Posted on 26 Mar, 2010 09:56 AM मंगल सोम होय सिवराती। पछिवाँ बाय बहै दिन राती।। घोड़ा रोड़ा टिड्डी उड़ै। राजा मरैं कि परती पड़ै।।
भावार्थ- यदि शिवरात्री सोम या मंगल को हो और रात दिन पछुवा हवा बहती रहे तो अनुमान लगा लेना चाहिए कि घोड़ा, रोड़ा (एक पतिंगा) और टिड्डी दल (एक प्रकार का कीड़ा) उड़ेगा तथा राजा की मृत्यु होगी या सूखा पड़ेगा और खेत परती रह जायेंगे।
Posted on 26 Mar, 2010 09:39 AM नारि सुहागिन जल घट लावै। दधि मछली जो सनमुख आवै।। सनमुख धेनु पिआवै बाछा। यहि सगुन हैं सब से आछा।।
भावार्थ- यदि सौभाग्यसाली स्त्री पानी से भरा घड़ा ला रही हो, कोई सामने से दही और मछली ला रहा हो या गाय बछड़े को दूध पिला रही हो तो यह सबसे अच्छा शकुन होता है।
Posted on 26 Mar, 2010 09:36 AM चलत समय नेउरा मिलि जाय। बाम बाग चारा चखु खाय।। काग दाहिने खेत सुहाय। सफल मनोरथ समझहु भाय़।।
भावार्थ- यदि कहीं जाते समय रास्ते में नेवला मिल जाये, निलकंठ बाई तरफ चारा खा रहा हो और दाहिने तरप खेत में कौवा हो तो जिस कार्य से व्यक्ति निकला है वह अवश्य सिद्ध होगा।