खेती करै बनिज को धावै।
ऐसा डूबै थाह न पावै।।
शब्दार्थ- बनिज- व्यापार।
भावार्थ- घाघ कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति खेती के साथ-साथ व्यापार भी करता है तो वह इस प्रकार डूबता है कि उसकी थाह भी नहीं मिलती अर्थात् दो कार्य एक साथ करने वाला व्यक्ति कभी सफल नहीं होता।
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