पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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पाँच सनीचर पाँच रवि
Posted on 25 Mar, 2010 03:38 PM
पाँच सनीचर पाँच रवि, पाँच मंगर जो होय।
छत्र टूट धरनी परै, अन्न महँगो होय।।


भावार्थ- भड्डरी कहते हैं कि यदि एक महीने में पाँच शनिवार, पाँच रविवार और पाँच मंगलवार पड़ें तो महा अशुभ होता है। यदि ऐसा होता है तो या तो राजा का नाश होगा या अन्न महँगा होगा।

न गिनु तीनि सै साठ दिन
Posted on 25 Mar, 2010 03:36 PM
न गिनु तीनि सै साठ दिन, ना कर लग्न बिचार।
गिनु नौमी आषाढ़ बदि, होवै कौनउ बार।।

रबि अकाल मंगल जग डगै, बुधा समो सम भावो लगै।
सोम सुक्र सुरगुरु जो होय पुहुमी फूल फलन्ती जोय।।

दूजे तीजे किरबरो
Posted on 25 Mar, 2010 03:34 PM
दूजे तीजे किरबरो, रस कुसुम्भ महँगाय।
पहले छठयें आठयें, पिरथी परलै जाय।।


शब्दार्थ- किरबरो-खराब, गड़बड़। परलय-प्रलय।

भावार्थ- यदि सूर्य संक्रांति के बाद दूसरा और तीसरा दिन गड़बड़ है तो रसदार पदार्थ और तेल महँगे होंगे। यदि पहला, छठाँ और आठवाँ दिन खराब है तो पृथ्वी पर प्रलय मचेगी।

तेरह दिन का देखी पाख
Posted on 25 Mar, 2010 03:32 PM
तेरह दिन का देखी पाख।
अन्न महँग समझो बैशाख।।


भावार्थ- यदि पक्ष तेरह दिन का होगा तो बैशाख में अन्न महँगा बिकेगा।

ज्येष्ठा आर्द्रा सतभिखा
Posted on 25 Mar, 2010 03:30 PM
ज्येष्ठा आर्द्रा सतभिखा, स्वाति सुलेखा माँहि।
जो संक्रांति तो जानियो, महँगो अन्न बिकाहिँ।।


भावार्थ- यदि ज्येष्ठा, आर्द्रा, शतभिष, स्वाति और श्लेषा नक्षत्रों में संक्रांति हो तो समझ लेना चाहिए कि अन्न महँगा बिकेगा।

जिहि नक्षत्र में रबि तपै
Posted on 25 Mar, 2010 03:29 PM
जिहि नक्षत्र में रबि तपै, तिहीं अमावस होय।
परिवा साँझी जो मिलै, सूर्य ग्रहण तब होय।।


भावार्थ- सूर्य जिस नक्षत्र में होता है उसी में अमावस्या होती है, शाम को यदि प्रतिपदा हो तो सूर्यग्रहण अवश्य होगा।

जेठ बदी दसमी दिना
Posted on 25 Mar, 2010 03:27 PM
जेठ बदी दसमी दिना, जो सनिबासर होइ।
पानी होय न धरनि पर, बिरला जीवै कोई।।


भावार्थ- यदि ज्येष्ठ कृष्ण दशमी को शनिवार पड़े तो पृथ्वी पर वर्षा नहीं होगी और शायद ही कोई जीवित बचेगा।

जेठ आगली परवा देखू
Posted on 25 Mar, 2010 03:25 PM
जेठ आगली परवा देखू। कौन बासरा है यों पेखू।।
रबिबासर अति बाढ़ बढ़ाव। मंगलवारी ब्याधि बताय।।

बुधा नाज महँगा जो करई। सनिवासर परजा परिहरई।।
चन्द्र सुक्र सुरगुरु के बारा। होय तो अन्न भरो संसारा।।

जेठ पहिल परिवा दिना
Posted on 25 Mar, 2010 03:22 PM
जेठ पहिल परिवा दिना, बुध बासर जो होइ।
मूल असाढ़ी जो मिलै, पृथ्वी कम्पै जोइ।।


भावार्थ- यदि ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा को बुधवार पड़े और आषाढ़ की पूर्णिमा को मूल नक्षत्र हो तो पृथ्वी दुःख से काँप उठेगी।

जो चित्रा में खेलै गाई
Posted on 25 Mar, 2010 03:19 PM
जो चित्रा में खेलै गाई।
निहचै खाली साख न जाई।


भावार्थ- यदि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा-गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, गो क्रीड़ा के दिन चित्रा नक्षत्र में चन्द्रमा हो तो फसल अच्छी होती है।

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