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पर्यावरण संरक्षण के वैश्विक प्रयास (Global efforts to protect the environment in Hindi)
ग्लोबल वार्मिंग यानी गर्माती धरती की समस्या से निपटने के लिए पहला अन्तर्राष्ट्रीय करार क्योटो प्रोटोकॉल है जो 1997 में किए गए यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कंवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) का संशोधित रूप है। जापान के क्योटो शहर में "क्योटो प्रोटोकाल" नामक मसौदा पर्यावरण विध्वंस को रोकने की विश्व इच्छा का प्रतीक बनकर सामने आया था। विश्व के अधिकतर देशों ने जलवायु परिवर्तन की समस्या पर चिंता व्यक्त की । Posted on 29 Aug, 2023 05:05 PM

पृथ्वी के पर्यावरण का संकट आज सभी के लिए गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। वर्तमान में पर्यावरण संबंधी विसंगतियों को दर्शाते अध्ययनों और रिपोर्टों की कमीं नही हैं। हर दिन प्रदूषण से जुड़े तमाम भयावह आंकड़े हमारे सामने आते हैं, जो पृथ्वी की बदलती आबोहवा के प्रति हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं।

पर्यावरण संरक्षण के वैश्विक प्रयास
प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होता स्वास्थ्य
प्रदूषण का मानव के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। प्रदूषण जनित जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ एवं सूखे की स्थिति में विस्थापन के कारण कुपोषण, भुखमरी एवं संक्रामक रोगों का भी खतरा बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 1970 के बाद हुए जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप विकासशील देशों में प्रतिवर्ष 1,50,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। Posted on 28 Aug, 2023 03:45 PM

हमारे आस-पास के पर्यावरण का स्वास्थ्य से सीधा संबंध होता है। स्वस्थ पर्यावरण अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होती है । इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए पर्यावरण की सुरक्षा भी आवश्यक है। यदि पर्यावरण ही प्रदूषित हो तब फिर अच्छे स्वास्थ्य की उम्मीद नहीं की जा सकती है। निरोगी जीवन के लिए शुद्ध आबोहवा या कहें जलवायु का सर्वाधिक योगदान होता है।

प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होता स्वास्थ्य
वैश्विक तापन के संभावित परिणाम
बढ़ते प्रदूषण के कारण तापमान में बदलाव का विश्व भर में व्यापक प्रभाव दिखाई दे रहा है । आज बदलती जलवायु के प्रभाव कुछ क्षेत्रों विशेष रूप से आर्कटिक क्षेत्र, अफ्रीका और छोटे द्वीपों को अधिक प्रभावित कर रहा है। उत्तरी ध्रुव (आर्कटिक) दुनिया की तुलना में दोगुनी दर से गर्म हो रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार आगामी कुछ वर्षों में ग्रीष्म ऋतु के दौरान उत्तरी ध्रुव की बर्फ पिघल जाएगी । एक अन्य अध्ययन के अनुसार ऐसा छह वर्ष के दौरान भी हो सकता है। पिछले 100 वर्षों में अंटार्कटिका के तापमान में दोगुनी वृद्धि हुई है। Posted on 28 Aug, 2023 02:26 PM

प्रदूषण से उत्पन्न समस्याओं ने धरती के विविध रंगों को बेरंग कर दिया है। प्रदूषण के कारण बदलती आबोहवा जीवन के ताने-बाने को पूरी तरह नष्ट करने को है । प्रदूषण के चलते उत्पन्न अनेक समस्याओं में बदलती जलवायु मुख्य समस्या है। आज बदलती जलवायु से कहीं ग्लेशियर पिघलने लगे हैं तो कहीं नदियां सूखने लगीं हैं जिसके कारण कहीं धरती की प्यास बढ़ रही है तो कहीं फसलें तबाह होने लगीं हैं। इस अध्याय में प्रदूषण औ

