सावन पुरवाई चलै, भादों में पछियाँव।
कन्त डँगरवा बेचि के, लरिका जाइ जियाव।।
शब्दार्थ- कन्त स्वामी। डँगरवा-पशु। लरिका-बच्चा।
भावार्थ- यदि सावन महीने में पुरवा हवा बहे और भाद्र में पछुवा, तो हे स्वामी! पशुओं को बेच दो और बच्चों को पालने की चिन्ता करो क्योंकि वर्षा नहीं होगी और अकाल पड़ेगा।
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