सावन सुक्ला सत्तमी, चन्दा छिटिक करै।
की जल देखौ कूप में, की कामिनी सीस धरै।।
शब्दार्थ- कूप-कुआँ। कामिनी-स्त्री।
भावार्थ- यदि सावन शुक्ल सप्तमी को चाँदनी फैली हो तो वर्षा नहीं होगी, सूखा पड़ेगा। ऐसे में पानी या तो कुँए मे दिखेगा या फिर स्त्रियों के सिर पर रखे घड़े में।
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