वैश्विक तापन के संभावित परिणाम
बदलती जलवायु
किसी स्थान का मौसम ही उस स्थान की जलवायु को निर्धारित करने वाला सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक होता है। लंबे समय तक चलने वाला मौसम ही जलवायु का रूप धारण कर लेता है। इस प्रकार किसी क्षेत्र के दीर्घकालीन लगभग 30 वर्षों तक के मौसम को जलवायु कहा जाता है। Posted on 25 Aug, 2023 03:53 PM

पृथ्वी की जलवायु के निर्धारण में अनेक कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन कारकों में मुख्य कारक सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा, धरती का वायुमंडल और महासागर आदि हैं। धरती की जलवायु सदैव एक जैसी नहीं रही है। धरती की सतह का औसत तापमान विभिन्न युगों में परिवर्तित होता रहा है। बीते एक अरब वर्षों के दौरान पृथ्वी की जलवायु कभी सर्द, कभी गर्म और कभी हिमयुगों वाली रही है। वैज्ञानिकों ने ध्रुवों पर गहराई मे

बदलती जलवायु
गर्माती धरती
बढ़ते प्रदूषण के कारण आज सबसे अधिक चिंता का विषय धरती के औसत तापमान का बढ़ना है। इस परिघटना को ग्लोबल वार्मिंग यानी वैश्विक तापन भी कहा जाता है । ग्लोबल वार्मिंग से आशय पृथ्वी की सतह के निकट वायुमंडल तथा क्षोभ मंडल में तापमान के बढ़ने से है Posted on 25 Aug, 2023 03:33 PM

गर्माती धरती
हरित गृह प्रभाव(Green House Effect)
ठंडी जलवायु वाले स्थानों में पौधों को गर्माहट देने के लिए बनाए जाने वाले पारदर्शी कांच के पौधा घर यानी ग्रीन हाउस में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प आदि ठीक इसी तरह ऊष्मा को रोक कर ग्रीन हाउस के अंदर गर्माहट बनाए रखते हैं। इसीलिए ऊष्मा को रोकने की इस प्रक्रिया को 'ग्रीन हाउस प्रभाव' नाम दिया गया है और इस प्रभाव को उत्पन्न करने वाली गैसों को ग्रीन हाउस गैसें कहते हैं। Posted on 25 Aug, 2023 02:47 PM

अभी तक पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ज्ञात ग्रह है जहां जीवन का अस्तित्व है । इस अनोखे ग्रह पर विद्यमान विभिन्न कारकों के आपसी संतुलनों के परिणामस्वरूप ही यहां जीवन का उद्भव संभव हुआ है। वायुमंडल भी ऐसा ही एक विशिष्ट कारक है जो पृथ्वी को जीवनदायी ग्रह बनाए हुए है। यदि पृथ्वी पर वायुमंडल नहीं होता तो यहां का औसत तापमान शुन्य डिग्री सेल्सियस से भी काफी नीचे (लगभग -15 डिग्री सेल्सियस) होता । वायुमंडल की

 हरित ग्रह प्रभाव
प्रदूषित होता पर्यावरण
वायुमंडल पृथ्वी ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक कारकों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक है । वायुमंडल ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, हीलियम, ओजोन आदि अनेक गैसों का आवरण है जो पृथ्वी के चारों और फैला हुआ है। लेकिन अब हवा में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। Posted on 25 Aug, 2023 02:03 PM

इस अनोखे पृथ्वी ग्रह को अनेक कारक जीवनदायी बनाते हैं। पृथ्वी का पर्यावरण ऐसा ही एक महत्वपूर्ण घटक है जो इस ग्रह को जीवनदायी बनाए हुए है। पर्यावरण के अंतर्गत वह सभी कुछ शामिल है जो हमारे चारों और उपस्थित है। हमारे आस-पास उपस्थित परिवेश जिसमें वायुमंडल, जलमंडल और भूमि आदि शामिल है, पर्यावरण कहलाता है। वैसे तो अंतरिक्ष से हमारा पृथ्वी ग्रह सुंदर और चमकीला नजर आता है। लेकिन अब पृथ्वी पर घुटन महसूस

