संदूषण, प्रदूषण और गुणवत्ता

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Featured Articles
September 5, 2024 The current state of play regarding sewage treatment standards in India
Clogged pipes: India's sewage treatment crisis (Image: Trey Ratcliff, Flickr Commons; CC BY-NC-SA 2.0)
September 2, 2024 Recommendations made by an expert committee, the NGT's subsequent orders, and a critical analysis of these developments
Drum screens at Bharwara sewage treatment plant (Image: India Water Portal)
August 30, 2024 This article traces the evolution of the legislative framework for water pollution in India and its implications for wastewater treatment standards in the country. 
Open drains in Alwar (Image Source: IWP Flickr photos)
August 22, 2024 The journey of sewage treatment standards and the challenge of treating India’s growing wastewater
Need to fix wastewater effluent standards (Image: Kristian Bjornard)
August 1, 2024 Recognising the limitations of relying solely on herbicides, a strategic shift towards preventive measures is crucial
Relying solely on chemicals to keep weeds at bay isn't sustainable and can harm the environment. (Image: Needpix)
June 12, 2024 Leveraging research to optimise water programs for improved health outcomes in India
Closing the tap on disease (Image: Marlon Felippe; CC BY-SA 4.0, Wikimedia Commons)
स्वच्छ जल बचाए संक्रमण से
Posted on 27 Sep, 2016 02:59 PM
बरसात का मौसम वह समय है, जब दूषित पानी और मच्छरों का संक्रमण बढ़ जाता है। मलेरिया से लेकर पेचिस, हैजा और दस्त जैसी बीमारियाँ अपना पैर पसारने लगती हैं।
पूरे गाँव में कैंसर - नहीं जगी सरकार
Posted on 29 Feb, 2016 12:19 PM


धर्मेन्द्र की उम्र 21 साल भी नहीं हुई थी। 13 जनवरी को कैंसर से मारा गया। उसके कई अंगों में कैंसर फैल गया था। कैंसर का पता चलने के करीब चार महीने बाद कोलकाता के पीजीआई अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई। उसकी माँ मीना देवी के सिर पर बालों के बीच करीब दो साल से एक फोड़ा हो गया है। पहले इससे कोई परेशानी नहीं थी। अब खून झलक रहा है। हाथ और पैर के नाखून पीले पड़ जाते हैं, फिर गिर जाते हैं।

धर्मेन्द्र के पिता अर्थात रामकुमार यादव स्वयं लगातार सरदर्द, शरीरदर्द से परेशान हैं। सिर्फ बैठे रहने का मन करता है। पर बैठे रहने से कैसे चलेगा? मजदूर आदमी हैं। पेट भरने के लिये दैनिक मजदूरी का असरा है। उनका गाँव ‘तिलक राय का हाता’ बक्सर जिले के सिमरी प्रखण्ड में गंगा के तट पर है।

भोपाल गैस त्रासदी : कुछ सबक
Posted on 29 Nov, 2015 03:47 PM

भोपाल गैस कांड पर विशेष


2 और 3 दिसम्बर 1984 की दरम्यानी रात को मैं उज्जैन में और मेरा परिवार भोपाल में था। तीन तारीख को सबेरे स्थानीय अखबारों से पता चला कि भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने में गैस रिसी है और उसके असर से भोपाल में अफरा-तफरी का माहौल है। उस समय घटना की गम्भीरता का अहसास नहीं हुआ।
मूर्ति विसर्जन और पर्यावरणीय सुरक्षा के प्रयास
Posted on 19 Oct, 2015 10:33 AM

नवरात्र विशेष


भारत जैसे संस्कारित देश में लगभग सभी प्रमुख धर्मों को मानने वाले लोग निवास करते हैं। अपने-अपने धर्म के अनुसार उनके तीज-त्योहार, उत्सव, पर्व, कर्मकाण्ड और आस्थाएँ हैं। धार्मिक विविधता के कारण देश भर में लगभग साल भर धार्मिक अनुष्ठान एवं कार्यक्रम चलते रहते हैं।
Statue immersion
स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता
Posted on 12 Jun, 2015 08:29 PM नीति और कार्यक्रमों के अन्तर्गत विकास के मुद्दों पर एक बार फिर से
कूड़ा ढोने का मार्ग बन गई हैं नदियाँ
Posted on 16 Mar, 2015 12:44 PM

विश्व जल दिवस पर विशेष


अब सुनने में आया है कि लखनऊ में शामे अवध की शान गोमती नदी को लन्दन की टेम्स नदी की तरह सँवारा जाएगा। महानगर में आठ किलोमीटर के बहाव मार्ग को घाघरा और शारदा नहर से जोड़कर नदी को सदानीरा बनाया जाएगा। साथ ही इसके सभी घाट व तटों को चमकाया जाएगा। इस पर खर्च आएगा ‘महज’ छह सौ करोड़।
river pollution
जल-जनित बीमारियाँ और बचाव
Posted on 19 Dec, 2014 08:00 PM पूरे विश्व में करीब 10 लाख से 20 लाख मौतें दस्त या पेचिश के कारण ह
कीटनाशक से कैंसर
Posted on 06 Oct, 2014 04:02 PM समस्त कीटनाशक जैविक विष हैं। विभिन्न प्रकार के विष अलग-अलग तरह से
तुम किस नदी से हो
Posted on 05 Apr, 2014 03:40 PM

1958 की फरवरी में बनारस में दिया गया भाषण


हमारे देश की कुल चालीस करोड़ की आबादी में से तकरीबन एक या दो करोड़ लोग प्रतिदिन नदियों में डुबकी लगाते हैं और पचास से साठ लाख लोग नदी का पानी पीते हैं। उनके दिल और दिमाग नदियों से जुड़े हुए हैं। लेकिन नदियां शहरों से गिरने वाले मल और अवजल से प्रदूषित हो गई हैं। गंदा पानी ज्यादातर फैक्ट्रियों का होता है और कानपुर में ज्यादातर फ़ैक्टरियां चमड़े की हैं जो पानी को और भी नुकसानदेह बना रही हैं। फिर भी हजारों लोग यही पानी पीते हैं, इसी से नहाते हैं। साल भर पहले इस दिक्कत पर कानपुर में मैं बोला भी था।...अब मैं ऐसे मुद्दे पर बोलना चाहता हूं जिसका संबंध आमतौर पर धर्माचारियों से है लेकिन जब से वे अनावश्यक और बेकार बातों में लिप्त हो गए हैं, इससे विरत हैं। जहां तक मेरा सवाल है, यह साफ कर दूं कि मैं एक नास्तिक हूं। किसी को यह भ्रम न हो कि मैं ईश्वर पर विश्वास करने लगा हूं। आज के और अतीत के भी भारत की जीवन-पद्धति, दुनिया के दूसरे देशों की ही तरह, लेकिन और बड़े पैमाने पर, किसी न किसी नदी से जुड़ी रही हैं।

राजनीति की बजाए अगर मैं अध्यापन के पेशे में होता तो इस जुड़ाव की गहन जांच करता। राम की अयोध्या सरयू के किनारे बसी थी। कुरू, मौर्य और गुप्त साम्राज्य गंगा के किनारे पर फले-फुले, मुगल और शौरसेनी रियासतें और राजधानियां यमुना के किनारे पर स्थित थीं। साल भर पानी की जरूरत हो सकती है, लेकिन कुछ सांस्कृतिक वजहें भी हो सकती हैं।

एक बार मैं महेश्वर नाम की जगह में था जहां कुछ समय के लिए अहिल्या ने एक शक्तिशाली शासन स्थापित किया था।
Nadi
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