पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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चिरैया में चीर फार
Posted on 22 Mar, 2010 02:54 PM
चिरैया में चीर फार। असरेखा में टार-टार।।
मघा में काँदो सार।।


भावार्थ- पुष्य नक्षत्र में यदि खेत को थोड़ा भी गोड़कर धान लगा दे तो फसल अच्छी होती है। अश्लेषा में अच्छी जुताई के बाद धान लगाना चाहिए और यदि मघा नक्षत्र में धान लगाना है तो अच्छी जुताई के साथ खाद भी डालनी पड़ेगी तभी फसल अच्छी होगी।

गहिर न जोतै बोवै धान
Posted on 22 Mar, 2010 02:52 PM
गहिर न जोतै बोवै धान।
सो घर कोठिला भरै किसान।।


शब्दार्थ- गहिर-गहरा।

भावार्थ- धान के खेत को अधिक गहरा नहीं जोतना चाहिए। कम जोत कर धान लगाने पर पैदावार इतनी अधिक होगी कि उसके घर के कोठिले धान से भर जायेंगे।

गेहूँ भवा काहें
Posted on 22 Mar, 2010 02:50 PM
गेहूँ भवा काहें, आसाढ़ के दो बाहें।
गेहूँ भवा काहें, सोलह बाहें – नौ गाहें।।


भावार्थ- कवि प्रश्नों के माध्यम से कहता है- गेहूँ अच्छा क्यों हुआ क्योंकि आषाढ़ में उस खेत की दो बार जुताई हुई थी। गेहूँ की अच्छी पैदावार का दूसरा कारण है उस खेत की सोलह बार जुताई और नौ बार हेंगाई जिससे मिट्टी के कण छोटे-छोटे हो गये।

खेत बेपनिया जोतो तब
Posted on 22 Mar, 2010 02:49 PM
खेत बेपनिया जोतो तब।
ऊपर कुआँ खोदाओ जब।।


भावार्थ- किसान को चाहिए कि जिस खेत में पानी न पहुँचता हो उस खेत की जुताई तब तक न करावे जब तक उसमें कुआँ न खोदवा ले।

कच्चा खेत न जोतै कोई
Posted on 22 Mar, 2010 02:47 PM
कच्चा खेत न जोतै कोई।
नाहीं बीज न अँकुरै कोई।।


भावार्थ- खेत की जुताई से पहले यह देख लेना चाहिए कि खेते की मिट्टी पक गई है या नहीं, क्योंकि कच्ची मिट्टी में बीज अंकुरित नहीं होगा।

कातिक मास रात हर जोतौ
Posted on 22 Mar, 2010 02:45 PM
कातिक मास रात हर जोतौ।
टाँग पसारे घर मत सूतौ।।


शब्दार्थ- टाँग-पैर। सूतौ- सोना।

भावार्थ- किसान को कार्तिक मास में रात को भई हल चलाना चाहिए, पैर फैलाकर सोना नहीं चाहिए।

कहा होय बहु बाहें
Posted on 22 Mar, 2010 02:43 PM
कहा होय बहु बाहें,
जोता न जाय थाहें।।


शब्दार्थ- थाहे-गहरा।

भावार्थ- बहुत बार जोतने से कुछ नहीं होता यदि गहराई से न जोता जाय।

असाढ़ जोतै लड़के बारे
Posted on 22 Mar, 2010 02:41 PM
असाढ़ जोतै लड़के बारे। सावन भादौं में हरवाहे।
कुआर जोतै घर का बेटा। तब ऊँचे हो होनहारे।।


भावार्थ- आषाढ़ मास में यदि लड़के से भी जुताई करा लें तो कोई हर्ज नहीं, लेकिन सावन में बिना हलवाहे के जोते काम नहीं बनेगा और क्वार में यदि कृषक का बेटा भी खेत को जोते तो ठीक होगा अर्थात् ऐसा करने से किसान के खेत में पैदावार अच्छी होगी और उसका भाग्य अच्छा होगा।
जुताई सम्बन्धी कहावतें
Posted on 22 Mar, 2010 02:39 PM

अगहन में ना दी थी कोर।
तेरे बैल क्या ले गये चोर।।


भावार्थ- घाघ कहते हैं कि हे किसान! तूने अगहन में अपने ईख के खेतों की जुताई क्यों नहीं की? क्या तेरे बैल चोर चुरा ले गये थे?

बयार चले ईसाना
Posted on 22 Mar, 2010 01:45 PM
बयार चले ईसाना।
ऊँची खेती करो किसाना।।


भावार्थ- यदि आषाढ़ में ईशान कोण की हवा चले तो फसल अच्छी होगी।

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