न गिनु तीनि सै साठ दिन


न गिनु तीनि सै साठ दिन, ना कर लग्न बिचार।
गिनु नौमी आषाढ़ बदि, होवै कौनउ बार।।

रबि अकाल मंगल जग डगै, बुधा समो सम भावो लगै।
सोम सुक्र सुरगुरु जो होय पुहुमी फूल फलन्ती जोय।।


भावार्थ- भड्डरी कहते हैं कि न तो तीन सौ साठ दिनों की गिनती करो, न ही लग्न विचारो। सिर्फ आषाढ़ कृष्ण नवमी का विचार करो, वह चाहे जिस दिन पड़े। यदि रविवार को हो तो अकाल पड़ेगा, मंगलवार को हो तो जग कांप उठेगा, बुधवार को हो तो समभाव रहेगा, सोमवार, शु्क्रवार और वृहस्पतिवार को हो तो पृथ्वी फूले फलेगी।

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Post By: tridmin
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