चक्रवाती तूफान बिपरजॉय

चक्रवाती तूफान बिपरजॉय, PC-Buisness Today
चक्रवाती तूफान बिपरजॉय, PC-Buisness Today

आज गुजरात में चक्रवाती तूफान बिपरजॉय दस्तक दे दी है । हर तरफ इसी चक्रवाती तूफान की चर्चा हो रही है। आखिर बिपरजॉय चक्रवात क्या है और कितना ये खतरनाक है इसको समझने से पहले हमें चक्रवाती तूफान होता क्या है उसको समझना होगा।  

चक्रवाती तूफान विशाल वायु राशि के घूर्णनशील यानि स्पिनिंग उष्णकटिबंधीय चक्रीय बवंडर होते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में इन्हें हरिकेन या फिर टाइफून कहा जाता है, इनमें हवा का घूर्णन घड़ी की सुइयों के विपरीत दिशा में एक वृत्ताकार रूप में होता है। दक्षिणी अर्द्धगोलार्ध में इन्हें चक्रवात या साइक्लोन कहा जाता है।

चक्रवात तब बनता है जब गर्म, नम हवा समुद्र के ऊपर की ओर उठती है । जैसे-जैसे यह हवा ऊपर की ओर बढ़ती है, नीचे कम दबाव का क्षेत्र बनता रहता है।कम दबाव वाला क्षेत्र आसपास से आने वाली उच्च दबाव वाली हवा से भर जाता है। फिर, ठंडी हवा का अगला बैच ऊपर की ओर बढ़ने वाले समुद्र के ऊपर गर्म और नम हो जाता है इस वजह से चक्रवात बनते है।  

चक्रवात 4 प्रकार के होते हैं और वे हैं:

1. उष्णकटिबंधीय चक्रवात
2. ध्रुवीय चक्रवात
3. मेसोसायक्लोन
4. एक्स्ट्राट्रॉपिकल साइक्लोन

उष्णकटिबंधीय चक्रवात

जिन क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय चक्रवात होता है वे उष्णकटिबंधीय महासागर के ऊपर होते हैं। तूफान और टाइफून दो प्रकार के उष्णकटिबंधीय चक्रवात हैं। अटलांटिक और पूर्वोत्तर प्रशांत ऐसे क्षेत्र हैं जहां हरिकेन पाए जाते हैं। वहीं, उत्तर पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में टाइफून पाए जाते हैं। तीव्रता और हवा की गति के आधार पर उष्णकटिबंधीय चक्रवात को 5 श्रेणियों में बांटा गया है।

ध्रुवीय चक्रवात

ध्रुवीय चक्रवात को उत्तरी गोलार्ध में "आर्कटिक हरिकेन" के रूप में भी जाना जाता है। यह उनके ऊर्जा स्रोतों के कारण है। ऊष्मा जल से वायु में स्थानांतरित होती है और गुप्त ऊष्मा बादल संघनन के रूप में उत्पन्न है। ध्रुवीय चक्रवात का पूर्वानुमान करना कठिन है क्योंकि उन्हें  24 घंटे से कम समय लगता है, और वे जल्दी बनते हैं। वे आर्कटिक और अंटार्कटिक समुद्रों के ऊपर बनते हैं।

मेसोसायक्लोन

मेसोसायक्लोन को तेज चक्रवात में से एक माना जाता है। यह तूफान के भीतर वायु के भंवर के रूप में पाया जाता है। ये हवा ऊपर की और उठती है और ऊर्ध्वाधर अक्ष के साथ घूमती है। उत्तरी गोलार्द्ध में इसके वायु की दिशा तथा निम्न दाब तंत्र की दिशा लगभग  एक समान होती है।

एक्स्ट्रा ट्रॉपिकल साइक्लोन

यह चक्रवात मध्य अक्षांशों में बनते हैं, उन्हें या तो अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात या मध्य अक्षांश चक्रवात के रूप में जाना जाता है। अत्याधिक उष्णकटिबंधीय चक्रवात की हवाएँ कमजोर होती हैं, लेकिन तापमान में उतार-चढ़ाव तेजी से होते हैं। नोर ईस्टर एक अत्याधिक उष्णकटिबंधीय चक्रवात का एक उदाहरण है जो संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट को प्रभावित करता है।

चक्रवात उत्पन्न होने के  मुख्य कारण हैं ;

1 . समुद्र की सतह पर गर्म तापमान।
2.  कोरिओलिस बल उस क्षेत्र को प्रभावित करता है जो कम दबाव का क्षेत्र बनाता है।
3. वायुमंडलीय अस्थिरता।
4.  क्षोभमंडल के निचले से मध्यम स्तरों में बढ़ी हुई आर्द्रता।
5. कम ऊर्ध्वाधर पवन कतरनी।
6.  पहले से मौजूद निम्न-स्तर की गड़बड़ी या फ़ोकस।


