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भारत में सतत कृषि विकास हेतु नवाचार
रत में पर्याप्त जैव विविधता है लगभग 8% दुनिया के प्रलेखित पशु और पौधों की प्रजातियां हमारे देश में पाई जाती हैं। कृषि क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18% का योगदान करता है तथा देश के 50% से अधिक लोगों को रोजगार भी देता है। Posted on 20 Jul, 2023 04:49 PM

भारत में सतत कृषि विकास हेतु नवाचार,फोटो क्रेडिट:-विकिपीडिया
जलवायु अनुकूल खेती
जलवायु परिवर्तन अब सैद्धांतिक बौद्धिक परिचर्चा से बाहर निकल कर वास्तविकता बन चुका है। साल-दर-साल न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की खबरें आम हो चली हैं। ये दुष्प्रभाव लगभग हर क्षेत्र में मानवता के अस्तित्व पर संकट के रूप में उभरे हैं और कृषि इनमें सबसे प्रमुख है। Posted on 20 Jul, 2023 03:35 PM

जलवायु परिवर्तन अब सैद्धांतिक बौद्धिक परिचर्चा से बाहर निकल कर वास्तविकता बन चुका है। साल-दर-साल न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की खबरें आम हो चली हैं। ये दुष्प्रभाव लगभग हर क्षेत्र में मानवता के अस्तित्व पर संकट के रूप में उभरे हैं और कृषि इनमें सबसे प्रमुख है। एक और विश्व की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है तो दूसरी ओर, जलवायु परिवर्तन के

जलवायु अनुकूल खेती,फोटो क्रेडिट-विकिपीडिया
खेती के नए स्वरुप को अपना रहे हैं पहाड़ों के किसान
वर्तमान समय में सभी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का असर किसी न किसी रूप में देखने को मिल रहा है. चाहे वह बढ़ता तापमान हो, उत्पादन की मात्रा में गिरावट की बात हो, जल स्तर में गिरावट हो या फिर ग्लेशियरों के पिघलने इत्यादि सभी जगह देखने को मिल रहे हैं. जलवायु में होने वाले बदलावों ने सबसे अधिक कृषक वर्ग को प्रभावित किया है Posted on 20 Jul, 2023 02:16 PM

वर्तमान समय में सभी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का असर किसी न किसी रूप में देखने को मिल रहा है. चाहे वह बढ़ता तापमान हो, उत्पादन की मात्रा में गिरावट की बात हो, जल स्तर में गिरावट हो या फिर ग्लेशियरों के पिघलने इत्यादि सभी जगह देखने को मिल रहे हैं. जलवायु में होने वाले बदलावों ने सबसे अधिक कृषक वर्ग को प्रभावित किया है. चाहे वह मैदानी क्षेत्र के हो या फिर पर्वतीय क्षेत्र के किसान.

मशरूम के साथ मनोज बिष्ट,फोटो क्रेडिट:चरखा फीचर
जल प्रबंधन में प्रशिक्षित पेशेवरों की बढ़ती जरूरत
जल संरक्षण व प्रबंधन समस्याओं से निपटने के लिए जल प्रबंधन के पेशेवरों की जरूरत बढ़ रही है। Posted on 19 Jul, 2023 11:34 AM

जल संरक्षण व प्रबंधन पर अब विभिन्न सरकारें और औद्योगिक प्रतिष्ठान भी ज्यादा जोर दे रहे हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए जल प्रबंधन के पेशेवरों की जरूरत बढ़ रही है। ये ऐसे प्रशिक्षित लोग होते हैं, जिन्हें वॉटर हार्वेस्टिंग, वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट तथा वॉटर रिसाइक्लिंग की अच्छी समझ होती है।

जल प्रबंधन में प्रशिक्षित पेशेवर,PC-नीड पिक्स
जलांगी नदी को पश्चिम बंगाल चुनाव में 58 वोट मिले
पश्चिमबंगाल पंचायत चुनाव-2023 में पर्यावरण एक बड़ा अहम मुद्दा बना। नदी और पर्यावरण राजनीतिक दलों के एजेंडे से कहीं अधिक आम लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने। Posted on 18 Jul, 2023 01:01 PM

पश्चिमबंगाल पंचायत चुनाव-2023 में पर्यावरण एक बड़ा अहम मुद्दा बना। नदी और पर्यावरण राजनीतिक दलों के एजेंडे से कहीं अधिक आम लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने। दो उम्मीदवार लड़े, एक जीता, एक हारा। ‘जलांगी नदी सोसायटी’ द्वारा नामित निर्दलीय उम्मीदवार तारक घोष राजनीतिक क्षेत्र में 'मुझे नदी के लिए वोट चाहिए' कहकर जलांगी नदी को बचाने के लिए लड़े। दूसरी ओर, ‘तापती मैती’ एक स्वतंत्र पार्टी के रूप में पर्

पश्चिमबंगाल पंचायत चुनाव
सतत कृषि विकास के लिए प्रौद्योगिकी
भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर प्रति व्यक्ति जीडीपी किसी देश या क्षेत्र में प्रति व्यक्ति औसत आर्थिक उत्पादन का आकलन करता है। भारत में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र के योगदान में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आई है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में विविधता आई है Posted on 17 Jul, 2023 05:59 PM

किसान ऐसी सतत कृषि प्रणालियां विकसित कर सकते हैं जो उन्नत तकनीकों को अपना कर पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देती हैं। हालांकि यह ध्यान रखना आवश्यक है कि प्रौद्योगिकी कोई जादुई समाधान नहीं है और सतत कृषि के लिए इसे अन्य सतत कृषि पद्धतियों जैसे मृदा संरक्षण, फसल चक्रण और एकीकृत कीट प्रबंधन के साथ लागू किया जाना चाहिए।