प्रदूषित होता पर्यावरण
प्रकृति का उपहार
विभिन्न प्राकृतिक कारकों के आपसी समन्वय के परिणामस्वरूप पृथ्वी पर जीवन कायम है। हवा, जल, मिट्टी, वन एवं ऊर्जा पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने वाले अहम कारक हैं। इन कारकों ने पृथ्वी को जीवनदायी ग्रह बनाने में अहम भूमिका निभाई। इस अध्याय में हम प्रकृति के इन अमूल्य उपहारों की चर्चा करेंगे।

Posted on 24 Aug, 2023 05:00 PM

पृथ्वी का अमृतः जल

पृथ्वी पर जीवन का आरंभ महासागरों के जल में माना जाता है। जल में ही पहली बार जीवन का अंकुर फूटा था। तब से ही जल पृथ्वी पर जीवन का प्रतीक है। महासागरों, नदियों, झरनों, तालाबों, झीलों, पोखरों, भू-जल आदि जल स्रोतों में उपलब्ध जल जीवन के विविध रूपों को पनाह देता है। ये जल स्रोत विभिन्न गतिविधियों के लिए जल उपलब्ध कराने के साथ पर्यावरण पर भी महत्वप

प्राकृति का उपहार
जीवनदायी पृथ्वी ग्रह
सूरज से पृथ्वी की दूरी लगभग 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर है। यह दूरी ही पृथ्वी ग्रह को पूरे सौर मंडल में विशिष्ट स्थान देती है। इसी दूरी के कारण यहां पानी से भरे महासागर बने, रेगिस्तान, पठार और सूरज की लगातार मिलती ऊर्जा और पृथ्वी के गर्भ में मौजूद ताप से पृथ्वी पर जीवन के विभिन्न रूप मिलने संभव हुए। पेड़-पौधे सभी वनस्पति, पशु-पक्षी सभी जीव-जंतु, यहां तक कि सूक्ष्मजीव (जो पृथ्वी पर जीवन के लिए अति आवश्यक हैं) में भी ऊर्जा का स्रोत सूर्य की ऊष्मा ही है। Posted on 24 Aug, 2023 03:37 PM

अंतरिक्ष से बेहद सुंदर दिखाई देने वाला पृथ्वी ग्रह सौर मंडल का तीसरा ग्रह है जो आज से लगभग साढ़े चार अरब वर्ष पहले अस्तित्व में आया। पृथ्वी के जन्म के लाखों-करोड़ों वर्षों के बाद से विभिन्न जटिल प्रक्रियाओं व नाजुक संयोगों के परिणामस्वरूप इस ग्रह पर विभिन्न रूपों में जीवन का विकास हुआ। विकास की इस लंबी प्रक्रिया में विभिन्न कालखण्डों के दौरान लाखों नए-नए जीव प्रकट हुए और अनगिनत जीव विलुप्त भी ह

जीवनदायी पृथ्वी ग्रह
जलवायु परिवर्तन: समुद्रों से शिखरों तक सभी में खतरे की घंटी
जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारणों में जीवाश्म उत्सर्जन, वनस्पति कटाई, औद्योगिक प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन से जुड़े अन्य विकार शामिल हैं। फॉसिल ईंधनों का उपयोग और वायुमंडलीय गैसों की अत्यधिक उत्सर्जन के कारण ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में वृद्धि हो रही है, जिससे ग्लोबल तापमान में वृद्धि हो रही है। Posted on 24 Aug, 2023 01:15 PM

आजकल की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण की वजह से पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती बन चुका है। जलवायु परिवर्तन का अर्थ होता है मानव गतिविधियों के कारण वृक्षों और जीवों के साथ-साथ पूरे पृथ्वी के जलवायु में बदलाव। यह परिवर्तन सामान्य जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है, सिर्फ जलवायु ही नहीं, बल्कि वनस्पति, प्राणियों, जलवायु संरचना, और जीवों की प्रजातियों पर भी दुर्भाग्यपू

जलवायु परिवर्तन
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