चक्रवात से ना  केवल मनष्य ही नहीं बल्कि इसकी चपेट में आने वाली हर चीज़ को  प्रभावित करता है । अत्यधिक हवाएं,तूफान,बवंडर जैसे  चक्रवात व्यक्तिगत रूप से जीवन और संपत्ति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं, जब ये संयुक्त रूप से एक दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करते हैं तब यह जीवन की हानि और भौतिक क्षति की संभावना को काफी हद तक बढ़ा देते हैं।

चक्रवात मनुष्यों को जीवन और जीवन यापन के साधनों को तहस -नहस कर देता है जिसका खामियाजा उन्हें कई वर्षों तक भुगतना पड़ सकता है। जब कहीं भी चक्रवात आता है तो वह घरों, इमारतों को पूरी तरह से ध्वस्त कर देता है । जिस भी क्षेत्र में चक्रवात आते हैं वहां परिवहन, बिजली और संचार सेवाएं भी बाधित हो जाती हैं।
कई बार चक्रवात बाढ़ और भूस्खलन का कारण भी बन जाते है,जिससे पानी दूषित हो सकता है और बीमारी के प्रसार में वृद्धि होने की संभावनाएं बढ़ा देता है।

चक्रवात पृथ्वी पर सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से एक हैं ,जो व्यापक क्षति और जीवन को भी अत्यधिक हानि पहुंचाते हैं। यह तीव्र निम्न दबाव प्रणालियाँ महासागरों के ऊपर बनती हैं तथा तटीय क्षेत्रों में विनाशकारी तूफान, तेज़ हवाएँ, भारी वर्षा और तूफानी लहरें पैदा करती हैं।

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का लगभग 4-7 दिनों का जीवन चक्र होता है, हालांकि कुछ तूफान धीमी गति से आते हैं जो कि थोड़े समय के लिए ही होते हैं जबकि अन्य हफ्तों तक बने रह सकते हैं।एक चक्रवात की अधिकतम औसत गति 34 से 47 समुद्री मील (62 से 88 किमी / घंटा) के बीच हो सकती है तथा चक्रवाती विक्षोभ जिसकी की अधिकतम औसत गति 17 और 33 समुद्री मील (31 और 61 किमी/घंटा) के बीच होती है ।

हाल ही में बिपरजॉय 150 km की तेज़ रफ़्तार के साथ गुजरात की तरफ बढ़ा। शाम होने तक यह  गुजरात के तटों से टकराया,  जिससे  सौराष्ट्र और कच्छ पर  इसका सबसे ज्यादा असर हुआ। महाराष्ट्र और राजस्थान में भी इसका असर देखा गया जहां समुद्र में ऊँची लहरें उठ रही थी वहीं कई जिलों में भारी वर्षा ही हो रही थी । वही चक्रवात  से पहले  प्रशासन की और से  लगभग 1  लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया साथ ही  76 से ज्यादा  ट्रेनें  रद्द की गयी और लोगों को घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी गयी।

इस बीच  NDRF और SDRF की कई टीमें तैनात की गयी है। राज्य और केंद्र सरकार हालात अभी भी नज़र बनाये हुए हैं। बिपरजॉय की वजह से द्वारिकाधीश मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए बंद किया गया है। 

कमांडर कोस्ट गार्ड रीजन -नार्थ वेस्ट  की और से  गुजरात में 15 हज़ार जहाज़ तैनात किये गए हैं। और साथ ही सात एयरक्राफ्ट और लैंडफॉल की संभावना के चलते 27 आपदा प्रबंधन टीम भी तैयार की गयी हैं। .  

अगर बीते सालों की बात की जाये तो साल 2021 में साइक्लोन  ताउक्ते ने 210 km /h की स्पीड से गुजरात को हिट किया था जिसने गुजरात के 12 जिलों में रह रहे लोगों के जीवन को पूरी तरह अस्त व्यस्त कर दिया था। साल 2020 में साइक्लोन फान ने वेस्ट बंगाल को हिट किया था और जिसकी वजह से कुल 13. 8  बिलियन डॉलर्स का नुकसान दर्ज किया गया था।  वही सन 1999 में ओडिशा में आया सुपरसाइक्लोन  अब तक सबसे विनाशकारी साइक्लोन में से एक था।  जिसमें  9000 से ज्यादा लोगों की मौतें हुए थी।  

चक्रवाती तूफान बिपरजॉय भी कुछ इसी तरह का चक्रवात है ,लेकिन प्रशासन द्वारा कई इंतजाम किये गए हैं,  जिससे इस चक्रवात से होने वाले नुकसान को घटाया जा सके। 

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