभावनाएं दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है। आलम यह है कि मेवात के पांच खंडों के 423 गांवों में से सिर्फ 57 गांव ही ऐसे हैं, जहां अच्छी गुणवत्ता का पीने योग्य भू-जल उपलब्ध है।गंगाजल अमृत नहीं अब आर्सेनिक
Posted on 17 Jan, 2009 12:30 AMमदन जैड़ा/ हिन्दुस्तान
नई दिल्ली, 15 जनवरी।
गंगा का पानी कभी सबसे स्वच्छ होता था इसलिए वेदों-पुराणों तक में कहा गया है-गंगा तेरा पानी अमृत। मान्यता थी कि इसे पीकर या इसमें डुबकी लगाकर बीमारियां दूर हो जाती हैं। लेकिन अब स्थिति उलट है। गंगा के इर्द-गिर्द बढ़ते शहरीकरण, उद्योग धंधों से निकलने वाले कचरे, प्रदूषणकारी तत्वों के बढ़ने के कारण गंगाजल में आर्सेनिक का जहर घुल गया है।
कीड़ों से पानी का परीक्षण
Posted on 16 Jan, 2009 11:55 PMभास्कर न्यूज/भोपाल। अमरकंटक से निकलकर कोटेश्वर में समाप्त होने वाली नर्मदा के पानी की शुद्धता का परीक्षण कीड़ों के माध्यम से किया जा रहा है। बॉयोमानीटरिंग पद्धति से किसी नदी की शुद्धता जांचने का मप्र में यह पहला प्रयास है। इसके लिए मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बॉयो विभाग के रिसर्च वैज्ञानिकों की एक तीन सदस्यीय टीम गठित की है। यह टीम साल भर में इस प्रयोग को पूरा कर विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।जलसंरक्षण के आसान तरीके
Posted on 14 Oct, 2008 02:44 PMस्थान- जलगांव जिले में तालुका यावल का अदगांव, परोला तालुका का तितवी गांव और चालीसगांव तालुका का मलशेवगा गांव
उद्देश्य :- कम कीमत पर घरेलू इस्तेमाल योग्य पानी उपलब्ध कराने, इसे गंदा होने से बचाने और साफ रखने के तरीकों को प्रोत्साहित करना जिसका सबसे बडा और सीधा असर बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर रखने पर हो सके।
पानी के स्रोतों का संरक्षण -
Posted on 14 Oct, 2008 02:37 PMअदगांव/ तालुका यावल/ जिला जलगांव
उद्देश्य:- गांवों में पीने योग्य पानी के स्रोतों को स्थानीय स्तर पर प्रदूषणकारी मिश्रण से बचाने के उपाय सुनिश्चित करना
पानी की गुणवत्ता बरकरार रखने के सर्वोत्तम उपाय
Posted on 13 Oct, 2008 05:45 PMपीने योग्य जल के संरक्षण के तरीके - ग्राम अदगांव, तालुका- यावल, जिला जलगांव
उद्देश्य : पानी के टैंक में कैल्शियम कार्बोनेट के जमाव को रोकने और बेहतर क्लोरीन परीक्षण विधि :