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पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा
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मैदे गेहूँ ढेले चना
घाघ और भड्डरी
Posted on 22 Mar, 2010 04:48 PM
मैदे गेहूँ ढेले चना।
भावार्थ-
गेहूँ के खेत की मिट्टी मैदे की तरह बारीक होनी चाहिए एवं चने के खेत में ढेले हों, तभी पैदावार अच्छी होती है।
माघ में झारै जेठ में जारै
घाघ और भड्डरी
Posted on 22 Mar, 2010 04:46 PM
माघ में झारै जेठ में जारै,
भादौं सारै-तेकर मेहरी डेहरी पारै।।
शब्दार्थ-
जारै-जलना। सारै-सड़ना। मेहरी-पत्नी। डेहरी-कोठिला (मिट्टी का बड़ा पात्र)
मेड़ बाँध दस जोतन दे
घाघ और भड्डरी
Posted on 22 Mar, 2010 04:44 PM
मेड़ बाँध दस जोतन दे।
दस मन बिगहा मोसे ले।।
भावार्थ-
यदि खेत की मेड़ बाँधकर अच्छी तरह से जुताई कर दी जाये तो घाघ का कहना है कि दस मन बीघा पैदावार मुझसे ले लो।
माघ महीना बोइये झार
घाघ और भड्डरी
Posted on 22 Mar, 2010 04:43 PM
माघ महीना बोइये झार।
फिर राखौ रब्बी की डार।।
शब्दार्थ-
झार-झाड़ – बुहारकर।
भावार्थ-
माघ मास तक उड़द के बीज चुनकर रखो। फिर खेत को रबी की फसल के लिए जोत कर तैयार करो।
बिड़रै जोत पुराने बिया
घाघ और भड्डरी
Posted on 22 Mar, 2010 04:31 PM
बिड़रै जोत पुराने बिया।
ताकी खेती छिया-बिया।।
भावार्थ-
जिस खेत की जुताई घनी न हुई हो और बीज पुराना डाला गया हो, वह खेती नष्ट-भ्रष्ट हो जाएगी अर्थात् उसमें कुछ भी पैदा नहीं होगा।
बाली छोटी भई काहें
घाघ और भड्डरी
Posted on 22 Mar, 2010 04:11 PM
बाली छोटी भई काहें।
बिना असाढ़ के दो बाहें।।
भावार्थ-
गेंहूँ की फसल में छोटी बाली होने का प्रमुख कारण है कि उसे आषाढ़ में दो बार नहीं जोता गया था।
बाहे क्यों न असाढ़ यक बार
घाघ और भड्डरी
Posted on 22 Mar, 2010 04:04 PM
बाहे क्यों न असाढ़ यक बार।
अब क्यों बाहे बारम्बार।।
भावार्थ-
यदि गेहूँ बोने वाले खेत को आषाढ़ मास में एक बार नहीं जोता तो बोते समय कई बार जोतने से कोई फायदा नहीं होता है।
नौ नसी – एक कसी
घाघ और भड्डरी
Posted on 22 Mar, 2010 04:00 PM
नौ नसी – एक कसी।।
भावार्थ-
नौ बार हल से जोतने से अच्छा एक बार फावड़े से मिट्टी को उलट दे।
दस बाहों का माड़ा
घाघ और भड्डरी
Posted on 22 Mar, 2010 03:56 PM
दस बाहों का माड़ा।
बीस बाहों का गाँड़ा।।
शब्दार्थ-
बाहों-जुताई। गाँड़ा – ईख।
भावार्थ-
किसान को अच्छी पैदावार के लिए गेहूँ के खेत को दस बार और ईख के खेत को बीस बार जोतना चाहिए।
दाना अरसी
घाघ और भड्डरी
Posted on 22 Mar, 2010 03:52 PM
दाना अरसी, बोया सरसी।
शब्दार्थ-
दाना- पोस्ता।
भावार्थ-
पोस्ता और अलसी के खेत की मिट्टी सरस अर्थात् नमी वाली होनी चाहिए, तब उसके बीज जमते हैं और अच्छी फसल होती है।
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