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पारिस्थितिकी और पर्यावरण
चिपको आन्दोलन के पचास साल : एक थीं गौरा देवी (भाग 2)
Posted on 02 Nov, 2023 05:06 PM(पिछले भागों में आपने पढ़ा कि किस प्रकार शेखर पाठक जी अपने साथियों के साथ गौरा देवी से मिले और कैसे हुई चिपको की शुरुआत। आज जानिये चिपको आंदोलन के बाद के परिदृश्य के बारे में।)
चिपको आन्दोलन के पचास साल : एक थीं गौरा देवी (भाग 1)
Posted on 02 Nov, 2023 03:35 PMजनवरी 1974 में जब अस्कोट आराकोट अभियान की रूपरेखा तैयार हुई थी, तो हमारे मन में सबसे ज्यादा कौतूहल चिपको आन्दोलन और उसके कार्यकर्ताओं के बारे में जानने का था। 1973 के मध्य से जब अल्मोड़ा में विश्वविद्यालय स्थापना, पानी के संकट तथा जागेश्वर मूर्ति चोरी सम्बन्धी आन्दोलन चल रहे थे, गोपेश्वर, मंडल और फाटा की दिल्ली-लखनऊ के अखबारों के जरिये पहुँचने वाली खबरें छात्र युवाओं को आन्दोलित करती थीं लेकिन
पहाड़ विध्वंस और गंगाविलास
Posted on 01 Nov, 2023 11:56 AM16 जून, 2013 को केदारनाथ जल प्रलय आई। उससे पहले शिलारूपिणी परमपूज्या धारी देवी को विस्थापित किया गया। ऐसा श्रीनगर, गढ़वाल की एक विद्युत परियोजना को चलाते रहने की जिद्द के कारण किया गया था। भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने इसे धारी देवी का तिरस्कार माना था। इस तिरस्कार को केदारनाथ प्रलय का कारण बताते हुए उन्होंने संसद में स्कन्द्पुरण के एक श्लोक का उल्लेख किया था:
सुन्दरलाल बहुगुणा हिमालय-सा व्यक्तित्व था उनका
Posted on 31 Oct, 2023 12:33 PMपर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा के अनेक प्रेरणास्रोत रहे। उनके वनाधिकारी पिता अंबाप्रसाद बहुगुणा का देहावसान उनके बचपन में ही हो गया था। गंगा के प्रति अगाध श्रद्धा उन्हें पिता से विरासत में मिली। मां पूर्णा देवी ने कड़ी मेहनत करके परिवार का पालन-पोषण किया। हिम्मत रखने, कष्टमय जीवन से न घबराने और परिश्रम करने का संस्कार मां से मिला। गांधीवादी और स्वतंत्रता सेनानी देव सुमन (सुमन जी के नाम से प्रसिद्
दुनिया में फैशन का ब्रांड बन रही है खादी
Posted on 31 Oct, 2023 11:51 AMभारतीय फैशन में ब्रांड बन चुका खादी अब अन्य देशों में भी लोकप्रिय होता जा रहा है। अमेरिका के मशहूर फैशन ब्रांड पेटागोनिया ने अपने परिधानों में खादी डेनिम का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। इस कंपनी ने हाल ही में भारत से 1.08 करोड़ रुपये का करीब 30 हजार मीटर खादी डेनिम फैब्रिक खरीदा है।
केदारनाथ से नहीं लिया सबक
Posted on 27 Oct, 2023 03:38 PMजून , 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में भयावह आपदा आई थी। घटना में हजारों लोग मारे गए। इस हिमालयी सुनामी ने इलाके का भूगोल भी बदल कर रख दिया था। तब जलवायु परिवर्तन के कारण केदारनाथ के हिमालयी क्षेत्र में हुई अप्रत्याशित बारिश, नदियों पर मानकों की अवहेलना कर बांध बना लेने, ऑलवेदर रोड का मलबा नदियों में डाल देने, नदियों के किनारे अनधिकृत निर्माण, नदियों में अवैध खनन आदि को आपदा की विभीषिका और नु
आपदाओं से अर्थतंत्र हो रहा तहस-नहस
Posted on 27 Oct, 2023 02:54 PMप्राकृतिक आपदाएं वास्तव में प्राकृतिक घटनाएं हैं, जो प्रकृति के स्वभाव में हैं, और उन्हें रोका नहीं जा सकता। इन घटनाओं की बढ़ती फ्रीक्वेंसी का कारण प्रकृति के साथ अनावश्यक और बेतहाशा छेड़छाड़ के साथ ही प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर नहीं चलना भी है। यह सत्य आपदाओं से बचाव का रास्ता भी है। इसलिए संभावित खतरों और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। कुछ आपदाएं ऐसी हैं, जि
अपनी कब्र खोद रही है दुनिया – सोपान जोशी
Posted on 27 Oct, 2023 12:09 PMप्रश्न- क्लाइमेट चेंज की भारत में जो स्थिति है, सो तो है ही, लेकिन विदेशों में; खासकर विकसित देशों में, अपनी हर समस्या के समाधान के लिए जिनकी तरफ हम देखते हैं, उनकी क्या स्थिति है, वो क्या कर रहे हैं?
वायु गुणवत्ता प्रबंधन में करियर के विविध अवसर
Posted on 21 Oct, 2023 04:10 PMये तारीख थी 5 जून 1972 और स्थान था स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम जब सभी देशों ने एक स्वर से वायु प्रदूषण की परिभाषा की अंगीकार किया. बाद में आर्गेनाइजेशन फॉर इकनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) ने इस पर मुहर भी लगाई यह कुछ यों थी किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मानवीय गतिविधि के माध्यम से नुकसानदेह और/अथवा प्राकृतिक व कृत्रिम सामग्री को वातावरण में छोड़ना।
उर्गम घाटी में हर साल लगता है पर्यावरण एवं प्रकृति-पर्यटन मेला
Posted on 21 Oct, 2023 12:02 PMचिपको आंदोलन की चर्चित महिला नेत्री गौरा देवी ने सन 1974 में अपने गांव के जंगल का व्यवसायिक दोहन रुकवाया था। उस समय वह पहली महिला थीं, जिन्होंने अपने रैणी गांव की दर्जन भर से अधिक महिलाओं का नेतृत्व करके सरकार द्वारा काटे जा रहे बहुमूल्य प्रजाति के पेड़ों को बचाया था। वनों के संरक्षण के लिए उनका यह अहम योगदान दुनिया भर के लोग आज भी आदर्श उदाहरण के रूप में याद करते हैं।नके जन्म व कर्मक्षेत्र चमो