Posted on 22 Mar, 2010 08:55 AM खेती। खसम सेती।। आधी केकी? जो देखै तेकी।। बिगड़ै केकी? घर बैठे पूछे तेकी।।
भावार्थ- जिस प्रकार पत्नी पति की सेवा कर सुखी होती हैं उसी प्रकार लाभ प्राप्त करने के लिए खेती की सेवा करनी चाहिए। जो सिर्फ निगरानी करता है, उसे खेती से आधा लाभ मिलता है, लेकिन जो घर बैठे-बैठे पूछ लेता है कि खेती का क्या हाल है? उसकी खेती बिल्कुल बेकार होती है।
Posted on 22 Mar, 2010 08:50 AM खेती करै बनिज को धावै। ऐसा डूबै थाह न पावै।।
शब्दार्थ- बनिज- व्यापार।
भावार्थ- घाघ कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति खेती के साथ-साथ व्यापार भी करता है तो वह इस प्रकार डूबता है कि उसकी थाह भी नहीं मिलती अर्थात् दो कार्य एक साथ करने वाला व्यक्ति कभी सफल नहीं होता।
Posted on 22 Mar, 2010 08:41 AM एक हर हत्या दो हर काज। तीन हर खेती चार हर राज।।
भावार्थ- यदि किसान के पास एक हल की खेती है, तो हत्या के बराबर है, दो हल की खेती है, तो काम चलाऊ है, लेकिन यदि किसान के पास तीन हल या चार हल की खेती है तो वह राजा के बराबर है।