खेती। खसम सेती


खेती। खसम सेती।।
आधी केकी? जो देखै तेकी।।
बिगड़ै केकी? घर बैठे पूछे तेकी।।


भावार्थ- जिस प्रकार पत्नी पति की सेवा कर सुखी होती हैं उसी प्रकार लाभ प्राप्त करने के लिए खेती की सेवा करनी चाहिए। जो सिर्फ निगरानी करता है, उसे खेती से आधा लाभ मिलता है, लेकिन जो घर बैठे-बैठे पूछ लेता है कि खेती का क्या हाल है? उसकी खेती बिल्कुल बेकार होती है।

Path Alias

/articles/khaetai-khasama-saetai

Post By: tridmin
×