सतत कृषि विकास के लिए प्रौद्योगिकी, फोटो क्रेडिट:विकिपीडिया
यमुना के लिए दिल्ली के श्मशान घाट से लेकर राजघाट तक, दिल्ली सचिवालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के किवाड़ बंद क्यों
हिंदुस्तान भर में पहले दिल्ली की सियासी शतरंज की चालों पर चर्चा होती थी। परंतु आज उसकी बाढ़, बदहाली, दिल्ली हुकूमत के मरकज, दिल्ली सचिवालय से लेकर महात्मा गांधी के राजघाट, जवाहरलाल नेहरू के शांतिवन, इंदिरा गांधी के शक्ति स्थल, सुप्रीम कोर्ट से लेकर दिल्ली के श्मशान घाट तक के दीवार के किवाड़ बंद होने पर जारी है। Posted on 17 Jul, 2023 05:53 PM

(हथिनीकुंड बराज से दिल्ली 250 किमी है। रास्ते में यमुनानगर, कैराना, बागपत जैसे दर्जनों शहर-गाँव हैं। पर कट्टर सरकार कहती है जानबूझकर बराज खोल दिया और कारोबारी मीडिया इसी पर भिड़ा है। मानो रास्ते के शहरों में रहने वाले इंसान ही न हों! प्रलय की रोकथाम पर सोचने का होश किसी को नहीं!

यमुना,फोटो क्रेडिट:-Iwp Flicker
पर्वतीय क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन एक बहुत ही विस्तृत विषय है और इसके लगभग सभी क्षेत्रों पर कुछ ना कुछ प्रभाव है, पर्वतीय क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। विश्व के सभी पहाड़ पृथ्वी की सतह के लगभग 20% के क्षेत्रफल पर फैले हुये हैं साथ ही विश्व की कुल जनसंख्या के 10% लोगों को घर और 50% लोगों को कृषि भूमि की सिंचाई हेतु जल, औद्योगिक उपयोग और घरेलू उपभोग के लिए मीठा पानी प्रदान करते हैं। Posted on 17 Jul, 2023 04:45 PM

वन पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र के अभिन्न अंग हैं। हाल ही के कुछ वर्षो में भारतीय पर्वतीय प्रदेश से दावानलों की संख्या में वृद्धि देखी गयी है। जंगलों की आग की घटनाओं में वृद्धि भी जलवायु परिवर्तन के साथ जुड़े हुये प्रमुख बदलावों में से एक है । जंगलों की आग की आवृत्ति, परिमाण, तीव्रता, प्रकार आदि वनों की संरचना और प्रकार के अलावा स्थानीय मौसम और जलवायु पर भी निर्भर करती है । इन सब के अलावा जलवायु प

पर्वतीय क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव,फोटो क्रेडिट :-IwpFlicker
प्रकृति का बढ़ता प्रकोप : कारण एवं निवारण (Increasing Fury Of Nature:Causes & Remedies)
प्रकृति अथवा 'Nature' जिसमें ब्रह्मांड समाया हुआ है। हमारी पृथ्वी इस अनादि अनन्त ब्रह्माण्ड का एक ऐसा पिण्ड है जो खगोलीय अन्य पिण्डों की भाँति ही अपने पर लगाने वाले मूलभूत बलों के प्रभव से प्रभावित होती रहती है। Posted on 17 Jul, 2023 11:55 AM

प्रकृति का बढ़ता प्रकोप : कारण एवं निवारण 

प्रकृति अथवा 'Nature' जिसमें ब्रह्मांड समाया हुआ है। हमारी पृथ्वी इस अनादि अनन्त ब्रह्माण्ड का एक ऐसा पिण्ड है जो खगोलीय अन्य पिण्डों की भाँति ही अपने पर लगाने वाले मूलभूत बलों के प्रभव से प्रभावित होती रहती है। पृथ्वी पर इसके बाहरी पिण्डों एवं स्थितियों के प्रभाव के फलस्वरूप विद्युत चुम्बकीय एवं गुरुत्वीय बलों में परि

प्राकृतिक आपदा,PC-विकिपीडिया
भारत में शहरी बाढ़ की बढ़ती घटनायें
वर्ष 2000 से लेकर अब तक की शहरी बाढ़ की प्रमुख घटनाओं में अगस्त 2000 में हैदराबाद, जुलाई 2003 में दिल्ली, जुलाई 2005 में मुंबई, अगस्त 2006 में सूरत सितम्बर 2014 में श्रीनगर, दिसम्बर 2015 में चेन्नई तथा अक्टूबर 2020 में हैदराबाद की घटनाएँ उल्लेखनीय हैं। शहरी बाढ़ का ताजा शिकार हैदराबाद है। बंगाल की खाड़ी में विकसित एक गहरे दबाव के कारण 13-14 अक्टूबर, 2020 को शहर के साथ-साथ तेलंगाना में भी असामान्य रूप से अत्यधिक वर्षा हुई। Posted on 15 Jul, 2023 03:28 PM

पिछले कई वर्षों से भारत में शहरी बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि हो रही है, जिससे भारत के प्रमुख शहर गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। एशियन विकास बैंक के अनुसार भारत में आने वाली बाढ़ों से प्रति वर्ष लगभग 14,500 करोड़ रुपयों का नुकसान होता है। वर्ष 2000 से लेकर अब तक की शहरी बाढ़ की प्रमुख घटनाओं में अगस्त 2000 में हैदराबाद, जुलाई 2003 में दिल्ली, जुलाई 2005 में मुंबई, अगस्त 2006 में सूरत सितम्बर 2014

भारत में शहरी बाढ़ की बढ़ती घटनायें,फोटो क्रेडिट:-विकिपीडिया
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