सावन सुक्ला सत्तमी, उवत जो दीखै भान।
या जल मिलि है कूप में, या गंगा असनान।।
भावार्थ- यदि श्रावण शुक्ल सप्तमी को स्वच्छ आकाश में सूर्य उदय होता हुआ दिखाई पड़े तो वर्षा नहीं होगी, निश्चय ही सूखा पड़ेगा। ऐसी स्थिति आ जायेगी कि पानी या कुएँ में दिखेगा या गंगास्नान करने में गंगा में मिलेगा।
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