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बदलाव के लिए दो मिशन
ज़्यादातर लोगों ने एकता में शक्ति के उदाहरण के रूप में लकड़ियों के गट्ठर का किस्सा तो सुना ही होगा। उसका सार यह है कि आप अकेली लकड़ी की डंडी को तो आसानी से तोड़ सकते हैं, लेकिन जब उन्हीं डंडियों को इकट्ठा कर उनका गट्ठर बना दिया जाता है तो उसे तोड़ पाना नामुमकिन हो जाता है। यही होती है एकता में शक्ति। Posted on 11 Sep, 2023 01:20 PM

ज़्यादातर लोगों ने एकता में शक्ति के उदाहरण के रूप में लकड़ियों के गट्ठर का किस्सा तो सुना ही होगा। उसका सार यह है कि आप अकेली लकड़ी की डंडी को तो आसानी से तोड़ सकते हैं, लेकिन जब उन्हीं डंडियों को इकट्ठा कर उनका गट्ठर बना दिया जाता है तो उसे तोड़ पाना नामुमकिन हो जाता है। यही होती है एकता में शक्ति। इसी एकता का अन्य रूप है सम्मिलन, यानि 'कन्वर्जेस' – जब विचारों, प्रयासों, परियोजनाओं और योजनाओं

बदलाव के लिए दो मिशन
शुद्ध पेयजल के लिए महिलाओं और बच्चों का सशक्तिकरण
भूजल का भूगर्भीय संदूषण एक गंभीर चुनौती है क्योंकि असम के कुछ जिलों में आर्सेनिक और फ्लोराइड को अनुमेय सीमा से अधिक पाया गया था, जिससे पानी की गुणवत्ता का परीक्षण एक विकल्प ही नहीं बल्कि एक प्राथमिकता बन गया। इसका निराकरण करने के लिए, मिशन निदेशालय - जेजेएम ने यूनिसेफ के सहयोग से पानी की गुणवत्ता के संबंध में समुदाय को संवेदनशील बनाने के लिए महिलाओं को शामिल करने की रणनीति तैयार की। Posted on 11 Sep, 2023 01:14 PM

असम प्रचुर मात्रा में जल संसाधनों, बड़ी बारहमासी नदियों जैसे ब्रह्मपुत्र और इसकी कई सहायक नदियाँ और अन्य जल निकायों से समृद्ध है जिसके कारण राज्य के अधिकांश हिस्सों में पानी की उपलब्धता कोई समस्या नहीं है । तथापि, भूजल का भूगर्भीय संदूषण एक गंभीर चुनौती है क्योंकि असम के कुछ जिलों में आर्सेनिक और फ्लोराइड को अनुमेय सीमा से अधिक पाया गया था, जिससे पानी की गुणवत्ता का परीक्षण एक विकल्प ही नहीं बल

शुद्ध पेयजल के लिए महिलाओं और बच्चों का सशक्तिकरण,Pc:-जल जीवन संवाद
जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव
भारत की वर्षा पोषित कृषि के लगभग 60% 1 के लिए महत्वपूर्ण है और मानसून की हवाओं का समय पर आगमन और पर्याप्तता हमारे कृषि प्रथाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हवाओं की आवृत्ति प्रत्येक मौसम, वर्षा और दशक में भिन्न होती है. और इस बदलाव को मानसून परिवर्तनशीलता कहा जाता है। जलवायु परिवर्तन, औद्योगिकीकरण तथा बढ़ते वाहनों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। परिणामस्वरूप बढ़ती ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से वैश्विक तापमान में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन से समस्त विश्व चिंतित है चिंता का विषय इसलिए भी है, क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है, और भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशीला खेती ही है। Posted on 11 Sep, 2023 12:41 PM

किसान कई पीढ़ियों से खेती के लिए मौसमी बरसात पर ही निर्भर रहे हैं लेकिन अब बदलते मौसम के कारण उन्हें नुकसान हो रहा है। देश में फसल उत्पादन में उतार-चढ़ाव का कारण कम वर्षा, अत्यधिक वर्षा अत्यधिक नमी, फसलों पर कीड़े लगना, बेमौसम बारिश, बाढ़ व सूखा और ओलों की बौछार आदि मुख्य है। पिछले कुछ सालों से मौसम चक्र ने हमें चौकाने और परेशान करने का जो सिलसिला शुरू किया है जो हमारे लिए और खेती के लिए मुसीबत

जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव
वैश्विक पवन ऊर्जा का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है भारत
ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल (जीडब्ल्यूईसी) और एमईसी+ द्वारा जारी की गयी एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अगले पांच वर्षों के भीतर 21.7 गीगावाट तक नई पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित कर सकता है. इससे साल 2027 तक भारत की कुल पवन ऊर्जा क्षमता 63.6 गीगावॉट तक बढ़ जाएगी. Posted on 09 Sep, 2023 03:59 PM

जहां एक ओर सरकार हवाओं की बढ़ती गर्मी पर लगाम लगाने के लिए तमाम सकारात्मक पहल कर रही है, वहीं उन्हीं हवाओं से ऊर्जा बनाने के मामले में भारत सरकार की दृढ़ता भी साफ दिख रही है. दरअसल प्रमुख उद्योग संगठनों की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वैश्विक पवन ऊर्जा निर्यात केंद्र बनने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं.

वैश्विक पवन ऊर्जा का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है भारत,PC-(FB Narendra Modi)
जी-20 लीडर्स समिट में भारत के पास वित्‍तीय सुधारों के मामले में उभरने का मौका
दुनिया में डीकार्बनेशन के लिए जितने धन की जरूरत है उतना उपलब्ध हो पाएगा? इसीलिए ब्‍लेंडेड फाइनेंस का सवाल खड़ा होता है। दुनिया को डीकार्बनाइजेशन के लिए पूंजी की जरूरत है। इसके लिये ब्लेंडेड कैपिटल, फिलांट्रॉफीज और डीएफआई को साथ लाकर काम करना होगा Posted on 09 Sep, 2023 03:44 PM

भारत की अध्‍यक्षता में जी20 देशों की ऊर्जा, जलवायु एवं पर्यावरण से सम्‍बन्धित बैठकें पिछले महीने सम्‍पन्‍न हुईं। इन बैठकों में एक व्‍यापक श्रंखला रूपी मसलों का हल निकालने के लिये कड़ी मेहनत की गयी जिनसे यह तय होगा कि देशों का यह समूह क्‍या ऊर्जा और वित्‍त रूपी दो प्रमुख पहलुओं के इर्द-गिर्द खड़े दीर्घकालिक मुद्दों को लेकर किसी समाधान

जी-20 लीडर्स समिट में भारत के पास वित्‍तीय सुधारों के मामले में उभरने का मौका,Pc- वैश्विक पवन ऊर्जा का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है भारत,PC-(FB Narendra Modi)
जी 20 और जलवायु: भारत दिखाएगा अपनी करिश्माई नीति निर्माण शक्ति
वैश्विक नीति निर्माण की दशा और दिशा बदलने वाली इस बैठक पर रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस बैठक से परहेज करने के हाल के निर्णय असर डालेगा। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के भरसक प्रयासों के बावजूद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन की गैर-मौजूदगी से इस समिट की कामयाबी पर शंका के बादल छा गये हैं। Posted on 09 Sep, 2023 03:34 PM

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भारत की सरकार ने साल 2021 में पूरी दुनिया को तब चौंका दिया था जब हमारे प्रधानमंत्री ने देश को साल 2070 तक नेट जीरो राष्ट्र बनाने की योजना का ऐलान कर दिया था।इस घोषणा का असर कुछ ऐसा हुआ कि अब जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के जोखिमों से घिरी अर्थव्यवस्थाओं को कर्ज देने के ढांचे में बदलाव कर उन्हें प्राथमिकता देने का एक माहौल तैयार हुआ है। फिलहाल भारत कि अध्यक्ष

भारत दिखाएगा अपनी करिश्माई नीति निर्माण शक्ति,वैश्विक पवन ऊर्जा का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है भारत,PC-(FB Narendra Modi)
स्वच्छ ईंधन की ओर बढ़ते कदम
भारत सरकार ने देश की वृद्धि के साथ पर्यावरणीय प्रबंधन को जोड़ने और उसके बीच संतुलन बनाए रखने की योजना तैयार की है, जिससे वर्ष 2024- 25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करने के साथ-साथ वर्ष 2030 तक देश को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा दिलाया जा सके। Posted on 09 Sep, 2023 03:23 PM

इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधान मंत्री मोदी ने अपने भाषण में व्यक्त किया था कि पर्यावरण देश की प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और हमने वर्तमान एवं भविष्य की जरूरतों को संतुलित रखते हुए पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन को सुरक्षित करने के लिए एक स्पष्ट दिशानिर्देश यानी रोडमैप तैयार किया है। प्रधानमंत्री ने यह भी दोहराया है। कि जहां भारत निर्धन वर्ग को सहायता प्रदान कर रहा है, वह

स्वच्छ ईंधन की ओर बढ़ते कदम
जलवायु परिवर्तन के कारण समंदर हरे हो रहे हैं
ये बदलाव जलवायु परिवर्तन के कारण हुए हैं, यह जानने के लिए शोधकर्ताओं ने अपने अवलोकनों की तुलना एक ऐसे जलवायु मॉडल से की जो बताता है कि ग्रीनहाउस गैस बढ़ने पर समुद्र पारिस्थितिकी तंत्र में किस तरह के बदलाव आएंगे। तुलना में उन्होंने पाया कि मॉडल के नतीजे और उनके अवलोकन मेल खाते हैं।वास्तविक कारण पता लगाना बाकी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि संभवतः यह समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि का सीधा प्रभाव नहीं है Posted on 09 Sep, 2023 03:12 PM

पिछले दिनों नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले 20 सालों में दुनिया के आधे से अधिक समंदर पहले से अधिक 'हरे' हो गए हैं और इसका कारण संभवतः बढ़ता तापमान है । समंदरों का रंग कई कारणों से बदल सकता है। जैसे जब पोषक तत्व गहराई से ऊपर आते हैं तो इनके पोषण से पादप प्लवक (फाइटोप्लांकटन) फलते-फूलते हैं । इन फाइटोप्लांकटन में हरा रंजक क्लोरोफिल होता है। तो, सागरों की सतह से परावर्तित सू

जलवायु परिवर्तन के कारण समंदर हरे हो रहे हैं
राजस्थान : गायब होते गोचर की लड़ाई
देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में गोचर को बचाने का बड़ा मुद्दा है। पिछले साल गायों के प्रति आदर भाव रखने वाले लोगों ने लंबे अरसे तक आंदोलन करके सरकार को उस फैसले को ठंडे बस्ते में डालने पर मजबूर किया था Posted on 09 Sep, 2023 03:03 PM

राजस्थान हमारे देश में पशुपालन के लिए जाना जाता है, लेकिन आजकल इसी पशुपालन के लिए सबसे जरूरी चारागाहों को लेकर भारी बवाल मचा है। एक तरफ, जमीन की लगातार बढ़ती 'भूख' है तो दूसरी तरफ, दुधारू, खेतिहर पशुओं के लिए चारा । इन दोनों जरूरतों से जुड़े हितग्राही अपने-अपने हितों को लेकर आंदोलनरत हैं। राजस्थान में गोचर भूमि को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है। लंबे समय से लगातार हो रहे अतिक्रमणों के कारण ग

गायब होते गोचर की लड़ाई
क्या हिमालय दिवस का विचार केवल चिंता करने तक सीमित था ?
केंद्र की सरकार एक मजबूत केंद्रीय हिमालय नीति बनाने के लिए हिमालय का मंत्रालय तो बनाएगा ही साथ ही हिमालय के पृथक विकास के मॉडल को निर्धारित करने के लिए आमजन द्वारा प्रस्तुत की गई हिमालय लोक नीति के सुझाव के अनुरूप हिमालय नीति का निर्धारण करेगी।  Posted on 09 Sep, 2023 02:56 PM

हिमालय के संवेदनशील पर्यावरण के लिए चिंतित देश भर के सामाजिक कार्यकर्ताओ और पर्यावरणविदों ने मिलकर देहरादून स्थित हैस्को केंद्र शुक्लापुर में 2010 मे एक बैठक की थी। जिसमें हर वर्ष 9 सितंबर को हिमालय दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। जब यह विचार आया तो हम काफी उत्साहित थे कि हिमालय की गंभीर समस्याओं को लेकर हिमालय दिवस के अवसर पर राज समाज को साथ लेकर यहां के ज्वलंत मुद्दों की तरफ सरकार का ध्यान

हिमालय दिवस
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