दस बाहों का माड़ा।
बीस बाहों का गाँड़ा।।
शब्दार्थ- बाहों-जुताई। गाँड़ा – ईख।
भावार्थ- किसान को अच्छी पैदावार के लिए गेहूँ के खेत को दस बार और ईख के खेत को बीस बार जोतना चाहिए।
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